नियम

शीर्षक मध्य प्रदेश संस्कृत शिक्षा सेवा (संस्कृत महाविद्यालय-उच्च शिक्षा) (अराजपत्रित तृतीय श्रेणी-शैक्षणिक) भरती नियम, 1990
वर्ष 1990
सम्बंधित अधिनियम भारत का संविधान 1950 (भारत का संविधान 1950)
उद्देश्य मध्य प्रदेश संस्कृत शिक्षा सेवा (संस्कृत महाविद्यालय-उच्च शिक्षा) (अराजपत्रित तृतीय श्रेणी-शैक्षणिक) में भरती को विनियमित करने के लिये नियम हेतु ।
अधिसूचना की तिथि 08/02/1991
लागू करने की तिथि 08/02/1991
क्षेत्राधिकार सम्पूर्ण म.प्र.
विभाग का नाम उच्च शिक्षा विभाग
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विवरण
मध्य प्रदेश संस्कृत शिक्षा सेवा (संस्कृत महाविद्यालय- उच्च शिक्षा) (अराजपत्रित तृतीय श्रेणी-शैक्षणिक) भरती नियम, 1990
1 संक्षिप्त नाम
2 परिभाषायें
3 विस्तार तथा लागू होना
4 सेवा का गठन
5 वर्गीकरण, वेतनमान आदि
6 भरती का तरीका
7 सेवा में नियुक्ति
8 सीधी भरती के लिए पात्रता की शर्ते
9 निरर्हता अभ्यर्थी की ओर से अपनी अभ्यर्थिता
10 अभ्यर्थी की पालता के सम्बन्ध में चयन समिति का विनिश्चय अन्तिम होगा
11 प्रतियोगी परीक्षा द्वारा सीधी भरती
12 चयन समिति/बोर्ड द्वारा सिफारिश किए गए अम्यर्थियों की सूची
13 पदोन्नति द्वारा नियुक्ति
14 पदोन्नति के लिए पात्रता सम्बन्धी शर्ते
15 उपयुक्त व्यक्तियों की सूची का तैयार किया जाना
16 चयन सूची
17 चयन सूची में सेवा में नियुक्ति-
18 परिवीक्षा
19 निर्वचन
20 छूट
21 व्यावृत्ति
22 निरसन
23 अनुसूची – एक
24 अनुसूची – दो
25 अनुसूची – तीन
26 अनुसूची - चार

मध्य प्रदेश संस्कृत शिक्षा सेवा (संस्कृत महाविद्यालय- उच्च शिक्षा)

(अराजपत्रित तृतीय श्रेणी-शैक्षणिक) भरती नियम , 1990

क्र० 226-48 उशिसं-संशि-90-- भारत के संविधान के अनुच्छेद 389 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए, मध्य प्रदेश के राज्यपाल, एतद्द्वारा, मध्य प्रदेश संस्कृत शिक्षा सेवा (संस्कृत महाविद्यालय -उच्च शिक्षा) (अराजपत्रित तृतीय श्रेणी-शैक्षणिक) में भरती को विनियमित करने के लिये निम्नलिखित नियम बनाते हैं; अर्थात्-

नियम

1. संक्षिप्त नाम- इन नियमों का संक्षिप्त नाम मध्य प्रदेश संस्कृत शिक्षा सेवा (संस्कृत महाविद्यालय-उच्च शिक्षा) (अराजपत्रित तृतीय श्रेणी-शैक्षणिक) भरती नियम, 1990 हैं ।

2. परिभाषाएँ- इन नियमों में, जब तक संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो-

(क) ''सेवा'' के संबंध में ''नियुक्ति प्राधिकारी'' से अभिप्रेत है आयुक्त, उच्च शिक्षा;

(ख) ‘'अनुसूची'' से अभिप्रेत है, इन नियमों से संलग्न अनुसूची;

(ग) ''सेवा'' से अभिप्रेत है, मध्य प्रदेश संस्कृत शिक्षा (संस्कृत महाविद्यालय-उच्च शिक्षा) अराजपत्रित तृतीय श्रेणी-शैक्षणिक) सेवा;

(घ) ''अनुसूचित जाति'' से अभिप्रेत है कोई जाति, मूलवंश या जनजाति अथवा किसी जाति, मूलवंश या जनजाति का भाग या उसमें का यूथ जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 341 के अधीन मध्य प्रदेश राज्य के संबंध में अनुसूचित जाति के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है;

(ङ) ''अनुसूचित जनजाति'' से अभिप्रेत है कोई जनजाति या जनजाति समुदाय अथवा जनजाति या जनजाति समुदाय का भाग या उसमें का यूथ जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के अधीन मध्य प्रदेश राज्य के संबंध में अनुसूचित जनजाति के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है;

(च) ''आयुक्त'' से अभिप्रेत है, आयुक्त, उच्च शिक्षा, मध्य प्रदेश;

(छ) ''चयन समिति'' से अभिप्रेत है नियम 13 के अधीन गठित विभागीय पदोन्नति समिति;

(ज) ''चयन बोर्ड'' से अभिप्रेत है, मध्य प्रदेश कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड;

(झ) विकलांग से अभिप्रेत है-

(i) अंधे वे व्यक्ति हैं, जो निम्नलिखित दशाओं में से किसी एक से ग्रस्त हों-

(1) दृष्ट का पूर्णत: अभाव हो,

(2) बेहतर आँख में परिषांधी लेंस से दृष्टिगत तीक्ष्णता 6/60-या20/200 (सैलन) से अधिक न हो, और

(3) सामने की दूर दृष्टि का क्षेत्र 20 अंश के कोण तक सीमित हो या उससे भी बढ़कर हो,

(ii) बहरे वह व्यक्ति हैं जिनमें श्रवण संवेदना जीवन के सामान्य प्रयोजनों के लिये क्रियाहीन हों, यहां तक कि वह विस्तारित आवाज को भी बिल्कुल सुन या समझ नहीं सकते, इस प्रवर्ग में सम्मिलित किये गये वे व्यक्ति होंगे जिनमें सुनने का हृास बेहतर कान में 80 डेसीमल से अधिक (अधिकतम कमी) हो या दोनों कानों में सुनने का पूरा हृास हो,

(iii) विकृतांगता से विकलांग वे व्यक्ति हैं जिनमें ऐसा कोई शारीरिक दोष या विकृति हो जिससे हड्‌डियों मांसपेशियों या जोड़ों की सामान्य क्रियाशीलता में बाधा पहुँचती हो ।

3. विस्तार तथा लागू होना- मध्य प्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 में अतर्विष्ट उपबन्धों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ये नियम सेवा के प्रत्येक सदस्य को लागू होंगे ।

4. सेवा का गठन- सेवा में निम्नलिखित व्यक्ति होंगे, अर्थात्-

(1) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के प्रारंभ के समय अनुसूची-एक में विनिर्दिष्ट पदों को मूल रूप से धारण कर रहे हों,

(2) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के प्रारंभ होने के पूर्व सेवा में भरती किए गए हों, और

(3) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के उपबंधों के अनुसार सेवा में भरती किए जाएँ ।

5. वर्गीकरण , वेतनमान आदि- सेवा का वर्गीकरण, सेवा में सम्मिलित पदों की संख्या और उनसे संलग्न वेतनमान अनुसूची-एक में अंतर्विष्ट उपबंधों का अनुसार होंगे :

परन्तु सरकार समय-समय पर सेवा में सम्मिलित पदों की संख्या में या तो स्थायी आधार पर या अस्थायी आधार पर वृद्धि या कमी कर सकेगी ।

6. भरती का तरीका- (1) इन नियमों के प्रारंभ होने के पश्चात्, सेवा में भरती निम्नलिखित तरीकों से की जाएगी, अर्थात्-

(क) चयन / प्रतियोगी परीक्षा द्वारा सीधी भरती द्वारा,

(ख) सेवा के सदस्यों की पदोन्नति द्वारा,

(ग) ऐसे व्यक्तियों के स्थानान्तरण द्वारा, जो ऐसी सेवा में ऐसा पद, जैसा इस निमित्त विनिर्दिष्ट किया जाए, मूल हैसियत में धारण करते हों ।

(2) उपनियम (1) के खंड (ख) या खंड (ग) के अधीन भरती किए गये व्यक्तियों की संख्या अनुसूची-एक में यथा विनिर्दिष्ट कर्त्तव्य पदों की संख्या के अनुसूची-दो में दर्शाए गए प्रतिशत से किसी भी समय अधिक नहीं होगी ।

(3) इन नियमों के उपबंधों के अधीन रहते हुए, सेवा में किसी ऐसी विशिष्ट रिक्ति या रिक्तियों को, जिसको या जिनको भरती की किसी विशिष्ट कालावधि के दौरान भरा जाना अपेक्षित हो, भरे जाने के प्रयोजन के लिये अपनाया जाने वाला तरीका या तरीके तथा प्रत्येक तरीके से भरती किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या प्रत्येक अवसर पर नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा अवधारित की जाएगी ।

(4) उपनियम (1) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी यदि सरकार की राय में सेवा की अत्यावश्यकताओं को देखते हुए ऐसा करना आवश्यक हो तो सरकार कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं प्रशिक्षण विभाग के पूर्व सहमति से उक्त उपनियम विनिर्दिष्ट सेवा में भरती के तरीकों के भिन्न ऐसे अन्य तरीके अपना सकेगी, जो वह इस निमित्त जारी किये गये आदेश द्वारा विहित करे ।

7. सेवा में नियुक्ति - इन नियमों के प्रारम्भ होने के पश्चात् सेवा में समस्त नियुक्तियां, नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा की जाएँगी और ऐसी कोई भी नियुक्ति नियम 6 में विनिर्दिष्ट भरती के तरीकों में से किसी एक तरीके द्वारा चयन करने के बाद की जाएगी अन्यथा नहीं ।

8. सीधी भरती के लिये पात्रता की शर्ते - चयन के लिये पात्र होने हेतु अभ्‍यर्थी को निम्नलिखित शर्ते पूरी करनी होंगी, अर्थात् -

(एक) आयु- (क) उसने चयन प्रारंभ किये जाने की तारीख से आगामी जनवरी के प्रथम दिन को अनुसूची-तीन के कालम 3 में यथा विनिर्दिष्ट आयु पूरी कर ली हो तथा उक्त अनुसूची के कालम 4 में विनिर्दिष्ट आयु पूरी न की हो;

(ख) यदि अभ्यर्थी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का हो, तो उच्चतर आयु सीमा में अधिकतम 5 वर्ष तक की छूट होगी;

(ग) उन अभ्यर्थियों के संबंध में जो कि मध्य प्रदेश सरकार के कर्मचारी हों या रह चुके हों उस सीमा तक नीचे विनिर्दिष्ट शर्तो के अधीन रहते हुये उच्चतर आयु सीमा में छूट दी जाएगी-

(एक) ऐसा अभ्यर्थी, जो स्थायी, सरकारी सेवक हो, 38 वर्ष से अधिक आयु नहीं होना चाहिये,

(दो) ऐसा अभ्यर्थी, जो अस्थायी पद धारण करता हो तथा किसी अन्य पद के लिये आवेदन कर रहा हो 38 वर्ष से अधिक आयु का नहीं होना चाहिये । यदि रियायत आकस्मिकता निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारियों, कार्यभारित कर्मचारियों तथा परियोजना कार्यान्वयन समितियों में कार्य कर रहे कर्मचारियों को भी अनुज्ञेय होगी ।

(तीन) ऐसा अभ्यर्थी, जो छटनी किया गया सरकारी कर्मचारी हो, उसे अपनी आयु में से उसके द्वारा पूर्व में की गई सम्पूर्ण अस्थायी सेवा की 7 वर्ष की अधिकतम सीमा तक की कालावधि, भले ही वह कालाबधि एक से अधिक बार की गई सेवाओं का योग हो, कम करने के लिये अनुज्ञात किया जायेगा, बशर्ते कि इसके परिणामस्वरूम जो आयु निकले वह अधिकतम आयु सीमा से तीन वर्ष से अधिक न हो ।

स्पष्टीकरण- पद छटनी किया गया सरकारी कर्मचारी से द्योतक है ऐसा व्यक्ति जो इस राज्य की या संघटक इकाइयों में से किसी भी अस्थाई सरकारी सेवा में कम से कम 6 मास की निरन्तर कालावधि तक रहा हो और जिसे रोजगार कार्यालय में अपना रजिस्ट्रीकरण कराने या सरकारी सेवा में नियोजन हेतु अन्यथा आवेदन पत्र देने की तारीख से अधिक से अधिक तीन वर्ष पूर्व स्थापना में कमी किए जाने के कारण सेवोन्मुक्त किया गया था ।

(चार) ऐसे अभ्यर्थी को, जो भूतपूर्व सैनिक है, अपनी आयु में से उसके द्वारा पूर्व में की गई संपूर्ण प्रतिरक्षा सेवा की कालावधि कम करने के लिए अनुज्ञात किया जाएगा बशर्ते कि उसके परिणामस्वरूप जो आयु निकले वह उच्चतर आयु सीमा से 3 वर्ष से अधिक न हो ।

स्पष्टीकरण- पद ''भूतपूर्व सैनिक'' से द्योतक है ऐसा व्यक्ति, जो निम्नलिखित प्रवर्गों में से किसी एक प्रवर्ग का हो तथा जो भारत सरकार के अधीन कम से कम 6 मास की निरंतर कालावधि तक नियोजित रहा था और जिसकी किसी भी रोजगार कार्यालय में अपना रजिस्ट्रीकरण कराने या सरकारी सेवा में नियोजन हेतु अन्यथा आवेदन करने की तारीख से अधिक तीन वर्ष पूर्व मितव्ययिता इकाई की सिफारिशों के परिणामस्वरूप या स्थापना में सामान्य रूप से कमी की जाने के कारण छटनी की गई थी, या जिसे अधिशिष्ट घोषित कर दिया गया था—

(एक) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जो मस्टरिंग आउट कन्सेशन के अधीन नियुक्त किए गए हों,

(दो) ऐसे भूतपूर्व सैनिक जिन्हें दुबारा भर्ती किया हो, और जिन्हें -

(क) अल्पावधि वचनबन्ध पूर्ण हो जाने पर,

(ख) भरती की शर्तों को पूर्ण कर लेने पर सेवोन्मुक्त कर दिया गया हो ।

(तीन) मद्रास सिविल इकाई (यूनिट) के भूतपूर्व कर्मचारी,

(चार) ऐसे अधिकारी सैनिक तथा सिविल (जिसमें अल्पावधि सेवा में नियमित कमीशन अधिकारी भी आते हैं) जिन्हें उनकी संविदा पूर्ण होने पर सेवोन्मुक्त किया गया हो,

(पांच) ऐसे अधिकारी, जिन्हें अवकाश रिक्तियों पर 6 मास से अधिक समय तक निरंतर कार्य कर लेने के पश्चात सेवोन्मुक्त किया गया हो,

(छ:) ऐसे भूतपूर्व सैनिक जिन्हें अशक्त होने के कारण सेवा से अलग कर दिया गया हो,

(सात) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें इस आधार पर सेवोन्मुक्त किया गया हो कि वे दक्ष सैनिक बनने योग्य नहीं हें,

(आठ) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिनकी गोली लगने, घाव आदि के कारण चिकित्सीय आधार पर सेवा से अलग कर दिया गया हो,

(घ) विधवा परित्यक्ता तथा तलाकशुदा महिला अभ्यार्थियों के लिये सामान्य

उच्चतर आयु सीमा 35 वर्ष तक की होगी;

(ड) परिवार कल्याण कार्यक्रम के अधीन उन अम्यर्थियों को, जो ग्रीन कार्ड धारक हों, उच्चतर आयु सीमा में अधिकतम 2 वर्ष तक की छूट दी जाएगी;

(च) आदिम जाति, अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की अन्तर्जातीय विवाह ''प्रोत्साहन'' योजनान्तर्गत पुरस्कृत दम्पतियों के सवर्ण पार्टनर को सामान्य अधिकतम आयु सीमा में पाँच वर्ष की छूट दी जाएगी;

(छ) विक्रम पुरस्कारधारकों के सम्बन्ध में भी उच्चतर आयु सीमा में पाँच वर्ष तक की छूट दी जाएगी;

(ञ) मध्य प्रदेश राज्य निगम/मंडल के कर्मचारियों को अधिकतम आयु सीमा में 38 वर्ष तक की आयु सीमा तक छूट दी जाएगी;

(झ) उच्चतर आयु सीमा में स्वयं सेवी, नगर सैनिकों तथा नगर सेना के नान कमिशन्ड अधिकारियों के मामले में उनके द्वारा की गई सेवा की कालावधि तक, जो कि 8 वर्ष की सीमा के अध्यधीन होगी छूट दी जाएगी किन्तु किसी भी मामले में उसकी आयु 38 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिये ।

टीप- ऐसे अभ्यर्थी, जिन्हें उपरोक्त नियम 8 (1) (ग) (एक) तथा (दो) में उल्लिखित आयु सीमा रियायतों के अधीन चयन के लिए पात्र पाया गया है, यदि वे आवेदन पत्र प्रस्तुत करने के पश्चात चयन किए जाने के पूर्व या उसके बाद सेवा से त्याग पत्र देते हैं तो वे नियुक्ति के लिए पात्र नहीं रहेंगे, तथापि यदि आवेदन पत्र भेजने के पश्चात उनकी सेवा अथवा पद से छटनी की जाये तो वे नियुक्ति के पात्र बने रहेंगे किसी अन्य मामले में आयु सीमाएँ शिथिल नहीं की जाएगी । विभागीय अभ्यर्थियों को चयन के लिए उपस्थित होने हेतु नियुक्ति प्राधिकारी के पूर्व अनुज्ञा प्राप्त करनी होगी ।

(दो) शैक्षणिक अर्हताऐं - उसके पास सेवा के लिए विहित ऐसी शैक्षणिक अर्हता होनी चाहिये जो अनुसूची-तीन के कालम 5 में दर्शाई गई है, परन्तु-

(क) आपवादिक मामलों में सरकार के आदेश द्वारा किसी ऐसे अभ्यर्थी को अर्हता प्राप्त अभ्यर्थी माना जा सकेगा जिसके पास यद्यपि इस खण्ड में विहित अर्हताओं में से कोई भी अर्हता न हो, किन्तु जिसने किसी अन्य संस्था द्वारा संचालित परीक्षाएं ऐसे स्तर से उत्तीर्ण की हों, जिसके कारण नियुक्ति प्राधिकारी की राय में अभ्यर्थी का चयन के लिए विचार किया जाना न्यायोचित हो; और

(ख) ऐसे अभ्यर्थी जो अन्यथा अर्हता प्राप्त हों किन्तु जिन्होंने ऐसे विदेशी विश्वविद्यालयों से उपाधियाँ प्राप्त की हों जो सरकार द्वारा विशिष्ट रूप से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय न हों, सरकार के आदेश से बोर्ड / चयन समिति के विवेकानुसार चयन के लिए विचार किया जा सकेगा ।

(तीन) फीस-अम्यर्थी को नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा विहित की गई फीस का भुगतान करना होगा ।

9. निरर्हता अभ्यर्थी की ओर से अपनी अभ्यर्थिता - निरर्हता अभ्यर्थी की ओर से अपनी अभ्यर्थिता के लिए किन्हीं भी साधनों से समर्थन अभिप्राप्त करने के किसी भी प्रयत्न को बोर्ड / चयन समिति द्वारा उसके चयन के लिए निरर्हता के रूप में माना जा सकेगा ।

10. अभ्यर्थी की पालता के सम्बन्ध में चयन समिति का विनिश्चय अन्तिम होगा- चयन के लिए अभ्यर्थी की पात्रता या अन्य बात के सम्बन्ध में बोर्ड / चयन समिति का विनिश्चय अन्तिम होगा तथा ऐसे किसी भी अभ्यर्थी को परीक्षा में उपसंजात होने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जाएगा जिसे प्रवेश प्रमाण-पत्र जारी न किया गया हो ।

11 . प्रतियोगी परीक्षा द्वारा सीधी भरती- (एक) सेवा में सीधी भर्ती के लिये प्रतियोगी परीक्षा ऐसे अन्तरालों से ली जाएगी जैसी नियुक्ति प्राधिकारी समय-समय पर अवधारित करे ।

(दो) सेवा के लिये अभ्यर्थियों का चयन बोर्ड-चयन समिति द्वारा उनका साक्षात्कार लेने के पश्चात् किया जाएगा ।

(तीन) सीधी भर्ती के लिये उपलब्ध रिक्तियों में से 15 प्रतिशत तथा 18 प्रतिशत रिक्तियाँ उन अभ्यर्थियो के लिये आरक्षित रखी जायेंगी, जो क्रमश: अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्य हैं, इसके अतिरिक्त उपलब्ध रिक्तियों का 3 प्रतिशत ऐसे विकलांगों के लिये रक्षित किया जायेगा जिनकी नि:शुक्ता शैक्षणिक कार्य में प्रतिबाधक न हो ।

(चार) इस प्रकार आरक्षित रिक्तियों को भरते समय उन अभ्यर्थियों की, जो विकलांग, अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्य हों, नियुक्ति के लिए उसी क्रम में विचार किया जाएगा जिसमें उनके नाम नियम 12 में निर्दिष्ट सूची में आये हों चाहे अन्य अभ्यर्थियों की तुलना में उनका सापेक्षित क्रम कुछ भी क्यों न हो ।

(पांच) अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के उन अभ्यर्थियों को, जिन्हें बोर्ड / चयन समिति द्वारा प्रशासन की दक्षता बनाये रखने का सम्यक् ध्यान रखते हुये सेवा में नियुक्ति के लिए उपयुक्त घोषित किया गया हो, उपनियम (3) के अधीन, यथास्थिति, अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के अम्यर्थियों के लिए आरक्षित रिक्तियों पर नियुक्त किया जा सकेगा ।

(छ:) यदि अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थी उनके लिये आरक्षित सभी रिक्तियों को भरने के लिये पर्याप्त संख्या में उपलब्ध न हो, तो शेष रिक्तियां यथास्थिति केवल उन्हीं अभ्यर्थियों के लिए ही दो बार विज्ञापित की जायेगी । यदि पुन: विज्ञापन के पश्चात् भी कोई रिक्तियाँ बिना भरी रह जाएँ, तो वे सामान्य अभ्यर्थियों में से भरी जाएँगी और पश्चात्‌वर्ती चयन के दौरान, यथास्थिति, अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिए उतनी ही संख्या में अतिरिक्त रिक्तियाँ आरक्षित रखी जाएँगी :

परन्तु अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिये आरक्षित रिक्तियों की कुल संख्या (अग्रनीत रिक्तियों को सम्मिलित करते हुये) विज्ञापित की गई कुल रिक्तियों के पैंतालीस प्रतिशत से किसी भी समय अधिक नहीं होगी ।

12. चयन समिति/बोर्ड द्वारा सिफारिश किए गए अम्यर्थियों की सूची- (1) चयन समिति / बोर्ड अपने द्वारा अवधारित किये गये मानकों के अनुसार अर्हित अभ्यर्थियों को योग्यता क्रम से बनाई गई सूची और अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के उन अभ्यर्थियों की सूची जो यद्यपि उक्त मानक के अनुसार अर्हित नहीं है, किन्तु जिन्हें चयन समिति-बोर्ड ने प्रशासन में दक्षता बनाये रखने का सम्यक् ध्यान रखते हुए, सेवा में नियुक्ति के लिए उपयुक्त घोषित किया है, नियुक्ति प्राधिकारी को अग्रेषित करेगा । यह सूची सर्वसाधारण की जानकारी के लिए प्रकाशित भी की जाएगी ।

(2) इन नियमों तथा मध्य प्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 के उपबन्धों के अधीन रहते हुये, उपलब्ध रिक्तियों पर नियुक्ति के लिये सूची में अभ्यर्थियों का उस क्रम में विचार किया जायेगा जिसमें उनके नाम सूची में आये हैं ।

(3) सूची में किसी अभ्यर्थी का नाम सम्मिलित किये जाने से ही उसे नियुक्ति का कोई अधिकार प्राप्त नहीं हो जाता, तब तक नियुक्ति प्राधिकारी का ऐसी जांच करने के बाद जैसी वह आवश्यक समझे, यह समाधान नहीं हो जाए कि अभ्यर्थी सेवा में नियुक्ति के लिये सभी प्रकार से उपयुक्त है ।

(4) चयन सूची, चयन समिति / बोर्ड द्वारा उसके जारी किये जाने की तारीख से एक वर्ष की कालावधि के लिये विधिमान्य होगी ।

13. पदोन्नति द्वारा नियुक्ति— (1) पात्र अम्यर्थियों की पदोन्नति प्रारम्भिक चयन करने के लिए एक विभागीय पदोन्नति समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें अनुसूची चार में उल्लिखित सदस्य समाविष्ट होंगे |

(2) समिति की बैठक सामान्यत: एक वर्ष से अनधिक के अन्तरालों में होगी ।

(3) ऐसे पदों में जिनमें अनुसूची-दो में. यथाविनिर्दिष्ट पदोन्नति की प्रतिशतता 33/1/8 प्रतिशत या उससे अधिक हो पदोन्नति के लिए उपलब्ध रिक्तियों के 15 प्रतिशत तथा 18 प्रतिशत रिक्तियां क्रमश: अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के उन पदाधिकारियों के लिये आरक्षित रखी जायेंगी जो नियम 14 के उपबन्धों के अनुसार पदोन्नति के लिए पात्र हों ।

(4) आरक्षित रिक्तियों में पदोन्नति करने के लिये प्रक्रिया सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किये गये अनुदेशों के अनुसार होगी ।

14. पदोन्नति के लिए पात्रता सम्बन्धी शर्ते - (1) उपनियम (2) के उपबन्धों के अधीन रहते हुये, समिति ऐसे सभी व्यक्तियों के मामलों पर विचार करेगी, जिन्होंने उस वर्ष की पहली जनवरी को अनुसूची चार में विनिर्दिष्ट उन पदों पर जिनसे पदोन्नति की जानी है, कम से कम उतने वर्षो की सेवा चाहे स्थानापन्न रूप में था मूल रूप में, पूर्ण कर ली हो और जो उप- नियम (2) के उपबन्धों के अनुसार विचारण के क्षेत्र में हो :

परन्तु किसी कनिष्ट व्यक्ति को, उससे वरिष्ठ व्यक्ति पर अधिमान्यता देकर, उसे चयन ग्रेड / पदोन्नति के लिये केवल इस आधार पर विचार नहीं किया जायेगा कि उसने विहित वर्षो की सेवा पूर्ण कर ली है ।

(2) चयन का क्षेत्र सामान्यत: योग्यता तथा वरिष्ठता के आधार पर (मेरिट-कम-सीनि-यरटी) भरे जाने वाले पदों के सम्बन्ध में चयन सूची में सम्मिलित किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या के सात गुना तक और ''वरिष्ठता तथा योग्यता'' के आधार पर भरे जाने वाले पदों के सम्बन्ध में चयन सूची मे सम्मिलित किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या के पाँच गुना तक सीमित होगी :

परन्तु यदि इस प्रकार अवधारित किये गये क्षेत्र में, अपेक्षित संख्या में उपयुक्त कर्मचारी उपलब्ध न हो तो समिति द्वारा उस क्षेत्र को उस सीमा तक बढ़ाया जा सकेगा, जिस सीमा तक समिति द्वारा उसके लिये लिखित कारणों का उल्लेख करते हुये आवश्यक समझा जाये ।

15. उपयुक्त व्यक्तियों की सूची का तैयार किया जाना- (1) समिति ऐसे व्यक्तियों की एक सूची तैयार करेगा जो उपर्युक्त नियम 14 में विहित शर्ते पूरी करते हो तथा जिन्हें समिति द्वारा सेवा में पदोन्नति के लिये उपयुक्त ठहराया गया हो । यह सूची, चयन सूची तैयार किये जाने की तारीख से एक वर्ष के दौरान सेवा निवृत्ति तथा पदोन्नति के कारण होने वाली प्रत्याशित रिक्तियों को भरने के लिए, पर्याप्त होगी ।

उक्त सूची में सम्मिलित व्यक्तियों की संख्या के 25 प्रतिशत व्यक्तियों की एक आरक्षित सूची भी पूर्वोक्त कालावधि के दौरान होने वाली अनवेक्षित रिक्तियों को भरने के लिये तैयार की जायेगी ।

(2) ऐसी सूची में सम्मिलित करने के लिए किया जाने वाला चयन वरिष्ठता का सम्यक् ध्यान रखते हुये सभी दृष्टि से योग्यता तथा उपयुक्तता पर आधारित होगा ।

(3) ऐसी चयन सूची के तैयार किए जाने के समय सूची में सम्मिलित व्यक्तियों के नाम, अनुसूची-चार के कालम (2) में यथा-विनिर्दिष्ट सेवा या पदों में वरिष्ठता के क्रम में रखे जायेगे :

परन्तु किसी ऐसे कनिष्ट व्यक्ति को, जो समिति की राय में असाधारण रूप से योग्य तथा उपयुक्त हो, उससे वरिष्ठ व्यक्ति की तुलना में सूची में उच्चतर स्थान दिया जा सकेगा ।

स्पष्टीकरण- ऐसे किसी व्यक्ति का, जिसका नाम चयन सूची में सम्मिलित किया गया हो, किन्तु जो सूची की विधि-मान्यता के दौरान पदोन्नत न किया गया हो, केवल उसके पूर्वतर चयन के तथ्य से ही उन व्यक्तियों के ऊपर, जिन पर पश्चात्‌वर्ती चयन में विचार किया गया है, वरिष्ठता का कोई दावा नहीं रहेगा ।

(4) इस प्रकार तैयार की गई सूची का प्रति वर्ष पुनर्विलोकन तथा पुनरीक्षण किया जाएगा ।

(5) यदि इस प्रकार के चयन, पुनर्विलोकन या पुनरीक्षण के दौरान सेवा के किसी सदस्य को अतिष्ठित किया जाना प्रस्तावित किया जाए तो समिति प्रस्तावित अधिक्रमण के सम्बन्ध में अपने कारणों को लेखबद्ध करेगी ।

16. चयन सूची – (1) नियुक्ति प्राधिकारी, समिति द्वारा तैयार की गई चयन सूची पर सुसंगत अभिलेख के साथ विचार करेगा तथा जब तक वह कोई परिवर्तन आवश्यक न समझे, सूची को अनुमोदित करेगा ।

(2) यदि नियुक्ति प्राधिकारी समिति से प्राप्त चयन सूची में कोई परिवर्तन करना आवश्यक समझता है तो वह उक्त सूची प्रस्तावित परिवर्तनों के कारण सहित समिति को लौटा देगा । समिति प्रस्तावित परिवर्तनों पर विचार करने के पश्चात, जैसा उसकी राय में न्यायसंगत तथा उचित हो, सूची में उपान्तरण कर सकेगी |

(3) नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा अन्तिम रूप से अनुमोदित सूची सेवा के सदस्यों की अनूसूची चार के कालम (2) में विनिर्दिष्ट पदों से उक्त अनुसूची के कालम (3) में विनिर्दिष्ट पदों पर पदोन्नति के लिए चयन सूची होगी ।

(4) चयन सूची सामान्यत: तब तक प्रवृत्त रहेगी जब तक नियम 15 के उपनियम 4 के अनुसार उसका पुनर्विलोकन या पुनरीक्षण नहीं कर लिया जाता किन्तु उसकी विधिमान्यता उसके तैयार किये जाने की तारीख से 18 मास की कुल कालावधि से परे नहीं बढ़ाई जाएगी :

परन्तु चयन सूची में सम्मिलित किसी व्यक्ति की ओर से आचरण या कर्त्तव्यों के निर्वहन में गम्भीर चूक होने की दशा में चयन सूची का विशेष से रूप पुनर्विलोकन नियुक्ति प्राधिकारी की प्रेरणा पर किया जा सकेगा तथा नियुक्ति प्राधिकारी, यदि वह उचित समझे, चयन सूची में से ऐसे व्यक्ति का नाम हटा सकेगा ।

17. चयन सूची में सेवा में नियुक्ति - (1) चयन सूची में सम्मिलित व्यक्तियों की सेवा संवर्ग के पदों पर नियुक्तियां उसकी क्रम से की जाएगी जिस क्रम से ऐसे व्यक्तियों के नाम चयन सूची में आये हों ।

(2) साधारणतया उस व्यक्ति की, जिसका नाम चयन सूची में सम्मिलित हो, किसी व्यक्ति के सेवा में नियुक्ति के पूर्व समिति से परामर्श करना तब तक आवश्यक नहीं होगा जब तक कि चयन सूची में उसका नाम शामिल किये जाने तथा प्रस्तावित नियुक्ति की तारीख के बीच की कालावधि के दौरान उसके कार्य में कोई ऐसी गिरावट न आई हो जो नियुक्ति प्राधिकारी की राय में ऐसी हो जिसके कारण वह सेवा में नियुक्ति के लिये अनुपयुक्त हो गया हो ।

18. परिवीक्षा- सेवा में सीधी भर्ती किये गये प्रत्येक व्यक्ति को दो वर्ष की कालावधि के लिए परिवीक्षा पर नियुक्त किया जाएगा ।

19. निर्वचन - यदि इन नियमों के निर्वचन के सम्बन्ध में कोई प्रश्न उद्‌भूत होता है तो वह सरकार को निर्दिष्ट किया जायेगा, जिसका उस पर विनिश्चय अन्तिम होगा ।

20. छूट -- इन नियमों में की किसी भी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह ऐसे किसी व्यक्ति के मामले में, जिसमें वे नियम लागू होते हों, ऐसी रीति में कार्यवाही करने की जो उसे न्याय संगत तथा साम्यापूर्ण प्रतीत होती हो, राज्यपाल की शक्ति को सीमित या कम करती है :

परन्तु किसी मामले को ऐसी रीति से निपटाया नहीं जायेगा जो इन नियमों में उपबंधित रीति की अपेक्षा उसके लिए कम अनुकूल हो ।

21. व्यावृत्ति- इन नियमों में की कोई भी बात अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर इस संबंध में जारी किए आदेशों के अनुसार उपबंधित किए जाने हेतु अपेक्षित आरक्षण तथा अन्य रियायतों को प्रभावित नहीं करेंगी ।

22. निरसन- वे समस्त नियम, जो इन नियमों के तत्स्थानी और इसके प्रारम्भ होने के ठीक पूर्व प्रवृत्त हों इन नियमों के अंतर्गत आने वाले विषयों के संबंध में एतदद्वारा निरस्त किए जाते हैं :

परन्तु इस प्रकार निरसित नियमों के अधीन किए गए किसी आदेश या की गई कार्रवाई के संबंध में यह समझा जाएगा कि वह इन नियमों के तत्स्थानी उपबंधों के अधीन किया गया है या की गई हैं ।


अनुसूची – एक

(नियम 4 और 5 देखिये)

क्रमांक

सेवा में सम्मिलित पदों के नाम

पदों की संख्या

वर्गीकरण

पुनरीक्षित वेतनमान में वेतनमान

नियुक्ति प्राधिकारी

(1)

(2)

(3)

(4)

(5)

(6)

1

व्याख्याता

19

तृतीय श्रेणी शैक्षणिक (अलिपिकीय)

1. 1640-2900

2. 2000-3500

आयुक्त उच्च शिक्षा

12 वर्ष की सेवा पूर्व होने पर तथा विभागीय पदोन्नति समिति द्वारा योग्य पाए जाने पर |

2.

शिक्षक / प्रशिक्षित स्नातक

19+1=20

तदैव

1. 1400-2640

2. 1640-2900

तदैव

12 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर तथा विभागीय पदोन्नति समिति द्वारा योग्य पाए जाने पर |

3.

सहायक व्याख्याता / सहायक शिक्षक

08+22=30

तदैव

1. 1200-2040

2. 1400-2640

तदैव

12 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर तथा विभागीय पदोन्नति समिति द्वारा योग्य पाए जाने पर |

( अनुसूची)

[ नियम 6 (2) देखिये ]

क्र

विभाग का नाम

सेवा में सम्मिलित पदों के नाम

कर्तव्य पदों की कुल संख्या

भरे जाने वाले कर्तव्य पदों का प्रतिशत

अन्य सेवाओं से व्यक्तियों के स्थान्नातरण द्वारा

सीधी भर्ती द्वारा प्रतिशत

पदोन्नति द्वारा प्रतिशत

(1)

(2)

(3)

(4)

(5)

(6)

(7)

1.

उच्च शिक्षा विभाग,

उच्च शिक्षा संचालनालय, शासकीय / संस्कृत महाविद्यालय

व्याख्याता

शिक्षक / प्रतिशत स्नातक (ट्रेड ग्रेजुएट, सहायक व्याख्याता/ सहायक शिक्षक

19

20

80+20=30

50

50

100

50

50

...

....

...

अनुसूची- तीन

[ नियम 8 देखिये ]

क्रमांक

सेवा में सम्मिलित पदों का नाम

न्यूनतम आयु सीमा

अधिकतम आयु सीमा

शैक्षणिक अर्हताएं

चयन समिति के सदस्यों के नाम

(1)

(2)

(3)

(4)

(5)

(6)

1

व्‍याख्‍याता

21 वर्ष

30 वर्ष

(1) संबंधित विषय में मान्‍यता प्राप्‍त संख्‍या से आचार्य (द्वितीय श्रेणी में उत्‍तीर्ण)

(2) संस्‍कृत में भिन्‍न विषयों के लिये मान्‍यता प्राप्‍त विश्‍व-विद्यालय से द्वितीय श्रेणी में एम.ए.

(1) अतिरिक्‍त संचालक-अध्‍यक्ष

(2) संयुक्‍त संचालक-सदस्‍य

(3) संयुक्‍त संचालक (प्रभारी संस्‍कृत शिक्षा) – सदस्‍य

2

शिक्षक/प्रशिक्षित स्‍नातक

21 वर्ष

30 वर्ष

(1) संबंधित विषय में मान्‍यता प्राप्‍त संस्‍था से शास्‍त्री (द्वितीय श्रेणी में उत्‍तीर्ण)

(2) संस्‍कृत से भिन्‍न विषयों के लिये मान्‍यता प्राप्‍त विश्‍व-विद्यालय से स्‍नातक उपाधि (द्वितीस श्रेणी में उत्‍तीर्ण)

तदैव

3

सहायक व्‍याख्‍याता/सहायक शिक्षक

21 वर्ष

30 वर्ष

मान्‍यता प्राप्‍त संस्‍था से उत्‍तर मध्‍यमा द्वितीय श्रेणी में उत्‍तीर्ण

तदैव

अनुसूची – चार

[ नियम 13 देखिये ]

विभाग का नाम

उस सेवा या पद का नाम जिससे पदोन्नति की जाना है

उस सेवा या पद का नाम जिस पर पदोन्नति की जाना है

कॉलम (2) में दर्शित पदों पर सेवा के वर्षों की संख्या

पदोन्नति हेतू विहित अर्हताएं अनुभव

विभागीय समिति के नाम

पदोन्नति के सदस्यों

(1)

(2)

(3)

(4)

(5)

(6)

उच्च शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा संचालनालय शासकीय संस्कृत महा- विद्यालय (मध्यप्रदेश)

(1) शिक्षक / प्रशिक्षित स्नातक (ट्रेंड ग्रेजुएट)

व्याख्याता

2

सम्बंधित विषय में मान्यता प्राप्त संस्था से आचार्य उपाधि/स्‍नातकोत्‍तर उपाधि तथा 5 वर्ष का शैक्षणिक अनुभव

(1) अतिरिक्त संचालक-अध्यक्ष

(2) संयुक्त संचालक –सदस्य

(3) संयुक्त संचालक (प्रभारी संस्कृत शिक्षा) –सदस्य तदैव

(2) सहायक व्याख्याता / सहायक शिक्षक

प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक

तदैव

मान्यता प्राप्त संस्था से उत्तर मध्यमा एवं 5 वर्ष का अध्यापन का अनुभव |

तदैव

टीप- सहायक व्याख्याता और प्रशिक्षित स्नातक पदों से पदोन्नतियां होने पर इन संवर्गों के पदोन्नति के फलस्वरूप रिक्त स्थान क्रमश: सहायक शिक्षक और शिक्षक संवर्ग में अंतरित हो जायेंगे । भविष्य में सहायक व्याख्याता और प्रशिक्षित स्नातक के पदों पर भरती पदोन्नति नहीं होगी ।


नवीनीकृत: 11-Apr-2017