नियम

शीर्षक मध्य प्रदेश अल्प बचत एवं राज्य लाटरी (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम 1989
वर्ष 1989
सम्बंधित अधिनियम भारत का संविधान 1950 (भारत का संविधान 1950)
उद्देश्य म.प्र. अल्पबचत एवं राज्य लाटरी (राजपत्रित) सेवा में भर्ती से संबंधित नियम बनाने हेतु
अधिसूचना की तिथि 16/03/1990
लागू करने की तिथि 16/03/1990
क्षेत्राधिकार सम्पूर्ण म.प्र.
विभाग का नाम वित्त विभाग
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विवरण
मध्या प्रदेश अल्प बचत एवं राज्य लाटरी (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम, 1989
1 संक्षिप्त नाम
2 परिभाषाएं
3 विस्तार तथा लागू होना
4 सेवा का गठन
5 वर्गीकरण, वेतनमान आदि
6 भरती के तरीके
7 सेवा में नियुक्ति
8 पदोन्नति द्वारा नियुक्ति
9 पदोन्नति के लिये पात्रता सम्बन्धी शर्त
10 उपयुक्त अधिकारियों की सूची तैयार करना
11 आयोग से परामर्श
12 चयन सूची
13 चयन सूची से सेवा में नियुक्ति
14 निर्वचन
15 शिथिलीकरण
16 व्यावृत्ति
17 निरसन तथा व्यावृत्ति
18 अनुसूची एक
19 अनुसूची – दो
20 अनुसूची – तीन

मध्‍य प्रदेश अल्प बचत एवं राज्य लाटरी (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम , 1989

क्र० एफ० 18 (सी)-4-85- नि-3-चार-भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परंतुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुये, मध्य प्रदेश के राज्यपाल, एतद्द्वारा, मध्य प्रदेश अल्प वचत एवं राज्य लाटरी (राजपत्रित) सेवा में भरती से सम्बन्धित निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात्-

नियम

1. संक्षिप्त नाम- इन नियमों का संक्षिप्त नाम मध्य प्रदेश अल्प बचत एवं राज्य लाटरी (राजपत्रित) सेवा भरती नियम, 1989 है ।

2. परिभाषायें- इन नियमों में जब तक प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो-

(क) सेवा के सम्बन्ध में ''नियुक्ति प्राधिकारी'' से अभिप्रेत है सरकार;

(ख) ''आयोग'' से अभिप्रेत है मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग;

(ग) ''अनुसूची'' से अभिप्रेत है इन नियमों से संलग्न अनुसूची;

(घ) ''अनुसूचित जाति'' से अभिप्रेत है कोई जाति, मूलवंश या जनजाति अथवा किसी जाति, मूलवंश या जनजाति का भाग या उसमें का यूथ, जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 341 के अधीन मध्य प्रदेश राज्य के सम्बन्ध में अनुसूचित जातियों के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है;

(ङ) ''अनुसूचित जाति'' से अभिप्रेत है कोई जनजाति या जनजाति समुदाय अथवा किसी जनजाति या जनजाति में समुदाय का भाग या उसमें का यूथ, जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के अधीन मध्य प्रदेश राज्य के सम्बन्ध में उस रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है;

(च) ''सेवा'' से अभिप्रेत है मध्य प्रदेश अल्प बचत एवं राज्य लाटरी सेवा ।

3. विस्तार तथा लागू होना- मध्य प्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 में अन्तर्विष्ट उपबन्धों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ये नियम सेवा के प्रत्येक सदस्य पर लागू होंगे ।

4. सेवा का गठन- सेवा में निम्नलिखित व्यक्ति होंगे, अर्थात्-

(1) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के प्रारम्भ होने' के समय अनुसूची एक में विनिर्दिष्ट पद मूल रूप से धारण कर रहे हों, या स्थानापन्न हैसियत से धारण कर रहे हों;

(2) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के प्रारम्भ होने के पूर्व सेवा में भर्ती किये गये हों; और

(3) वे व्यक्ति, जो इन् नियमों के उपबन्धों के अनुसार सेवा में भरती किये गये हों ।

5. वर्गीकरण वेतनमान आदि- सेवा का वर्गीकरण, सेवा में सम्मिलित पदों की संख्या तथा उनसे संलग्न वेतनमान अनुसूची एक में अन्तर्विष्ट उपबन्धों के अनुसार होंगे :

परन्तु सरकार, सेवा में सम्मिलित पदों की संख्या में या तो स्थायी या अस्थायी आधार पर, समय-समय पर, वृद्धि या कमी कर सकेगी ।

6. भरती का तरीका- (1) इन नियमों के प्रारम्भ होने के पश्चात् सेवा में भरती निम्नलिखित तरीकों से की जायेगी, अर्थात् -

(1) कनिष्ठ पदों से पदोन्नति द्वारा जैसा कि अनुसूची तीन के कालम (2) में दर्शाया गया है ।

(2) इन नियमों के उपबन्धों के अधीन रहते हुये, सेवा में की किसी ऐसी विशिष्ट रिक्त या रिक्तियों को, जिसको या जिनको भरती की किसी विशिष्ट कालावधि के दौरान भरा जाना अपेक्षित हो, भरे जाने के प्रयोजन के लिये अपनाया जाने वाला तरीका या तरीके तथा प्रत्येक तरीके से भरती किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या सरकार द्वारा आयोग के परामर्श से प्रत्येक अवसर पर अवधारित की जायेगी ।

(3) उपनियम (1) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुये भी, यदि सरकार की राय में, सेवा की आवश्यकताओं के कारण ऐसा करना अपेक्षित हो, तो सरकार, सामान्य प्रशासन विभाग की सहमति से और लोक सेवा आयोग के परामर्श से, उक्त उपनियम में विनिर्दिष्ट सेवा में भरती के तरीकों से भिन्न ऐसे तरीकों को अपना सकेगी, जिन्हें कि वह इस सम्बन्ध में जारी. किये गये आदेश द्वारा विहित करें ।

7. सेवा में नियुक्ति -इन नियमों के प्रारम्भ होने के पश्चात् सेवा में समस्त नियुक्तियां सरकार द्वारा की जायेगी तथा ऐसी कोई भी नियुक्ति नियम 6 में विनिर्दिष्ट भरती के तरीकों में से किसी एक तरीके से चयन करने के पश्चात् ही की जायेगी अन्यथा नहीं ।

8. पदोन्नति द्वारा नियुक्ति —(1) पात्र अभ्यर्थियों की पदोन्नति के लिये प्रारम्भिक चयन करने हेतु एक समिति गठित की जायेगी, जिसमें अनुसूची तीन में वर्णित सदस्य होंगे ।

(2) समिति की बैठक सामान्यता एक वर्ष से अनधिक अन्तरालों में होंगी ।

(3) ऐसे पदों पर जिनमें पदोन्नति का प्रतिशतता अनुसूची दो विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार प्रतिशत या उससे अधिक है, पदोन्नति के लिए उपलब्ध रिक्तियों का 15 प्रतिशत तथा 18 प्रतिशत अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के उन अधिकारियों के लिये आरक्षित रखा जायेगा जो नियम 9 के उपबन्धों के अनुसार पदोन्नति के लिए पात्र हों ।

(4) आरक्षित रिक्तियों में पदोन्नतियों के लिये प्रक्रिया, सरकार के सामान्य प्रशासन द्वारा समय पर जारी किए गए अनुदेशों के अनुसार होगी ।

9. पदोन्नति के लिये पात्रता सम्बन्धी शर्त-- (1) उपनियम (2) के उपबन्धों के अधीन रहते हुये, समिति उन समस्त व्यक्तियों के मामलों पर विचार करेगी, जिन्होंने उस वर्ष की 1 जनवरी को, उतने वर्षो की सेवा (चाहे स्थानापन्न या मूल रूप से) अनुसूची-तीन के कालम (4) में विनिर्दिष्ट किए गए उन पदों पर, जिससे पदोन्नति की जानी है, या किसी अन्य पद या पदों पर, जो सरकार द्वारा उसके समतुल्य घोषित किए गए हों, पूरी कर ली हो तथा जो उपनियम (2) के उपबन्धों के अनुसार विचारण के क्षेत्र के भीतर हों :

परन्तु आपातकालीन कमीशन तथा अल्पकालिक सेवा कमीशन के निर्मुक्‍त किए गए अधिकारियों की सेवा में उनकी नियुक्ति के पश्चात् सेवा की संगणना सामान्य प्रशासन विभाग के ज्ञापन क्रमांक 2266-1967-1 (3)-67 दिनांक 21 अक्टूबर, 1967 के अनुसार की जायेगी :

परन्तु यह और भी कि किसी कनिष्ठ व्यक्ति को, उससे वरिष्ठ व्यक्ति पर अधिमानता देकर पदोन्नति पर केवल इस आधार पर विचार नहीं किया जायेगा कि उसने विहीत वर्षों की सेवा पूर्ण कर ली है ।

(2) चयन, वरिष्ठता तथा योग्यता के आधार पर किया जाएगा और चयन का क्षेत्र सामान्यत: चयन सूची में सम्मिलित किये जाने वाले अधिकारियों की संख्या के पांच गुना तक सीमित होगा -

परन्‍तु यदि इस प्रकांर अवधारित किये गये क्षेत्र में, अपेक्षित संख्या में उपयुक्त अधिकारी उपलब्ध न हो. तो क्षेत्र को उस सीमा तक बढाया जा सकेगा जिस सीमा तक सीमित द्वारा उसके लिए लिखित में कारणों का उल्लेख करते हुये आवश्यक समझा जायेगा ।

10. उपयुक्‍त अधिकारियों की सूची तैयार करना- , (1) समिति ऐसे व्यक्तियों की एक सूची तैयार करेगी जो उपर्युक्त नियम 9 में विहित शर्तो को पूरा करते हों तथा जो समिति द्वारा सेवा में पदोन्नति के लिये उपयुक्त ठहराये गये हों, यह सूची चयन सूची तैयार करने की तारीख से एक वर्ष के दौरान सेवा में निवृत्ति तथा पदोन्नति के कारण होने वाली प्रत्याशित रिक्तियों को भरने के लिये पर्याप्‍त होगी । उक्त सूची में सम्मिलित व्यक्तियों की संख्या 25 प्रति- शत व्यक्तियों की एक आरक्षित सूची भी पूर्वोक्त कालावधि के दौरान होने वाली अनवेक्षित रिक्तियों को भरने के लिये तैयार की जायेगी ।

(2) ऐसी सूची में सम्मिलित करने के लिये किया जाने वाला चयन, वरिष्ठता का सम्यक् ध्यान रखते हुये योग्यता तथा सभी प्रकार से उपयुक्तता पर आधारित होगा ।

(3) सूची में सम्मिलित अधिकारियों के नाम, ऐसी प्रत्येक चयन सूची तैयार करते समय अनुसूची-तीन के कालम (2) में यथा वीनिर्दिष्ट सेवा में या पदों में वरिष्ठता के क्रम में रखे जाएंगे :

परन्तु किसी भी ऐसे कनिष्ठ अधिकारी को जो समिति की राय में असाधारण रूप से योग्य तथा उपयुक्त हो, उससे वरिष्ठ अधिकारियों की तुलना में सूची में उच्चतर स्थान दिया जा सकेगा ।

स्पष्टीकरण- ऐसे किसी व्यक्ति का, जिसका नाम चयन सूची में सम्मिलित किया गया हो, किन्तु जो सूची को विधिमान्यता के दौरान पदोन्नत नहीं किया गया हो केवल उसके पूर्ववर्ती चयन के तथ्य से ही, उन व्यक्तियों के ऊपर, जिन पर पश्चात्‌वर्ती चयन में विचार किया गया हो, वरिष्ठता का दावा नहीं होगा ।

(4) इस प्रकार तैयार की गई सूची का प्रतिवर्ष पुनर्विलोकन तथा पुनरीक्षण किया जायेगा ।

(5) यदि चयन, पुनर्विलोकन या पुनरीक्षण प्रक्रिया में निम्नतर सेवा के किसी सदस्य को अधिक्रमित करना प्रस्तावित किया जाये तो समिति प्रस्तावित अधिक्रमण के सम्बन्ध में अपने कारणों को अभिलिखित करेगी ।

11 . आयोग से परामर्श- विभागीय पदोन्नति समिति को सिफारिशों के बारे में, जिसकी अध्यक्षता आयोग के किसी सदस्य द्वारा की जाए, यह समझा जाएगा कि संविधान के अनुच्छेद 320 के खण्ड (3) के उप खण्ड (ख) के अधीन आयोग से परामर्श करने की अपेक्षा का अनुपालन किया गया है और आयोग से पृथक परामर्श आवश्यक नहीं होगा ।

12. चयन सूची- , (1) आयोग द्वारा अन्तिम रूप से अनुमोदित सूची अनुसूची तीन के कालम (2) में दर्शाये गये पदों से सेवा के सदस्यों की सेवा में पदोन्नति के लिये चयन सूची होगी ।

(2) चयन सूची सामान्यत: तब तक प्रवृत्त रहेगी जब तक नियम 10 के उपनियम (4) के अनुसार उसका पुनर्विलोकन या पुनरीक्षण नहीं कर लिया जाता किन्तु उसकी विधि-मान्यता उसके तैयार करने की तारीख से कुल 18 मास की कालावधि के परे नहीं बढ़ाई जायेंगी :

परन्तु चयन सूची में सम्मिलित किसी व्यक्ति की ओर से आचरण या कर्त्तव्यों के पालन में गंभीर चूक होने की दशा में चयन सूची का विशेष रूप से पुनर्विलोकन सरकार के अनुरोध पर किया जा सकेगा, तथा आयोग, यदि वह उचित समझे, ऐसे व्यक्ति का नाम चयन सूची से हटा सकेगा ।

13. चयन सूची से सेवा में नियुक्ति -(1) चयन सूची में सम्मिलित अधिकारियों की सेवा संवर्ग (काडर) में आने वाले पदों पर नियुक्ति उसी क्रम से की जायेगी, जिस क्रम से ऐसे अधिकारियों के नाम चयन सूची में हो :

परन्तु प्रशासकीय अत्यावश्यकताओं के कारण ऐसा करना अपेक्षित हो, वहाँ किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसका नाम चयन सूची में सम्मिलित न हो या जिसका नाम चयन सूची में दिए गए क्रम में अगला न हो, सेवा में नियुक्त किया जा सकेगा जबकि सरकार का यह समाधान हो जाए कि रिक्ति के तीन माह से अधिक समय तक चालू रहने की संभावना नहीं है ।

(2) जिस व्यक्ति का नाम चयन सूची में सम्मिलित हो उसकी सेवा में नियुक्ति के पूर्व आयोग से परामर्श करना सामान्यत: तब तक आवश्यक नहीं होगा, जब तक चयन सूची में उसका नाम सम्मिलित करने तथा प्रस्तावित नियुक्ति की तारीख के बीच की कालावधि के दौरान उसके कार्य में कोई ऐसी गिरावट न आई हो, जो सरकार की राय में ऐसी हो, जिससे उसका सेवा में नियुक्त किया जाना अनुपयुक्त हो जाये ।

14 निर्वचन - यदि इन नियमों के निर्वचन के सम्बन्ध में कोई प्रश्न उद्‌भूत है तो वह सरकार को निर्दिष्ट किया जाएगा जिसका उस पर विनिश्चय अन्तिम होगा ।

15. शिथिलीकरण- इन नियमों में की किसी भी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह ऐसे व्यक्ति के मामले में, जिसको ये नियम लागू होते हैं, राज्यपाल को ऐसी रीति में कार्यवाही करने की शक्ति को, जो उसे न्यायपूर्ण तथा साम्यापूर्ण प्रतीत होती है, सीमित या कम करती है ।

परन्तु किसी मामले को ऐसी रीति से निपटाया नहीं जाएगा, जो इन नियमों में उप- बन्धित रीति की अपेक्षा उसके लिए कम अनुकूल हो ।

16. व्यावृत्ति- इन नियमों में की कोई बात अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जन-जातियों के लिये राज्य सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में, समय-समय पर जारी किए गए आदेशों के अनुसार उपबन्धित किए जाने के लिए अपेक्षित आरक्षण तथा अन्य शर्तो को प्रभावित नहीं करेगी ।

17. निरसन तथा व्यावृत्ति -वे समस्त नियम जो इन नियमों के तत्स्थानी हो तथा जो इन नियमों के प्रारम्भ होने के ठीक पूर्व प्रवृत्त हों, इन नियमों के अन्तर्गत आने वाले विषयों के सम्बन्ध में एतद्द्वारा निरस्त किए जाते है :

परन्तु इस प्रकार निरसित नियमों के अधीन किए गए किसी आदेश या की गई किसी कार्यवाई के सम्बन्ध में यह समझा जाएगा कि वह इन नियमों के तत्स्थानी उपबन्धों के अधीन किया गया है या की गई है ।

अनुसूची एक

[नियम 4 तथा 5 देखिये]

क्र.

सेवा में सम्मिलित पदों के नाम

पदों की संख्या

वर्गीकरण

वेतनमान

(1)

(2)

(3)

(4)

(5)

1.

संचालक

1

प्रथम श्रेणी

आई०ए० काडर के अधिकारी का निजी वेतनमान |

2.

संयुक्त संचालक

2

प्रथम श्रेणी

3200-100-3500-125-4500

3.

सहायक संचालक

1

द्वितीय श्रेणी

1820-60-2300-75-3000-100-3300

4.

संभागीय अल्प बचत अधिकारी

9

तदैव

1820-60-2300-75-3000-100-3300

5.

लेखाधिकारी

1

तदैव

1820-60-2300-75-3000-100-3300


अनुसूची – दो

[ नियम 6 देखिये ]

अनुसूची – तीन

[ नियम 8 (1) तथा 9 (1) देखिये ]


नवीनीकृत: 12-Apr-2017