नियम

शीर्षक म.प्र. रोजगार सेवा (राजपत्रित) भरती नियम 1991
वर्ष 1991
सम्बंधित अधिनियम भारत का संविधान 1950 (भारत का संविधान 1950)
उद्देश्य म.प्र. रोजगार सेवा (राजपत्रित) भरती नियमों से संबंधित नियम बनाने हेतु ।
अधिसूचना की तिथि 16/08/1991
लागू करने की तिथि 16/08/1991
क्षेत्राधिकार सम्पूर्ण म.प्र.
विभाग का नाम वाणिज्य, उद्योग और रोजगार विभाग
डाउनलोड View Document(Rule_1991_0543_Pdf_F980_Hindi.pdf)(470.315 Kb)

नोट:- पीडीएफ दस्तावेज़ के ठीक प्रदर्शन के लिए दस्तावेज़ डाउनलोड करें

विवरण
मध्य प्रदेश रोजगार सेवा (राजपत्रित) भरती नियम, 1991
1 संक्षिप्त नाम
2 परिभाषाएँ
3 विस्तार तथा लागू होना
4 सेवा का गठन
5 वर्गीकरण, वेतनमान आदि
6 भरती का तरीका
7 सेवा में नियुक्ति
8 सीधी भरती के लिए पात्रता की शर्ते-
9 निरर्हता
10 अभ्यर्थियों की पात्रता के सम्बन्ध में आयोग का विनिश्चय अन्तिम होगा
11 प्रतियोगी परीक्षा द्वारा सीधी भरती
12 आयोग द्वारा सिफारिश किये गये अभ्यर्थियों की सूची
13 पदोन्नति द्वारा नियुक्ति
14 पदोन्नति के लिये पात्रता सम्बन्धी शर्तें
15 उपयुक्त अधिकारियों की सूची का तैयार किया जाना
16 आयोग से परामर्श
17 चयन सूची
18 चयन सूची से सेवा में नियुक्ति
19 परिवीक्षा
20 निर्वचन
21 शिथिलीकरण
22 व्यावृत्ति
23 निरसन तथा व्यावृत्ति
24 अनुसूची-एक
25 अनुसूची-दो
26 अनुसूची-तीन
27 अनुसूची-चार

मध्य प्रदेश रोजगार सेवा (राजपत्रित) भरती नियम , 1991

क्र० एफ-1-21-89 बयालीस-2-भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुये, मध्य प्रदेश के राज्यपाल, एतद्द्वारा, मध्य प्रदेश रोजगार सेवा (राजपत्रित) भरती नियमों से सम्बन्धित निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात् -

नियम

1 . संक्षिप्त नाम- इन नियमों का संक्षिप्त नाम मध्य प्रदेश रोजगार सेवा राजपत्रित भरती नियम, 1991 है ।

2. परिभाषाएँ - इन नियमों में जब तक सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो-

(क) सेवा के सम्बन्ध में 'नियुक्ति प्राधिकारी' से अभिप्रेत है, सरकार,

(ख) 'आयोग' से अभिप्रेत है, मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग,

(ग) 'परीक्षा' से अभिप्रेत है, नियम 11 के अधीन ली जाने वाली प्रतियोगी परीक्षा,

(घ) 'अनुसूची' से अभिप्रेत है इन नियमों से संलग्न अनुसूची,

(ड) 'अनुसूचित जाति' से अभिप्रेत है कोई जाति, मूलवंश या जनजाति अथवा किसी जाति, मूलवंश या जनजाति का भाग या उसमें का यूथ, जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 341 के अधीन मध्य प्रदेश राज्य के सम्बन्ध में अनुसूचित जातियों के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है,

(च) अनुसूचित जनजाति' से अभिप्रेत है कोई जनजाति या जनजाति समुदाय अथवा किसी जनजाति या जनजाति समुदाय का भाग या उसमें यूथ, जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के अधीन मध्य प्रदेश राज्य के सम्बन्ध में ऐसी अनुसूचित जनजाति के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है

(छ) 'सेवा' से अभिप्रेत है मध्य प्रदेश रोजगार सेवा (राजपत्रित),

(ज) 'राज्य' से अभिप्रेत है मध्य प्रदेश राज्य ।

3. विस्तार तथा लागू होना- मध्य प्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 में अन्तर्विष्ट उपबन्धों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ये नियम सेवा के प्रत्येक सदस्य को लागू होंगे ।

4. सेवा का गठन -सेवा में निम्नलिखित व्यक्ति होंगे, अर्थात्-

(1) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के प्रारम्भ होने के समय अनुसूची-एक में विनिर्दिष्ट पदों को मूल रूप से धारण कर रहे हों;

(2) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के प्रारम्भ होने के पूर्व सेवा में भरती किये गये हों; और

(3) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के उपबन्धों के अनुसार सेवा में भरती किये गये हों ।

5. वर्गीकरण, वेतनमान आदि-सेवा का वर्गीकरण, उनसे सम्बद्ध वेतनमान तथा सेवा में सम्मिलित पदों की संख्या अनुसूची-एक में अंतर्विष्ट उपबन्धों के अनुसार होंगे.

परन्तु सरकार, सेवा में सम्मिलित पदों की संख्या में या तो स्थायी या अस्थायी आधार पर, समय-समय पर, वृद्धि या कमी कर सकेगी ।

6. भरती का तरीका- (1) इन नियमों के प्रारम्भ होने के पश्चात्, सेवा में भरती, निम्नलिखित तरीकों से की जायेगी, अर्थात्-

(क) प्रतियोगी परीक्षा द्वारा सीधी भरती द्वारा;

(ख) अनुसूची-चार के कालम (2) में विनिर्दिष्ट सेवा के सदस्यों की पदोन्नति द्वारा;

(ग) ऐसे व्यक्तियों के स्थानान्तरण द्वारा, जो किसी ऐसी हैसियत में ऐसी सेवा में, ऐसे पद धारण किये हों, जिसे इस निमित्त विनिर्दिष्ट किया जाय ।

(2) उपनियम (1) के खण्ड (ख) या खण्ड (ग) के अधीन भरती किये गये व्यक्तियों की संख्या अनुसूची-एक में यथाविनिर्दिष्ट पदों की संख्या के अनुसूची-दो में दर्शाई गई प्रतिशतता से किसी भी समय अधिक नहीं होगी ।

(3) इन नियमों के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुये, सेवा में की किसी ऐसी विशिष्ट रिक्ति या रिक्तियों को जिसको या जिनकी भरती की किसी विशिष्ट कालावधि के दौरान भरा जाना अपेक्षित हो, भरे जाने के प्रयोजन के लिये अपनाया जाने वाला तरीका या तरीके तथा प्रत्येक तरीके से भरती किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या प्रत्येक अवसर पर सरकार द्वारा आयोग के परामर्श से अवधारित की जायेगी ।

(4) उपनियम (1) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुये भी, यदि सरकार की राय में सेवा की अत्यावश्यकताओं के कारण ऐसा करना अपेक्षित हो, तो सरकार, कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा प्रशिक्षण विभाग की पूर्व सहमति से, उक्त उपनियम में विनिर्दिष्ट रोक में भरती के तरीकों से भिन्न ऐसे तरीकों को अपना सकेगी, जिन्हें कि वह इस सम्बन्ध में जारी किये आदेश द्वारा, विहित करे ।

7. सेवा में नियुक्ति- इन नियमों के प्रारम्भ होने के पश्चात् सेवा में समस्त नियुक्तियाँ, सरकार द्वारा की जायेगी तथा ऐसी कोई भी नियुक्ति नियम 6 में विनिर्दिष्ट भरती के तरीकों में से किसी एक तरीके से चयन करने के पश्चात् ही की जायेगी अन्यथा नहीं ।

8. सीधी भरती के लिए पात्रता की शर्ते- परीक्षा/चयन में भाग लेने के लिये पात्र होने हेतु अभ्यर्थी को निम्नलिखित शर्तें पूरी करना चाहिये, अर्थात् -

(एक) आयु –(क) अभ्यर्थी ने परीक्षा।चयन प्रारम्भ होने की तारीख के ठीक आगामी वर्ष की 1 जनवरी को अनुसूची तीन के कालम (3) में यथाविनिर्दिष्ट आयु प्राप्त कर ली हो और उसने कालम (4) में यथाविनिर्दिष्ट आयु प्राप्त न की हो ।

(ख) यदि अभ्यर्थी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का हो तो उच्चतर आयु सीमा में अधिकतम 5 वर्ष तक की छूट होगी ।

(ग) उन अभ्यर्थियों के सम्बन्ध में, जो मध्य प्रदेश सरकार के कर्मचारी हों या रह चुके हों, उच्चतर आयु सीमा में भी नीचे विनिर्दिष्ट की गई सीमा तक तथा शर्तों के अध्यधीन रहते हुये छूट होगी-

(एक) ऐसे अभ्यर्थी, जो स्थायी शासकीय सेवक हो, 38 वर्ष से अधिक आयु का नहीं होगा ।

(दो) ऐसा अभ्यर्थी, जो स्थायी रूप से पद धारण कर रहा हो और किसी अन्य पद के लिये आवेदन कर रहा हो, 38 वर्ष से अधिक आयु का नहीं होना चाहिये । यह रियायत आकस्मिकता निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारियों कार्यभारित कर्मचारियों तथा परियोजना कार्यान्वयन समितियों में कार्यरत कर्मचारियों को भी अनुज्ञेय होगी ।

(तीन) ऐसे अभ्यर्थी की, जो छटनी किया सरकारी कर्मचारी है, अपनी आयु में से, उसके द्वारा पूर्व में की गई सम्पूर्ण अस्थायी सेवा की अधिक से अधिक 7 वर्ष तक की कालावधि भले ही वह कालावधि एक से अधिक बार की गई सेवाओं का योग हो, कम करने के लिये अनुज्ञात किया जायेगा बशर्तें कि इसके परिणामस्वरूप आयु उच्चतर आयु सीमा से तीन वर्ष से अधिक न हो ।

स्पष्टीकरण - पद ''छटनी किया गया सरकारी कर्मचारी'' से द्योतक है ऐसा व्यक्ति जो इस राज्य की या किसी भी संघटक इकाई की अस्थायी सरकारी सेवा में लगातार कम से कम छ: माह की कालावधि तक रहा हो और जिसे रोजगार कार्यालय में अपना रजिस्ट्रीकरण कराने या सरकारी सेवा में नियोजन हेतु अन्यथा आवेदन- पत्र देने की तारीख से अधिक से अधिक तीन वर्ष पूर्व स्थापना में कमी किये जाने के कारण सेवोन्मुक्त किया हो ।

(चार) ऐसे अभ्यर्थी को, जो भूतपूर्व सैनिक हो, अपनी आयु में से उसके द्वारा पूर्व में की गई सम्पूर्ण प्रतिरक्षा सेवा की कालावधि कम करने के लिये अनुज्ञात किया जायेगा बशर्ते कि इसके परिणामस्वरूप आयु उच्चतर आयु सीमा से तीन वर्ष से अधिक न हो ।

स्पष्टीकरण- पद भूतपूर्व सैनिक से द्योतक है ऐसा व्यक्ति, जो निम्नलिखित प्रवर्गों में से किसी एक प्रवर्ग में रहा हो तथा जो भारत सरकार के अधीन कम से कम छ: माह की निरन्तर कालावधि तक नियोजित रहा हो और जिसकी किसी भी रोजगार कार्यालय में अपना रजिस्ट्रीकरण कराने या सरकारी सेवा में नियोजन हेतु अन्यथा आवेदन की तारीख से अधिक से अधिक तीन वर्ष पूर्व मितव्ययिता इकाई की सिफारिशों के परिणामस्वरूप या स्थापना में सामान्य रूप से कमी किये जाने के कारण छटनी की गई हो या जो अधिशिष्ट ( सरप्लस) घोषित किया गया हो-

(1) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें मस्टरिंग आउट कन्सेशन के अधीन मुक्त कर दिया गया हो,

(2) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जो दूसरी बार भरती किये गये हों, और जिन्हें-

(क) अल्पकालीन वचनबद्ध पूर्ण हो जाने पर,

(ख) भरती की शर्तों को पूर्ण कर लेने पर, सेवामुक्त कर दिया गया हो;

(3) मद्रास सिविल यूनिट के भूतपूर्व कर्मचारी,

(4) ऐसे अधिकारी सैनिक तथा असैनिक) (जिसमें अल्पावधि सेवा में नियमित कमीशन्ड अधिकारी भी आते हैं) जिन्हें उनकी संविदा पूर्ण होने पर सेवोन्मुक्त किया गया है;

(5) ऐसे अधिकारी, जिन्हें अवकाश रिक्तियों पर छ: माह से अधिक समय तक निरंतर कार्य कर लेने के पश्चात् सेवोन्मुक्त किया गया हो;

(6) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें अशक्त होने के कारण सेवोन्मुक्त कर दिया गया है;

(7) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें इस आधार पर सेवोन्मुक्त कर दिया गया है कि वे दक्ष सैनिक बनने के योग्य नहीं है,

(8) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिनको गोली लग जाने से, बाद हो जाने आदि के कारण चिकित्सीय आधार पर सेवा से अलग कर दिया गया हो ।

(घ) उन अभ्यर्थियों के सम्बन्ध में, जो मध्य प्रदेश राज्य निगमों/बोर्डो के कर्मचारी हों,

उच्चतर, आयु सीमा में 3 वर्ष तक की छूट दी जायेगी ।

(ड) विधवा, परित्यकता, और तलाकशुदा महिला अभ्यर्थियों के मामले में सामान्य उच्चतर आयु सीमा 35 वर्ष तक की होगी ।

(च) उन अभ्यर्थियों के सम्बन्ध में, जो परिवार कल्याण कार्यक्रम के अन्तर्गत ''ग्रीन कार्ड धारक'' हों, उच्चतर आयु सीमा में 2 वर्ष तक की छूट दी जायेगी ।

(छ) आदिम जाति हरिजन तथा पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अन्तर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के अधीन किसी दम्पत्ति में से उच्चतर जाति के पुरस्कृत पति या पत्नी के मामले में सामान्य उच्चतर आयु सीमा में 5 वर्ष तक की छूट दी जायेगी ।

(ज) उन खिलाडी अभ्यर्थियों के सम्बन्ध में, जिन्होंने ''विक्रम पुरस्कार'' प्राप्त किया हो, सामान्य उच्चतर आयु सीमा में भी 5 वर्ष की छूट दी जायेगी ।

(झ) होमगार्ड के स्वयंसेवी नगर सैनिकों तथा नान कमीशंड अधिकारियों के सम्बन्ध में उच्चतर आयुसीमा में उनके द्वारा इस प्रकार की गई सेवा की कालावधि, 8 वर्ष की सीमा के अध्यधीन रहते हुये छ्‌ट दी जायेगी किन्तु किसी भी मामले में उनकी आयु 33 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिये ।

टिप्‍प्‍णी - ऐसे अभ्‍यर्थी, जिन्‍हे उपर्युक्‍त खंड 8(ग) के उपखण्‍ड (छ) (एक) तथा (तीन) में वर्णित आयु संबंधी रियायतों के अधीन परीक्षा/चयन के लिये ग्राह्म किया गया हो, उस स्थिति में नियुकित के पात्र नहीं होंगे यदि आवेदन पत्र प्रस्‍तुत करने के पश्‍चात् या तो परीक्षा लिये जाने के पूर्व या उसके पश्‍चात् या तो परीक्षा लिये जाने के पूर्व या उसके पश्‍चात् सेवा से त्‍यागपत्र दे देते है तथापि, यदि आवेदन-पत्र प्रस्‍तुत करनेके पश्‍चात् उसकी सेवा या पद से छटनी कर दी जाय तो वे नियुक्ति के पात्र बने रहेंगे, किसीभी अन्‍य मामले में इन आयु सीमाओं में छूट नहीं दी जायेगी। विभागीय अभ्‍यर्थियों को परीक्षा में बैठने के लिये नियुक्ति प्राधिकारी से पूर्व अनुज्ञा अभिप्राप्‍त करना होगी ।

( दो) शैक्षणिक अर्हतायें- अम्यर्थी के पास अनुसूची-तीन में दर्शाये गये अनुसार सेवा के लिये विहित ऐसी शैक्षणिक अर्हतायें होनी चाहिए परन्तु-

(क) आपवादिक मामलों में, आयोग, सरकार की सिफारिश पर किसी ऐसे अभ्यर्थी को अर्ह मान सकेगा, जो यद्यपि इस खण्ड में विहित की गई अर्हताओं में से कोई भी अर्हता न रखता हो, किन्तु जिसने अन्य संस्थाओं द्वारा संचालित परीक्षायें ऐसे स्तर से उत्तीर्ण की हो, जिसके कारण आयोग की राय में अभ्यर्थी की परीक्षा के लिये विचार करना न्यायोचित हो, और

(ख) ऐसे अभ्यर्थियों को, जो अन्यथा अर्ह हो, किन्तु जिन्होंने ऐसे विदेशी विश्वविद्यालयों से, जिन्हें सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट रूप से मान्यता प्रदान नहीं की गई है, उपाधियाँ प्राप्त की है, आयोग के विवेकानुसार परीक्षा में प्रवेश दिया जा सकेगा ।

(तीन) फीस-अभ्‍यर्थी को आयोग द्वारा विहित की गई फीस का भुगतान करना होगा ।

9 निरर्हता- अभ्‍यर्थी की ओर से अपनी अभ्यर्थिता के लिये किसी भी साधन से समर्थन अभिप्राप्त करने के किसी भी प्रयास को, आयोग द्वारा उसे परीक्षा प्रवेश के लिये निरर्हकारी माना जा सकेगा ।

10. अभ्यर्थियों की पात्रता के सम्बन्ध में आयोग का विनिश्चय अन्तिम होगा- परीक्षा में प्रवेश के लिये अभ्यर्थी की पात्रता या अपात्रता के सम्बन्ध में आयोग का विनिश्चय अन्तिम होगा तथा किसी ऐसे अभ्यर्थी को, जिसे आयोग द्वारा प्रवेश प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया गया है, परीक्षा में प्रवेश नहीं दिया जायेगा ।

11. प्रतियोगी परीक्षा द्वारा सीधी भरती- (1) सेवा में भरती के लिये प्रतियोगी परीक्षा ऐसे अन्तरालों से ली जायगी, जैसा कि सरकार, आयोग के परामर्श से समय-समय पर अवधारित करे ।

(2) आयोग द्वारा परीक्षा का संचालन ऐसे आदेशों के अनुसार किया जायेगा, जिन्हें सरकार समय-समय पर आयोग के परामर्श से जारी करे ।

(3) सीधी भरती के लिये उपलब्ध रिक्तियों में से 15 प्रतिशत तथा 18 प्रतिशत स्थान उन अभ्यर्थियों के लिये आरक्षित रखे जायेंगे जो क्रमश: अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जन- जातियों के सदस्य हैं ।

(4) इस प्रकार आरक्षित रिक्तियों को भरते समय, उन अभ्यर्थियों की जो अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्य हों, नियुक्ति पर विचार उसी क्रम से किया जायेगा जिस क्रम में उनके नाम नियम 12 में निर्दिष्ट सूची में आये हों, चाहे अन्य अभ्यर्थियों की तुलना में उनका सापेक्षित रेंक कुछ भी क्यों न हो ।

(5) अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के उन अभ्यर्थियों को, जिन्हें आयोग ने प्रशासन में दक्षता बनाये रखने का सम्यक ध्यान रखते हुये सेवा में नियुक्ति के लिये उपयुक्त घोषित किया हो, यथास्थिति, अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिये उपनियम (3) के अधीन आरक्षित रिक्तियों पर नियुक्त किया जा सकेगा ।

(6) यदि अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थी उनके लिये आर- क्षित सभी रिक्तियों को भरने के लिये पर्याप्त संख्या में उपलब्ध न हो, तो शेष रिक्तियाँ उन अभ्यर्थियों के लिये अनन्य रूप से दो बार पुन: विज्ञापित की जायेगी, यदि पुन: विज्ञापन के पश्चात् भी कोई रिक्ति भरी जाने से रह जाये, तो उनको अन्य सामान्य अभ्यर्थियों से भरा जायेगा और पश्चात्षर्ती परीक्षा के दौरान उतनी ही संख्या में अतिरिक्त रिक्तियाँ पश्चात्‌वर्ती चयन के दौरान यथास्थिति, अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जातियों के अभ्यर्थियों के लिये आरक्षित रखी जाएगी :

परन्तु अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिये आरक्षित रिक्तियों की कुल संख्या (जिसमें अग्रनीत की गई रिक्तियाँ भी सम्मिलित हैं) विज्ञापित की गई कुल रिक्तियों के 45 प्रतिशत से किसी भी समय अधिक नहीं होगी ।

सेवा के लिये अभ्यर्थियों का चयन आयोग द्वारा उनका साक्षात्कार लिये जाने के पश्चात् किया जायेगा ।

(7) जहाँ कहीं भी सीधी भरती द्वारा भरे जाने वाले पदों के लिये कतिपय कालावधि का अनुभव आवश्यक शर्त के रूप में विहित किया गया हो तथा लोक सेवा आयोग की राय में ऐसा पाया जाता है कि आरक्षित पदों पर भरती के लिये अपेक्षित अनुभव रखने वाले अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों की पर्याप्त संख्या में उपलब्ध होने की सम्भावना नहीं है, वहाँ लोक सेवा आयोग अनुसूचित जनजातियों से अभ्यर्थियों के मामले में अनुभव की शर्त को शिथिल कर सकेगा :

12. आयोग द्वारा सिफारिश किये गये अभ्यर्थियों की सूची- (1) आयोग ऐसे अम्यर्थियों की, जो ऐसे स्तर से जैसा कि आयोग अवधारित करे, अर्ह हो, तथा अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के ऐसे अभ्यर्थियों की, जो यद्यपि, उस स्तर से अर्हित न हो, किन्तु जिन्हें आयोग ने प्रशासन की दक्षता बनाये रखने का सम्यक् ध्यान रखते हुये, सेवा में नियुक्ति के लिये उपयुक्त घोषित किया हो, गुणागुण (मेरिट) के क्रम से बनाई गई एक सूची सरकार को अग्रेषित करेगा । यह सूची सर्वसाधारण की जानकारी के लिये भी प्रकाशित की जायेगी ।

(2) इन नियमों तथा मध्य प्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम 1961 के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुये, अभ्यर्थियों को सूची में से उपलब्ध रिक्तियों पर नियुक्ति के लिये उसी कम में क्रम में विचार किया जायेगा जिसमें उनके नाम सूची में आये हों ।

(3) सूची में किसी अभ्यर्थी का नाम सम्मिलित किये जाने से ही उसे नियुक्ति का कोई अधिकार तब तक प्राप्त नहीं हो जाता जब तक कि सरकार का ऐसी जाँच करने के पश्चात् जैसी कि वह आवश्यक समझे यह समाधान न हो जाये कि अभ्यर्थी सेवा में नियुक्ति के लिये सभी प्रकार से उपयुक्त है ।

(4) चयन सूची आयोग द्वारा उसके जारी किये जाने की तारीख से एक वर्ष की कालावधि के लिये विधिमान्य होगी ।

13. पदोन्नति द्वारा नियुक्ति-- (1) पात्र अभ्यर्थियों की पदोन्नति के लिये प्रारम्भिक चयन करने हेतु एक समिति का गठन किया जायेगा, जिसमें अनुसूची चार में वर्णित सदस्य होंगे ।

(2) समिति सामान्यत: एक वर्ष से अनधिक के अन्तरालों में अपनी बैठक करेगी ।

(3) ऐसे पदों पर जिनमें पदोन्नति की प्रतिशतता अनुसूची दो में विनिर्दिष्ट किये गये अनुसार 331/2 प्रतिशत या उससे अधिक है पदोन्नति के लिये उपलब्ध रिक्तियों का 15 प्रतिशत तथा 18 प्रतिशत अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के उन अधिकारियों के लिये आरक्षित रखा जायेगा जो नियम 14 के उपबन्धों के अनुसार पदोन्नति के लिये पात्र हों ।

(4) आरक्षित रिक्तियों में पदोन्नति करने के लिये प्रक्रिया सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किये गये अनुदेशों के अनुसार होगी ।

14. पदोन्नति के लिये पात्रता सम्बन्धी शर्तें - (1) उपनियम (2) के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुये, समिति उन समस्त व्यक्तियों के मामलों पर विचार करेगी जिन्होंने उस वर्ष की पहली जनवरी को उतने वर्षो की सेवा (स्थानापन्न रूप में या मूल रूप में) जैसा अनुसूची चार के कालम (2) में वर्णित है, उस पद पर जिससे पदोन्नति दी जाना है, पूर्ण कर ली हो तथा जो उपनियम (2) के उपबन्धों के अनुसार विचारण के क्षेत्र के भीतर आते हों :

परन्तु आपातकालीन कमीशन तथा अल्पकालिक सेवा कमीशन से निर्मुक्त किये गये अधिकारियों की सेवा की संगणना सेवा में उनकी नियुक्ति के पश्चात् उस तारीख से की जायेगी जिस तारीख से उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग के ज्ञापन क्रमांक 2266-1987 (3) 67, तारीख 21 अक्टूबर, 1967 के अनुसार सेवा में नियुक्त किया गया समझा गया हो :

परन्तु यह और भी कि किसी कनिष्ठ व्यक्ति को केवल इस आधार पर कि उसने सेवा विहित कालावधि पूर्ण कर ली है, उससे वरिष्ठ व्यक्ति पर अधिमानता देकर प्रवर श्रेणी/पदोन्नति के लिये विचार नहीं किया जायेगा ।

(2) चयन का क्षेत्र, ''योग्यता सह ज्येष्ठता'' के आधार पर भरे जाने वाले पदों के सम्बन्ध में, चयन सूची में सम्मिलित किये जाने वाले अधिकारियों की संख्या के सामान्यत: सात गुना तक तथा ''ज्येष्ठता सह योग्यता'' के आधार पर भरे जाने वाले पदों के सम्बन्ध में चयन सूची में सम्मिलित अधिकारियों की संख्या के सामान्यत: पाँच गुना तक सीमित होगा : परन्तु यदि इस प्रकार अवधारित क्षेत्र में उपयुक्त अधिकारी अपेक्षित संख्या में उपलब्ध न हो तो क्षेत्र को उस सीमा तक बढ़ाया जा सकेगा जिस तक समिति द्वारा लिखित में कारणों टिप्पणी का उल्लेख करते हुये, आवश्यक समझा जाये ।

(3) किसी व्यक्ति को तब तक पहली पदोन्नति नहीं दी जायेगी जब तक कि उसने अनुसूचित क्षेत्र में दो वर्ष की सेवा पूर्ण न कर ली हो अर्थात् अनुसूचित क्षेत्र में दो वर्ष की सेवा पूरी करना पदोन्नति के लिये पात्रता की अनिवार्य शर्त होगी । उस मामले में, जहाँ अनुसूचित क्षेत्र में कोई पद रिक्त न हो वहाँ पदोन्नति आदिवासी तथा हरिजन तथा पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के ज्ञापन एफ० 23/1071-84-1-पच्चीस, दिनांक 29 जुलाई, 1985 की अनुसूची तीन में वर्णित मुख्य आदिवासी जिलों में से किसी एक जिले में की जाएगी और केवल उसके पश्चात् ही उसे सामान्य क्षेत्र में पदोन्नति पर पदस्थापित किया जायेगा ।

टिप्‍पणी – अनुसूचित क्षेत्रों में प्राप्‍त किये गये प्रशिक्षण की कालावधि या परिवीक्षा की कालावधि की अनुसूचित क्षेत्रों में की गई सेवा की तरह संगणित किया जायेगा ।

15. उपयुक्त अधिकारियों की सूची का तैयार किया जाना- (1) समिति, ऐसे व्यक्तियों की एक सूची तैयार करेगी जो उपर्युक्त नियम 14 में विहित शर्तो को पूरा करते हों तथा जो समिति द्वारा सेवा में पदोन्नतिा/स्थानान्तरण हेतु उपयुक्त ठहराये गये हों । यह सूची चयन सूची के तैयार करने की तारीख से एक वर्ष के दौरान सेवा निवृत्त तथा पदोन्नति के कारण होने वाली प्रत्याशित रिक्तियों को भरने के लिये पर्याप्त होगी उक्त सूची में सम्मिलित व्यक्तियों की संख्या के 25 प्रतिशत व्यक्तियों की एक आरक्षित सूची उपर्युक्त कालावधि के दौरान होने वाली अनवेक्षित रिक्तियों को भरने के लिये तैयार की जायेगी ।

(2) ऐसी सूची में सम्मिलित करने के लिये किया जाने वाला चयन ज्येष्ठता का सम्यक् ध्यान रखते हुये सभी दृष्टि से योग्यता तथा उपयुक्तता पर आधारित होगा ।

(3) सूची में सम्मिलित किये गये अधिकारियों के नाम, ऐसी प्रत्येक सूची तैयार करते समय, अनुसूची चार के कालम (2) में यथाविनिर्दिष्ट सेवा में या पदों में ज्येष्ठता के क्रम में रखे जायेंगे :

परन्तु किसी भी ऐसे कनिष्ठ अधिकारी को जो, समिति की राय में असाधारण रूप से योग्य तथा उपयुक्त हो, उससे ज्येष्ठ अधिकारियों की तुलना में सूची में उच्चतर दिया जा सकेगा ।

स्पष्टीकरण- ऐसे किसी व्यक्ति का, जिसका नाम चयन सूची में सम्मिलित किया गया हो, किन्तु जो सूची के विधिमान्यता के दौरान पदोन्नत नहीं किया गया हो, केवल उसके पूर्ववर्ती चयन के तथ्य से ही, उन व्यक्तियों के ऊपर जिन पर पश्चात्‌वर्ती चयन में विचार किया गया हो, ज्येष्ठता का दावा नहीं रहेगा ।

(4) इस प्रकार तैयार की गई सूची का प्रत्येक वर्ष पुनर्विलोकन तथा पुनरीक्षण किया जायेगा ।

(5) यदि चयन, पुनर्विलोकन या पुनरीक्षण की प्रक्रिया में राज्य अधीनस्थ सिविल सेवा के किसी सदस्य को अतिष्ठित करना प्रस्तावित हो, तो समिति प्रस्तावित अधिक्रमण के सम्बन्ध में अपने कारणों को अभिलिखित करेगी ।

16. आयोग से परामर्श- विभागीय पदोन्नति समिति, जिसकी अध्यक्षता आयोग के अध्यक्ष या सदस्य द्वारा दी गई है, की सिफारिशो के बारे में यह समझा जायेगा कि संविधान के अनुच्छेद 320 के खण्ड (3) के उपखण्ड ख के अधीन आयोग से परामर्श करने की अपेक्षा का अनुपालन किया गया है तथा आयोग से पृथक रूप से परामर्श करना आवश्यक नहीं होगा ।

17. चयन सूची - (1) सरकार द्वारा अन्तिम रूप से अनुमोदित सूची, सेवा के सदस्यों की, अनुसूची चार के कालम (3) में यथा वर्णित पदों पर, अनुसूची-दो के कालम (2) में वर्णित पदों में से पदोन्नति के लिये चयन सूची होगी ।

(2) चयन सूची सामान्यत: तब तक प्रवृत्त रहेगी जब तक कि नियम 15 के उपनियम (4) के अनुसार उसका पुनर्विलोकन या पुनरीक्षण नहीं कर लिया जाता किन्तु उसकी विधिमान्यता उसके तैयार किये जाने की तारीख से 18 मास की कुल कालावधि से परे नहीं बढ़ाई जायेगी :

परन्तु चयन सूची में सम्मिलित किसी व्यक्ति की ओर से आचरण या कर्त्तव्यों के पालन में गम्भीर चूक होने की दशा में, चयन सूची का विशेष रूप से पुनर्विलोकन सरकार के अनुरोध पर किया जा सकेगा तथा आयोग, यदि वह उचित समझे, ऐसे व्यक्ति का नाम चयन सूची से हटा सकेगा ।

18. चयन सूची से सेवा में नियुक्ति- (1) चयन सूची में सम्मिलित अधिकारी की नियुक्तियाँ सेवा संवर्ग (काडर) के अन्तर्गत जाने वाले पदों पर उसी क्रम से की जायेगी, जिस क्रम में ऐसे अधिकारियों के नाम चयन सूची में हो :

परन्तु जहाँ प्रशासकीय अत्यावश्यकताओं के कारण ऐसा करना अपेक्षित हो, वहाँ उस व्यक्ति को जिसका नाम चयन सूची में सम्मिलित न हो या जिसका नाम चयन सूची में ठीक आगे न हो, सेवा में नियुक्त किया जा सकेगा, यदि सरकार का यह समाधान हो जाये कि रिक्ति के तीन मास से अधिक समय तक चालू रहने की सम्भावना नहीं है ।

(2) ऐसे किसी व्यक्ति को, जिसका नाम चयन सूची में सम्मिलित हो, सेवा में नियुक्ति के पूर्व आयोग से परामर्श करना सामान्यत: जब तक आवश्यक नहीं होगा, जब तक चयन सूची में उसका नाम सम्मिलित किये जाने तथा प्रस्तावित नियुक्ति की तारीख के बीच की कालावधि के दौरान उसके कार्य में ऐसी कोई गिरावट न आ गई हो, जो सरकार की राय में ऐसी हो जिससे वह सेवा में नियुक्ति के लिये अनुपयुक्त हो गया हो ।

19. परिवीक्षा- सेवा में सीधी भरती किये गये प्रत्येक व्यक्ति को दो वर्ष की कालावधि के लिये परिवीक्षा पर नियुक्त किया जायेगा ।

20. निर्वचन - यदि इन नियमों के निर्वचन के सम्बन्ध में कोई प्रश्न उद्‌भूत होता है, तो वह सरकार को निर्दिष्ट किया जायेगा, जिसका उस पर विनिश्चय अंतिम होगा ।

21. शिथिलीकरण- इन नियमों में किसी भी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जायेगा कि वह किसी ऐसे व्यक्ति के मामले में, जिस पर यह नियम लागू होते हों राज्यपाल की ऐसी रीति में कार्यवाही करने की शक्ति को जो उसे न्यायसंगत तथा साम्यापूर्ण प्रतीत होती, हो सीमित या कम करती है?

परन्तु किसी मामले को ऐसी रीति में नही निपटाया जायेगा, जो कि इन नियमों में उपबन्धित रीति की अपेक्षा उसके लिये कम अनुकूल हो ।

22. व्यावृत्ति- इन नियमों में की कोई भी बात अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिये राज्य सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में, समय-समय पर, जारी किये गये आदेशों के अनुसार उपबन्धित किये जाने के लिये अपेक्षित आरक्षण तथा अन्य शर्त को प्रभावित नहीं करेगी ।

23. निरसन तथा व्यावृत्ति-- वे समस्त नियम, जो इन नियमों के तत्स्थानी हों तथा जो इन नियमों के प्रारम्भ होने के अव्यवर्हित पूर्व प्रवृत हो इन नियमों के अन्तर्गत आने वाले विषयों के सम्बन्ध में, एतद्द्वारा, निरस्त किये जाते हैं :

परन्तु इस प्रकार निरसित नियमों के अधीन किया गया कोई आदेश या की गई कोई कार्यवाई इन नियमों के तत्स्थानी उपबन्धों के अधीन किया गया आदेश या की गई कार्यवाई समझी जायेगी ।

मध्य प्रदेश के राज्यपाल के नाम से तथा आदेशानुसार,

आर० डी० अहेरवार, उपसचिव ।


अनुसूची-एक

[ नियम 5 देखिये ]

क्रमांक

(1)

कर्तव्य पद

(2)

पदों की संख्या

(3)

वर्गीकरण

(4)

वेतनमान

(5)

1.

संयुक्त संचालक

1

प्रथम वर्ग

रु० 3700-125-4700-150-5000

2.

उप संचालक

3

प्रथम वर्ग

रु० 3000-100-3500-125-4500

3.

राज्य रोजगार अधिकारी

1

प्रथम वर्ग

रु० 3000-100-3500-125-4500

4.

संभागीय रोजगार अधिकारी

16

प्रथम वर्ग

रु० 3000-100-3500-125-4500

5.

रोजगार बाजार सूचना अधिकारी

1

द्वितीय वर्ग

रु० 2200-75-2800-100-4000

6.

सहायक संचालक

2

द्वितीय वर्ग

रु० 2200-75-2800-100-4000

7.

रोजगार संपर्क अधिकारी

1

द्वितीय वर्ग

रु० 2200-75-2800-100-4000

8.

राज्य व्यवसाय मार्गदर्शक अधिकारी

1

द्वितीय वर्ग

रु० 2200-75-2800-100-4000

9.

रोजगार अधिकारी/रोजगार अधिकारी (व्यवसाय विकास)/रोजगार अधिकारी (कार्मिक प्रशिक्षण)

99

द्वितीय वर्ग

रु० 2200-75-2800-100-4000

10.

व्यवसाय अनुसंधान अधिकारी

1

द्वितीय वर्ग

रु० 2200-75-2800-100-4000

11.

लेखा अधिकारी

1

द्वितीय वर्ग

रु० 2200-75-2800-100-4000


अनुसूची-दो

[ नियम 6 देखिये ]

विभाग का नाम

सेवा का नाम

पदों की कुल संख्‍या

भरे जाने वाले पदों की संख्‍या का प्रतिशत

अग्‍य सेवाओं के व्‍यक्तियों के स्‍थानांतरण द्वारा (नियम 6 (ड़)) के अनुसार

दिप्‍पणियां

सीधी भरती द्वारा (‍नियम 6 (क) के अनुसार

सेवा के सदस्‍यों द्वारा (नियम 6 (ख)) के अनुसार

(1)

(2)

(3)

(4)

(5)

(6)

(7)

जनशक्ति

नियोजन

मध्‍य प्रदेश् रोजगार सेवा (राजपत्रित)

1. संयुक्‍त

2. उपसंचाल

3. राज्‍य रोजगार अधिकारी

4. संभागीय रोजगार अधिकारी

5. रोजगार बाजार सूचना अधिकारी

6. सहायक संचालक

7. राज्‍य व्‍यावसायिक मार्गदर्शन अधिकारी

8. रोजगार सम्‍पर्क अधिकारी

9. रोजगार अधिकारी/रोजगार व्‍यवसाय कार्मिक प्रशिक्ष्‍ण

10. व्‍यवसाय अनुसंधान अधिकारी

11. लेख अधिकारी

राजपत्रित सेवा प्रथम वर्ग

1

3

1

16

1

2

1

1

99

1

1

-

राजपत्रित सेवा द्वितीय 50% प्रतियोगिता परीक्षा द्वारा

-तदैव-

-तदैव-

-तदैव-

50% प्रतियोगिता परीक्षा द्वारा

- ‘’ -

100%

100%

100%

100%

50%

50%

50%

मध्‍य प्रदेश लेखा सेवा से प्रतिनियुक्ति

-

-

-

-

अनुक्रमांक 2 से 4 के सामने वर्णित राजपत्रित सेवा प्रथम वर्ग के पद अन्‍तर परिवर्तनीय है ।

अनुक्रमांक 5 से 10 के सामने वर्णित राजपत्रित सेवा प्रथम वर्ग के पद अन्‍तर परिवर्तनीय है ।

अनुसूची-तीन

[ नियम 8 देखिये ]

विभाग का नाम

(1)

सेवा का नाम

(2)

न्यूनतम आयु सीमा

(3)

अधिकतम आयु सीमा

(4)

विहित शैक्षणिक अर्हता

(5)

जनशक्ति नियोजन विभाग

मध्य प्रदेश रोजगार सेवा (राजपत्रित)

1. रोजगार बाजार सूचना अधिकारी

2. सहायक संचालक

3. राज्य व्यवसाय मार्गदर्शक अधिकारी

4. रोजगार संपर्क अधिकारी

5. रोजगार अधिकारी

6. व्यवसाय अनुसंधान अधिकारी

21 वर्ष

30 वर्ष

किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से कला | विज्ञान (जिसमें टेक्नोलॉजी या इंजीनियरिंग भी सम्मिलित है) वाणिज्य या कृषि में स्नातक की उपाधि |


अनुसूची-चार

[ नियम 13 देखिये ]

विभाग का नाम

(1)

उस पद का नाम जिससे पदोन्नति की जानी है

(2)

उस पद का नाम जिस पर पदोन्नति की जानी है

(3)

पदोन्नति हेतु अपेक्षित सेवा की कालावधि

(4)

विभागीय पदोन्नति समिति के सदस्य

(5)

प्रथम श्रेणी

जनशक्ति नियोजन

विभाग

1. उप संचालक

2. राज्य रोजगार अधिकारी

3. संभागीय रोजगार अधिकारी

संयुक्त संचालक,

रोजगार

3 वर्ष

1. लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या उसके द्वारा नामनिर्दिष्ट कोई अन्य सदस्य अध्यक्ष

2. प्रमुख सचिव/ सचिव-सदस्य

3. संचालक, रोजगार और प्रशिक्षण सदस्‍य

द्वितीय श्रेणी

1. रोजगार बाजार सूचना अधिकारी

2. रोजगार संपर्क अधिकारी

3. राज्य व्यवसाय मार्गदर्शक अधिकारी

उप संचालक/

राज्य रोजगार

अधिकारी / संभागीय

5 वर्ष

4. सहायक संचालक

5. रोजगार अधिकारी/रोजगार अधिकारी (व्यवसाय विकास) अधिकारी/रोजगार अधिकारी (कार्मिक प्रशिक्षण)

6. व्यवसाय अनुसंधान अधिकारी

रोजगार अधिकारी

तृतीय श्रेणी

1. अधीक्षक

2. कनिष्ठ रोजगार अधिकारी

3. सहायक सांख्यिकी अधिकारी

रोजगार बाजार सूचना

अधिकारी/रोजगार संपर्क अधिकारी/राज्य व्यवसाय मार्गदर्शक अधिकारी/सहायक संचालक रोजगार/रोजगार अधिकारी (व्यवसाय / विकास) (कार्मिक प्रशिक्षण)/व्यावसायिक अनुसंधान अधिकारी

5 वर्ष


नवीनीकृत: 02-May-2017