मध्य प्रदेश राज्य अभिलेखागार (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम, 1984
क्रमांक एफ 1-33-81-सं०-तीस-दिनांक 25 अप्रैल , 1984 - संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुये, मध्य प्रदेश के राज्यपाल एतद्द्वारा, मध्य प्रदेश राज्य अभिलेखागार (राजपत्रित) सेवा में भर्ती के सम्बन्ध में निम्नलिखित नियम बनाते है, अर्थात्-
नियम
1. संक्षिप्त नाम तथा प्रारम्भ- (1) ये नियम मध्य प्रदेश राज्य अभिलेखागार (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम, 1984 कहलायेंगे ।
(2) ये ''मध्य प्रदेश'' में प्रकाशित किये जाने की तारीख से लागू होंगे ।
2. परिभाषाएँ- इन नियमों में जब तक प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो-
(क) सेवा के सम्बन्ध में ''नियुक्त प्राधिकारी'' से अभिप्रेत है शासन;
(ख) ''समिति'' से अभिप्रेत है अनुसूची चार के खाना (5) में यथाविनिर्दिष्ट समिति;
(ग) ''आयोग'' से अभिप्रेत है मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग;
(घ) ''शासन'' से अभिप्रेत है मध्य प्रदेश शासन;
(ङ) ''राज्यपाल” से अभिप्रेत है, मध्य प्रदेश के राज्यपाल;
(च) ''अनुसूची'' से अभिप्रेत है, इन नियमों से संलग्न अनुसूची;
(छ) ''अनुसूचित जातियों'' तथा ''अनुसूचित जनजातियों'' का वही अर्थ होगा जो इनके लिये संविधान के अनुच्छेद 366 के क्रमश: खण्ड (24) और (25) में दिया गया है और शासन द्वारा समय-समय पर इस रूप में अधिसूचित किया जाए;
(ज) ''सेवा'' से अभिप्रेत है मध्य प्रदेश राज्य अभिलेखागार राजपत्रित) सेवा,
(झ) ''राज्य'' से अभिप्रेत है मध्य प्रदेश राज्य ।
3. विस्तार तथा प्रयुक्ति- मध्य प्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम में दिये गये उपबन्धों की व्यापकता पर प्रति कूल प्रभाव डाले बिना ये इस सेवा के प्रत्येक सदस्य पर लागू होंगे ।
4. सेवा का गठन- सेवा में निम्नलिखित व्यक्ति होंगे अर्थात्-
(एक) ऐसे व्यक्ति, जो इन नियमों के लागू होते समय अनुसूची एक में उल्लिखित पद मूल रूप से धारण कर रहे होंगे;
(दो) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के लागू होने के पूर्व सेवा में भर्ती किये गये हों; तथा
(तीन) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के उपबन्धों के अनुसार सेवा में भर्ती किये गये हों ।
5. वर्गीकरण , बेतनमान आदि- सेवा का वर्गीकरण, उसका वेतनमान तथा सेवा में सम्मिलित पदों की संख्या संलग्न सूची एक में दिये गए उपबन्धों के अनुसार होगी, परन्तु शासन सेवा में सम्मिलित पदों की संख्या में समय-सयय पर स्थायी या अस्थायी तौर पर वृद्धि या कमी कर सकेगी ।
6. भर्ती के तरीके- (एक) इन नियमों के लागू होने के बाद सेवा में भर्ती निम्नलिखित तरीकों में से की जाएगी, अर्थात्-
(क) संचालक का पद सीधी नियुक्ति या पदोन्नति या अन्य सेवाओं से स्थानान्तरण द्वारा, जैसा भी पद भरते समय शासन दारा विनिश्चित किया जाए, भरा जाएगा;
(ख) उप संचालक का पद या तो पदोन्नति द्वारा या अन्य सेवाओं से स्थानान्तरण द्वारा भरा जाएगा;
(ग) पुरालेख अधिकारी का पद सीधी भर्ती, पदोन्नति या स्थानान्तरण द्वारा भरा जाएगा जैसा कि अनुसूची-दो में दर्शाया गया है;
(घ) सहायक पुरालेख अधिकारी का पद सीधी भर्ती तथा पदोन्नति द्वारा निम्नलिखित तरीके से भरा जायेगा-
(एक) 75 प्रतिशत सीधी भर्ती द्वारा,
(दो) 25 प्रतिशत पदोन्नति द्वारा जैसा कि अनुसूची-दो में दर्शाया गया है ।
(दो) इन नियमों के उपबन्धों के अधीन सेवा में किसी विशेष रिक्ति या रिक्तियों को भरने के प्रयोजन के लिये अपनाये जाने वाले भरती के तरीके तथा प्रत्येक तरीके में भर्ती किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या प्रत्येक अवसर पर आयोग के परामर्श से शासन द्वारा निश्चित की जायेगी ।
(तीन) उपनियम (एक) में दी गई किसी बात के होते हुये भी, यदि शासन की राय में सेवा की आवश्यकताओं को देखते हुये ऐसा करना आवश्यक हो तो शासन सामान्य प्रशासन विभाग की सहमति से सेवा में भर्ती के उन तरीकों को छोड़ जिनका उक्त उपनियम में उल्लेख किया गया है, ऐसे अन्य तरीके अपना सकेगा, जो उसके द्वारा इस सम्बन्ध में जारी किये गये आदेश द्वारा विहित किये जाएँ ।
7. सेवा में नियुक्ति- इन नियमों के लागू होने के बाद सेवा में समस्त नियुक्तियां शासन द्वारा की जायेगी और ऐसी कोई भी नियुक्ति नियम 6 में विनिर्दिष्ट भरती के तरीकों में से किसी एक तरीके से चयन करने के बाद ही की जायेगी, अन्यथा नहीं ।
8. सीधी भर्ती की पात्रता की शर्ते- चयन किये जाने का पात्र होने की दृष्टि से उम्मीदवार को निम्नलिखित शर्ते पूरी करना होगी, अर्थात् -
अ- आयु (क) चयन आरम्भ होने की तारीख के बाद आने वाली पहली जनवरी को, उसने अनुसूची 3 के खाना (3) में विनिर्दिष्ट आयु पूरी कर ली हो, उसने उक्त अनुसूची के खाना (चार) में निर्दिष्ट आयु पूरी न की हो । अन्य सेवाओं से स्थानान्तरित व्यक्तियों के लिये कोई आयु सीमा नहीं होगी;
(ख) यदि उम्मीदवार अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का हो, तो आयु की अधिकतम सीमा में 5 वर्ष तक की छूट दी जायेगी;
(ग) उन उम्मीदवारों को, जो मध्य प्रदेश शासन के कर्मचारी हों अथवा रह चुके हों, निम्नलिखित सीमा तक शर्तो के अध्यधीन आयु सीमा में छूट दी जायेगी-
(एक) ऐसे उम्मीदवार की, जो शासन का स्थायी या अस्थायी कर्मचारी हो, आयु 38 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिये । ऐसी ही रियायत ऐसे उम्मीदवारों के लिये भी स्वीकार्य होगी जो आकस्मिकता निधि से वेतन पाते हों या जो निर्माण कार्य प्रभारित स्थापना या परियोजना कार्यान्वयन समिति के कर्मचारी हों ।
(दो) ऐसे उम्मीदवारों को, जो छटनी किया गया शासकीय कर्मचारी हो उसकी आयु में से, उसके द्वारा पहले की गई सम्पूर्ण अस्थायी सेवा की अधिक से अधिक 7 वर्ष तक की अवधि, भले ही वह अवधि एक से अधिक बार की गई सेवाओं का योग हो, कम करने की अनुमति दी जायेगी, बशर्ते की इसके परिणामस्वरूप, जो आयु निकले वह अधिकतम सीमा से 3 वर्ष से अधिक न हो ।
स्पष्टीकरण- शब्द ''छटनी किये गये शासकीय कर्मचारी'' से अभिप्रेत है ऐसा व्यक्ति जो इस राज्य की अस्थायी शासकीय सेवा में कम से कम छह मास तक निरन्तर रहा हो तथा जो रोजगार कार्यालय में अपना पंजीकरण करने अथवा शासकीय सेवा में नियुक्ति के लिये अन्यथा आवेदन-पत्र देने की तारीख से अधिक से अधिक तीन वर्ष पूर्व कर्मचारियों की संख्या में कमी किये जाने के कारण सेवामुक्त किया गया हो ।
(घ) ऐसे उम्मीदवार को, जो भूतपूर्व सैनिक हो, अपनी आयु में से उसके द्वारा पहले की गई प्रतिरक्षा सेवा की अवधि कम करने की अनुमति दी जायेगी बशर्ते की उसके परिणामस्वरूप जो आयु निकले वह अधिकतम आयु से तीन वर्ष से अधिक न हो ।
स्पष्टीकरण- शब्द ''भूतपूर्व सैनिक'' से अभिप्रेत है, ऐसा व्यक्ति, जो निम्नलिखित प्रवर्गो में से किसी एक प्रवर्ग में रहा हो तथा जो भारत सरकार के अधीन कम से कम छह माह की अवधि तक निरन्तर सेवा करता रहा हो तथा जिसकी किसी भी रोज- गार कार्यालय में अपना पंजीकरण कराने अथवा शासकीय सेवा में नियुक्ति के लिये अन्यथा आवेदन-पत्र देने की तारीख से अधिक से अधिक तीन वर्ष पूर्व मितव्ययिता इकाई की सिफारिशों के फलस्वरूप अथवा कर्मचारियों की संख्या में सामान्य रूप से कमी की जाने के कारण छटनी की गई हो अथवा जिसको आवश्यक कर्मचारियों की संख्या से अधिक घोषित किया गया हो ।
(क) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें समय पूर्व निवृत्ति रियायतों (मस्टरिंग आउट कन्सेशन) के अधीन मुक्त किया गया हो;
(ख) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जो देश की सशस्त्र सेना या भूतपूर्व भारतीय रियासती सेना के अधीन छह माह से अधिक समय तक सेवा कर चुके हों और जिन्हें कदाचार के आधार पर मुक्त न किया गया हो;
(ग) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें दोबारा भरती किया गया हो; और
(घ) (एक) अल्पकालीन नियुक्ति की अवधि पूर्ण हो जाने,
(दो) भरती सम्बन्धी शर्ते पूरी हो जाने पर सेवा मुक्त कर दिया गया हो ;
(ङ) मद्रास सिविल इकाई (यनिट) के भूतपूर्व कर्मचारी;
(च) ऐसे अधिकारी (सैनिक तथा असैनिक) जिन्हें उनका अनुबन्ध पूर्ण होने पर सेवा मुक्त किया गया हो जिनमें अल्पावधि सेवा में नियमित कमीशन प्राप्त अधिकारी भी शामिल है;
(छ) ऐसे अधिकारी, जिन्हें अवकाश रिक्तियों पर छह माह से अधिक समय तक निरन्तर कार्य करने के बाद सेवा मुक्त किया गया हो;
(ज) ऐसे भूतपूर्व सैनिक जो असमर्थ होने के कारण सेवा से अलग कर दिये गये हों;
(झ) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें इस आधार पर सेवा से मुक्त किया गया हो कि अब वे सक्षम सैनिक बनने योग्य नहीं रहे;
(ञ) ऐसे भूतपूर्व सैनिक जिनकी गोली लग जाने तथा घाव आदि हो जाने के कारण सेवा से अलग कर दिया गया हो ।
टिप्पणी – (एक) उपर्युक्त खण्ड (अ) के उपखण्ड (ग) की मद (एक) में उल्लेखित आयु संबंधी रियायतों के अनतर्गत जिन उम्मीदवारों को चयन में सम्मिलित किया गया हो, वे यदि आवेदन-पत्र भेजने के पश्चात् या तो चयन के लिए उपस्थितहोने के पूर्व या पश्चात् सेवासे त्यागपत्र दे दें तो नियुक्ति के पात्र नहीं होगे तथापि, यदि आवेद-पत्र भेजने के पश्चात् सेवा अथवा पद से उनकी छटनी कर दी जाये तो वे नियुक्ति के पात्र बने रहेंगे।
(दो) अन्य किसी भी स्थिति में इन आयु सीमाओं मे छूट नही दी जायेगी।
(तीन) विभागीय उम्मीदवारों को आयोग द्वारा किये जाने वाले चयन में सम्मिनलत होने के लिये नियुक्ति प्राधिकारी से पूर्व अनुमति प्राप्त करनी चाहिये ।
आ-शैक्षणिक अर्हताएँ - उसके पास सेवा के लिये विहित और अनुसूची तीन के कालम (5) में दर्शायी गई अर्हताएँ होनी चाहिये, परन्तु आपवादिक मामलों में, आयोग शासन की सिफारिश पर किसी ऐसे उम्मीदवार को अर्हता प्राप्त मान सकेगा जिसके पास यद्यपि इस खण्ड में विहित अर्हताओं में से कोई अर्हता न हो, किन्तु जिसने अन्य संस्थाओं द्वारा संचालित परीक्षाएँ ऐसे 'स्तर से उत्तीर्ण की हों, जो आयोग की राय में उम्मीदवार के चयन पर विचार करने के लिये उचित हों तथा अपने विवेकानुसार चयन के लिये ऐसे उम्मीदवारों के मामलों पर भी विचार कर सकेगा जो अन्यथा रूप से अर्ह तो हो किन्तु जिन्होंने ऐसे विदेशी विश्वविद्यालयों से उपाधि प्राप्त की हो, जो शासन द्वारा विशिष्ट रूप से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय न हो ।
ई-फीस-- उम्मीदवारों को आयोग द्वारा विहित फीस का भुगतान करना होगा ।
9. अनर्हता - उम्मीदवार की ओर से अपनी उम्मीदवारी के लिए सहायता प्राप्त करने के लिये किसी भी जरिये से किया गया कोई भी प्रयास आयोग द्वारा उसके चयन के लिए अनर्हकारी माना जा सकेगा ।
10. उम्मीदवारों की पात्रता के सम्बन्ध में आयोग का निर्णय अन्तिम होगा- चयन के लिए किसी भी उम्मीदवार की पात्रता अथवा अपात्रता के सम्बन्ध में आयोग का निर्णय अन्तिम होगा, और ऐसा उम्मीदवार जिसे आयोग द्वारा प्रवेश पत्र जारी नहीं किया गया है, साक्षात्कार में सम्मिलित नहीं हो सकेगा ।
11 . चयन द्वारा सीधी भरती- (एक) सेवा में भरती के लिए चयन ऐसी अन्तरावधियों से किया जायेगा जिन्हें शासन समय-समय पर आयोग के परामर्श से निश्चित करे ।
(दो) सेवा या पद के लिंए उम्मीदवारों का चयन आयोग द्वारा उनके साक्षात्कार के पश्चात् किया जायेगा ।
12. आयोग द्वारा सिफारिश किये गये उम्मीदवारों की सूची -(1) आयोग ऐसे उम्मीदवारों को, जिन्हें वह सर्वाधिक उपयुक्त समझे और अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के ऐसे उम्मीदवारों के जो यद्यपि उस मानक के अनुसार अर्ह न हों, किन्तु जिन्हें आयोग ने प्रशासन में दक्षता बनाये रखने का समुचित ध्यान रखते हुये सेवा में नियुक्ति के लिये उपयुक्त घोषित किया हो सम्यक् रूप से अधिमान कम में रखे गये नाम तथा अन्य ब्यौरे दर्शाने वाली एक सूची तैयार करेगा, और शासन को भेजेगा ।
(2) इन नियमों तथा मध्य प्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 के उपबन्धों के अधीन उपलब्ध रिक्त स्थानों पर नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों के सम्बन्ध में उसी कम से विचार किया जाएगा, जिस क्रम से उनके नाम सूची में आये हों ।
(3) सूची के किसी उम्मीदवार का नाम शामिल होने से उसे तब तक नियुक्ति का अधिकार नहीं मिल जाता जब तक कि नियुक्ति प्राधिकारी का ऐसी जाँच के पश्चात् जिसे वह आवश्यक समझे, इस बात का समाधान नहीं हो जाता कि उम्मीदवार सेवा में नियुक्ति के लिए सभी प्रकार से उपयुक्त है ।
13. पदोन्नति द्वारा नियुक्ति- (1) पात्र उम्मीदवारों को पदोन्नति के लिये प्रारम्भिक चयन करने के लिये एक समिति गठित की जायेगी, जिसमें अनुसूची-चार के कालम (5) में उल्लखित के सदस्य होंगे ।
(2) जब तक कि परिस्थितियों के अनुसार अन्यथा अपेक्षित न हो समिति की बैठक ऐसी अन्तरावधियों पर होगी जो सामान्यत: एक वर्ष से अधिक की न हों ।
(3) ऐसे पदों में, जिनमें कि पदोन्नति का प्रतिशत 33 प्रतिशत या उससे अधिक हो, पदोन्नति के लिए उपलब्ध रिक्त पदों के 15 प्रतिशत और 18 प्रतिशत पद, जो कि अनुसूची दो में उल्लेखित है, अनुसूचित जाति और जनजाति के उन अधिकारियों के लिये सुरक्षित रहेंगे, जो नियम 14 के प्रावधानों के अनुसार पदोन्नति की पात्रता रखते हों ।
(4) सुरक्षित रिक्त पदों पर पदोन्नत करने की प्रक्रिया शासन द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से समय-समय पर जारी किये गये निर्देशों के अनुसार रहेगी ।
14. पदोन्नति के लिये पात्रता सम्बन्धी शर्ते— (1) उपनियम (2) के उपबन्धों के अधीन समिति उन सभी व्यक्तियों के मामलों पर विचार करेगी, जिन्हें उस वर्ष की पहली जनवरी को अनुसूची-चार के खाना (4) में उल्लेखित पद/सेवा में या किसी अन्य पद या पदों पर जिन्हें शासन ने उनके समतुल्य घोषित किया हो, उतने वर्षो की सेवा (चाहे स्थानापन्न रूप में या मूल रूप में) पूरी कर ली हो, जितने वर्ष अनुसूची-चार के खाना (4) में उल्लेखित है और जो उप- नियम (2) के अनुसार विचार में आते हों ।
(2) सामान्यत: चयन का विचार क्षेत्र योग्यता तथा वरिष्ठता के आधार पर भरे गये पदों के सम्बन्ध में चयन सूची में सम्मिलित किये जाने वाले अधिकारियों की संख्या के सात गुने और वरिष्ठता तथा योग्यता के आधार पर भरे गये पदों के सम्बन्ध में चयन सूची में सम्मिलित किये जाने वाले अधिकारियों की संख्या के पाँच गुने तक सीमित होगा । परन्तु यदि इस प्रकार निर्धारित क्षेत्र में अपेक्षित संख्या में उपयुक्त अधिकारी उपलब्ध न हो तो, यह क्षेव्र समिति के द्वारा लिखित रूप में कारणों या उल्लेख करते हुये, उसके द्वारा आवश्यक समझी गई सीमा तक बढ़ाया जा सकेगा ।
15. उपयुक्त अधिकारियों की सूची तैयार करना —(1) समिति ऐसे व्यक्तियों की सूची तैयार करेगी जो उपर्युक्त नियम 14 में विहित शर्तो को पूरा करते हों तथा जिन्हें समिति सेवा में स्थानान्तरण के लिये उपयुक्त समझती हो । यह सूची चयन सूची की तैयारी की तारीख से एक वर्ष की अवधि के दौरान सेवा निवृत्ति तथा पदोन्नति के कारण प्रत्याशित रिक्त स्थानों को भरने के लिए पर्याप्त होगी ।
पूर्वोक्त अवधि के दौरान होने वाले अनपेक्षित रिक्त स्थानों को भरने के लिए एक आरक्षित सूची भी तैयार की जायेगी, जिसमें उक्त चयन सूची में सम्मिलित व्यक्तियों की संख्या के 25 प्रतिशत व्यक्ति शामिल होंगे ।
(2) ऐसी सूची में नाम सम्मिलित करने के लिये किये जाने वाला चयन वरिष्ठता पर समुचित रूप से ध्यान देते हुये योग्यता तथा सभी दृष्टि से उपयुक्तता पर आधारित होगा ।
(3) सूची में सम्मिलित किये गये अधिकारियों के नाम चयन सूची तैयार करते समय अनुसूची-चार के खाना (2) में यथा विनिर्दिष्ट सेवा में या पद पर उनकी वरिष्ठता के कम में रखे जायेंगे :
परन्तु किसी ऐसे कनिष्ठ अधिकारी को, जो समिति की राय में आपवादिक रूप में योग्य तथा उपयुक्त हो उसे वरिष्ठ अधिकारियों की तुलना में सूची में उच्चतर स्थान दिया जा सकेगा ।
स्पष्टीकरण- ऐसे व्यक्ति का, जिसका नाम चयन सूची में सम्मिलित हो किन्तु जिसकी पदोन्नति सूची की वैधता को अबधि के दौरान न की गई हो, उन व्यक्तियों पर जिनके सम्बन्ध में पश्चात्वर्ती चयन में विचार किया गया हो, केवल पहले चयन किये जाने के तथ्य के आधार पर वरिष्ठता का दावा नहीं होगा ।
(4) इस प्रकार तैयार की गई सूची का प्रतिवर्ष पुनर्विलोकन तथा पुनरीक्षण किया जायेगा ।
(5) यदि इस प्रकार चयन पुनर्विलोकन या पुनरीक्षण के दौरान सेवा के किसी सदस्य का अधिक्रमण प्रस्तावित किया जाये तो समिति प्रस्तावित अधिक्रमण के सम्बन्ध में अपने कारण लेखबद्ध करेगी ।
16. आयोग से परामर्श- नियम 15 के अनुसार तैयार की गई सूची शासन द्वारा निम्नलिखित कागजात के साथ आयोग को भजी जायेगी-
(1) सूची 1 सम्मिलित सभी व्यक्तियों के अभिलेख;
(2) ऐसे समस्त व्यक्तियों के अभिलेख, जिन पर विचार किया गया हो और जिन्हें सूची में की गई सिफारिशों के अनुसार अधिक्रमित किया गया हो;
(3) सम्बन्धित व्यक्तियों के प्रस्तावित अधिक्रमण के लिये समिति द्वारा लेखबद्ध किये गये कारण; तथा
(4) समिति की सिफारिशों पर शासन के विचार ।
17. चयन सूची- (1) आयोग, शासन के प्राप्त अन्य दस्तावेजों के साथ-साथ समिति द्वारा तैयार की गई सूची पर विचार करेगा और यदि उसमें यह कोई परिवर्तन करना आवश्यक न समझे, तो उसे अनुमोदित करेगा ।
(2) यदि आयोग शासन से प्राप्त सूची में कोई परिवर्तन करना आवश्यक समझे तो आयोग प्रस्तावित परिवर्तन के सम्बन्ध में शासन को सूचित करेगा तथा शासन यदि इस पर कोई मत प्रकट करे तो उस पर ध्यान देते हुये ऐसे किन्हीं भी संशोधन सहित, यदि कोई हो जो उसकी राय में न्यायोचित तथा उपयुक्त हो, सूची को अन्तिम रूप से अनुमोदित कर सकेगा ।
(3) आयोग द्वारा अन्तिम रूप से यथा अनुमोदित सूची सेवा के (अनुसूची-तीन के कालम (2) में दिए अनुसार) सदस्यों की (अनुसूची तीन के खाना (3) में दिए अनुसार) पदोन्नति की चयन सूची होगी ।
(4) सामान्यता चयन सूची तब तक लागू रहेगी जब तक कि नियम के उपनियम (4) के अनुसार उसका पुनर्विलोकन अथवा पुनरीक्षण न किया जाए किन्तु उसकी वैधता की अवधि उसके तैयार किए जाने की तारीख से कुल मिलाकर अठारह माह की अवधि से अधिक नहीं बढ़ाई जा सकेगी । परन्तु चयन सूची में सम्मिलित किसी भी व्यक्ति की ओर से कर्तव्य के पालन अथवा निर्वाह के सम्बन्ध में गम्भीर चूक होने की स्थिति में शासन के अनुरोध पर चयन सूची का विशेष रूप से पूनर्विलोकन किया जा सकेगा और यदि आयोग उचित समझे, तो वह चयन सूची में से ऐसे व्यक्ति का नाम हटा सकेगा ।
18. चयन सूची के आधार पर सेवा में नियुक्ति— (1) चयन सूची में सम्मिलित अधिकारियों की सेवा के संवर्ग में आने वाले पदों पर नियुक्तियां उसी क्रम से की जायेगी, जिस क्रम से ऐसे अधिकारियों के नाम चयन सूची में आये हों :
परन्तु यदि प्रशासनिक आवश्यकताओं के कारण ऐसा करना जरूरी हो, तो किसी ऐसे व्यक्ति को जिमका नाम चयन सूची में सम्मिलित न हो अथवा जिसका नाम चयन सूची में दिए गए क्रम में अलग न हो, सेवा में उस स्थिति में नियुक्त किया जा सकेगा जबकि शासन को इस बात का समाधान हो जाए कि रिक्त स्थान के तीन माह से अधिक समय तक चालू रहने की सम्भावना नहीं है ।
(2) जिस व्यक्ति का नाम सेवा की चयन सूची में सम्मिलित हो, साधारणत: उस व्यक्ति को सेवा में नियुक्त करने के पूर्व आयोग से परामर्श करना तब तक आवश्यक नहीं होगा जब तक कि चयन सूची में उसका नाम सम्मिलित होने में तथा प्रस्तावित नियुक्ति की तारीखों के बीच की अवधि में उसके कार्य के स्तर में गिरावट न आई हो, जो शासन की राय में ऐसी हो जिससे वह सेवा में नियुक्ति के लिए उपयुक्त न रह गया हो ।
19. परिवीक्षा- सेवा में स्थायी पद पर सीधी भरती किए गए प्रत्येक व्यक्ति को दो वर्ष की अवधि के लिए परिवीक्षा पर नियुक्त किया जाएगा ।
20. निवर्चन- यदि इन नियमों के निवर्चन के सम्बन्ध में कोई प्रश्न उठे तो उसे शासन को निर्दिष्ट किया जाएगा और उस पर उसका निर्णय अन्तिम होगा ।
21. छूट- इन नियमों में दी गई किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह ऐसे व्यक्ति के सम्बन्ध में, जिस पर ये नियम लागू होते हों, ऐसी रीति से कार्यवाही करने की राज्यपाल की शक्ति को सीमित या कम करती है, जो उसे उचित और न्यायसंगत प्रतीत हो :
परन्तु मामले पर ऐसी रीति से कार्यवाही नहीं की जाएगी जो इन नियमों में उपबन्धित रीति की अपेक्षा उसके लिए कम अनुकूल हो ।
22. (क) व्यावृत्ति- इन नियमों में दी गई किसी भी बात का इस सम्बन्ध में राज्य शासन द्वारा समय-समय पर जारी किए गए आदेशों के अनुसार अनुसूचित जातियों तथा अनु- सूचित जनजातियों के लिए प्रदान किए जाने वाले अपेक्षित आरक्षणों तथा अन्य शर्तो पर प्रभाव नही पड़ेगा ।
(ख) निरसन तथा व्यावृत्ति -इन नियमों के तत्स्थानी और इनके प्रारम्भ होने के तुरन्त पहले प्रवृत्त सभी नियम इसके द्वारा इन नियमों के अन्तर्गत आने वाले विषयों के सम्बन्ध में निरसित किए जाते हैं :
परन्तु इस प्रकार निरसित नियमों के अधीन दिया गया कोई भी आदेश या की गई कोई भी कार्यवाही इन नियमों के तत्स्थानी उपबन्धों के अधीन दिया गया आदेश या की गई कार्यवाही समझी जाएगी ।
अनुसूची-एक
[ नियम 5 देखिये ]
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सेवा में सम्मिलित पदों के नाम
(1)
|
पदों की संख्या
(2)
|
वर्गीकरण
(3)
|
वेतनमान
(4)
|
अभ्युक्ति
(5)
|
|
1. संचालक
|
1
|
प्रथम श्रेणी
|
रु० 1860-60-2100-75-2400
|
|
|
2. उप संचालक
|
1
|
प्रथम श्रेणी
|
रु० 1370-40-1450-50-1700-ई० बी० -50-1800-60-2100
|
|
|
3. पुरालेखन अधिकारी (आर्कीविस्ट)
|
1 [4
|
द्वितीय श्रेणी
|
रु० 1000-30-1210-40-1450ई०बी० -50-1800-60-1920
|
|
|
4. सहायक पुरालेख अधिकारी (असिस्टेंट आर्कीविष्ट)
|
4
|
द्वितीय श्रेणी
|
रु० 925-25-1000-30-1150-ई०बी०-30-1210-40-1450-50-1500
|
|
अनुसूची-दो
[ नियम 6 तथा 8 देखिये ]
|
विभाग का नाम
|
सेवा का नाम व पद का नाम
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पदों की संख्या
|
भरे जाने वाले पदों की संख्या का प्रतिशत
|
अन्य सेवा के व्यक्तियों के स्थानांतरण द्वारा नियम 6 के अनुसार
|
अभ्युक्ति
|
|
सीधी भर्ती द्वारा नियम 6 के अनुसार
|
सेवा के सदस्यों की पदोन्नति द्वारा नियम 6 के अनुसार
|
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
(5)
|
(6)
|
(7)
|
|
संस्कृति विभाग
|
म०प्र० राज्य अभिलेखागार (राजपत्रित) सेवा संचालक
|
1
|
...
|
100 प्रतिशत
|
...
|
यदि पदोन्नति के लिए उपुयुक्त व्यक्ति उपलब्ध न हो तो पद की पूर्ती या तो सीधी भर्ती द्वारा या अन्य सेवाओं से स्थानांतरण द्वारा की जावेगी तथा प्रत्येक अवसर पर शासनों द्वारा इस सम्बन्ध में निर्णय लिया जाएगा |
|
| |
उप संचालक
|
1
|
...
|
100 प्रतिशत
|
...
|
म० प्र० को अन्य सेवाओं से स्थानांतरण द्वारा अधिमानत: गजेटियर संचालनालय और शिक्षा विभाग से जो पद के लिए निर्धारित योग्यता धारण करते हों |
|
| |
पुरालेखन अधिकारी
|
1 [4
|
50 प्रतिशत
|
50 प्रतिशत
|
|
तदैव
|
| |
सहायक पुरालेख अधिकारी
|
4
|
75 प्रतिशत
|
25 प्रतिशत
|
|
...
|
- मध्य प्रदेश राजपत्र भाग 4 (ग) दिनांक 8 फरवरी, 1985 के पृष्ठ 55 पर प्रकाशित, अधिसूचना दिनांक 25-7-1984 द्वारा स्थापित |
|
अनुसूची-तीन
[ नियम 6 तथा 8 देखिये ]
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विभाग का नाम
|
पद का नाम
|
न्यूनतम आयु सीमा
|
अधिकतम आयु सीमा
|
निर्धारित शैक्षणिक अर्हताएं
|
अभ्युक्ति
|
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
(5)
|
(6)
|
|
संस्कृति विभाग
|
संचालक
|
35
|
45
|
अनिवार्य-
(क) आधुनिक अथवा मध्यकालीन भारतीय इतिहास विषय में द्वितीय श्रेणी में स्नातकोत्तर उपाधि या इसके समकक्ष कोई अन्य उपाधि |
(ख) प्रकाशित शोधकार्य तथा/या इतिहास का संपादन कार्य |
(ग) कम से कम 7 वर्ष का प्रशासनिक अनुभव |
वांछनीय-पुरालेख अनुरक्षण का ज्ञान |
|
पदोन्नति किए जाने या अन्य सेवाओं में स्थानांतरित किए जाने वाले व्यक्तियों के लिए कोई आयु सीमा नहीं होगी |
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| |
उप संचालक
|
30
|
40
|
अनिवार्य-
(क) आधुनिक अथवा मध्यकालीन भारतीय इतिहास विषय में द्वितीय श्रेणी में स्नातकोत्तर उपाधि या इसके समकक्ष कोई अन्य उपाधि |
(ख) शोधकार्य इतिहास में सम्पादन तथा/या संकलन कार्य |
(ग) 5 वर्ष का प्रशासनिक अनुभव |
वांछनीय – पुरालेख अनुरक्षण का तथा मराठी या फारसी का ज्ञान |
|
|
| |
पुरालेख अधिकारी
|
25
|
30
|
अनिवार्य –
(क) आधुनिक तथा मध्यकालीन भारतीय इतिहास विषय में द्वितीय श्रेणी में स्नातकोत्तर उपाधि या इसके समकक्ष कोई उपाधि |
(ख) पुरालेख या संग्रहालय में कार्य करने का तीन वर्ष का अनुभव |
(ग) अंग्रेजी का ज्ञान |
वांछनीय – पुरालेख अनुरक्षण कार्य का
ज्ञान, मराठी या फारसी का
ज्ञान |
|
|
|
संस्कृति विभाग
|
सहायक पुरालेख अधिकारी
|
25
|
30
|
अनिवार्य-
(क) आधुनिक अथवा मध्यकालीन भारतीय इतिहास विषय में द्वितीय श्रेणी में स्नातकोत्तर उपाधि या इसके समकक्ष कोई अन्य उपाधि |
(ख) पुरालेख कार्य में 3 वर्ष का अनुभव |
वांछनीय- स्नातक पर उर्दू/फारसी तथा/या मराठी एक विषय के रूप में लिया गया हो |
|
|
अनुसूची-चार
[ नियम 18 देखिये ]
|
विभाग का नाम
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सेवा या पद का नाम जिससे पदोन्नति किया जाना है
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उस सेवा या पद का नाम जिस पर पदोन्नति किया जाना है
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न्यूनतम सेवा काल
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विभागीय पदोन्नति समिति के सदस्यों के नाम नियम 13 के अनुसार
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(1)
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(2)
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(3)
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(4)
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(5)
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संस्कृत विभाग
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उप संचालक
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संचालक
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उप संचालक के पद पर 5 वर्ष का सेवाकाल
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अध्यक्ष-मुख्य सचिव, मध्य प्रदेश शासन |
सदस्य-
1. वरिष्ठतम सचिव, मध्य प्रदेश, शासन |
2. सचिव, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति विभाग
3. उप-सचिव/विशेष सचिव, संस्कृत विभा्ग सदस्य सचिव के रूप में |
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पुरालेख अधिकारी
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उप संचालक
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पूरालेख अधिकारी के पद पर 3 वर्ष का सेवाकाल
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अध्यक्ष – अध्यक्ष मध्य प्रदेश लोक सेवा
आयोग या उनके द्वारा नामांकित
आयोग का सदस्य |
सदस्य-
1. सचिव, मध्य प्रदेश शासन, संस्कृति विभाग
2. राजकीय अभिलेखागार संचालक
3. उपसचिव/विशेष सचिव, संस्कृति विभाग सदस्य सचिव के रूप में |
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सहायक पुरालेख अधिकारी
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पुरालेख अधिकारी
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सहायक पुरालेख अधिकारी के पद पर 3 वर्ष का सेवाकाल
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तदैव
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पंजीयक/सहायक पुरालेखपाल ग्रेड-1
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सहायक पुरालेख अधिकारी
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पंजीयक के लिए तीन वर्ष का तथा सहायक पुरालेखपाल ग्रेड-1 के लिए 5 वर्ष का सेवाकाल
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तदैव
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टीप-(1) स्थानान्तरण द्वारा-मध्य प्रदेश शासन के दूसरे विभाग के अधिकारी भी राजकीय अभिलेखागार के किसी पद पर स्थानान्तरण के लिये विचार के पात्र होंगे यदि वे, समान वेतनमान में हों, तथा अनुसूची तीन में उल्लेखित योग्यताएँ धारण करते हों ।
(2) पंजीयक तथा सहायक पुरालेखपाल ग्रेड- 1 के पदों पर अन्तःवारीयता उन्हीं तिथियों से निर्धारित की जावेगी जिन तिथियों से वे पदोन्नति के पात्र होंगे जैसा कि इस अनुसूची के कालम (4) में दर्शाया गया है ।
[म० प्र० राजपत्र भाग 4 (ग) दिनांक 25 मई, 1984 के पृष्ठ 27-33 पर प्रकाशित ]