मध्य प्रदेश कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड नियम , 1983
क्रमांक 143-135 एक (1)-82. दिनांक 26 जनवरी , 1983- भारत के संविधान के अनुच्छेद 3०9 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए, मध्य प्रदेश के राज्यपाल, एतद्द्वारा, सम्पूर्ण राज्य के लिए कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड का गठन करने तथा बोर्ड की शक्तियों एवं कर्त्तव्यों को परिनिश्चित करने के लिए औंर उनसे सम्बन्धित विषयों के लिये निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात् -
नियम
1. संक्षिप्त नाम तथा प्रारम्भ – (1) इन नियमों का संक्षिप्त नाम ''मध्य प्रदेश कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड नियम, 1983'' हैं ।
(2) ये नियम ऐसी तारीख को प्रवृत्त होंगे जिसे राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा, नियत करे ।
2. परिभाषाएँ- इन नियमों में, जब तक सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-
(क) ''नियुक्ति प्राधिकारी'' से अभिप्रेत है वह प्राधिकारी जो सम्बन्धित कनिष्ठ सेवा में किसी पद पर नियुक्ति करने के लिए सक्षम है;
(ख) ''बोर्ड'' से अभिप्रेत है नियम 3 के अधीन गठित राज्य कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड; (ग) ''कनिष्ठ सेवा'' से अभिप्रेत है राज्य के कार्यकलापों से संसक्त लोक सेवा तथा पद, किन्तु उसमें निम्नलिखित सम्मिलित नहीं है-
(एक) ऐसे पद जिनके सम्बन्ध में नियुक्ति आदि को राज्य के राजपत्र में अधि- सूचित किया जाना अपेक्षित है, या
(दो) ऐसे पद जो उच्च न्यायालय, राज्य सचिवालय, विधान सभा, लोक आयुक्त और विधि परामर्शी की स्थापना में है, या
(तीन) ऐसे पद जो पुलिस विभाग की कार्यपालिक शाखा में हैं, या
(चार) ऐसे पद जो मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की स्थापना में है, या
(पांच) ऐसे पद जो मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के कार्य क्षेत्र में है, या
(छ:) चतुर्थ वर्ग के पद, सिवाय उन पदों के जो राज्य सरकार द्वारा इन नियमों के प्रयोजनों के लिए अधिसूचित किए गए हैं, या
(सात) ऐसे पद जो राज्य सरकार के सामान्य या विशेष आदेश द्वारा बोर्ड के कार्य क्षेत्र से अपवर्जित किए गए हैं,
(घ) ''सदस्य'' से अभिप्रेत है बोर्ड का सदस्य;
(ड) ''अनुसूचित जाति का सदस्य'' से अभिप्रेत है किसी जाति, मूलवंश या जनजाति अथवा किसी जाति, मूलवंश या जनजाति के भाग या किसी जाति, मूलवंश या जनजाति के भीतर के समूह के, जो कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 341 के अधीन राज्य के सम्बन्ध में अनुसूचित जाति के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है, सदस्य से है;
(च) ''अनुसूचित जनजाति का सदस्य'' से अभिप्रेत किसी जनजाति, जनजाति समुदाय अथवा किसी जनजाति या जनजाति समुदाय के भाग या किसी जनजाति या जनजाति समुदाय के भीतर के समूह के, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के अधीन मध्य प्रदेश राज्य के सम्बन्ध में अनुसूचित जनजाति के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है, सदस्य से है ।
3 . राज्य कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड का गठन - (1) सम्पूर्ण मध्य प्रदेश राज्य के लिए एक राज्य कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड होगा ।
(2) बोर्ड में अध्यक्ष तथा नौ सदस्य होंगे ।
(3) बोर्ड का अध्यक्ष तथा सदस्य राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किए जायेंगे :
परन्तु कोई भी व्यक्ति शासकीय सदस्य के रूप में तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा जब तक कि उसने शासन के अधीन प्रथम वर्ग अथवा उप-संचालक के समतुल्य पद की पंक्ति में निम्न पंक्ति का पद दस वर्ष से अन्यून अवधि तक धारण न किया हो :
1 [परन्तु यह और भी कि ऐसे व्यक्ति के मामले में जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति या पिछड़े वर्ग का सदस्य हो, राज्य सरकार ऐसे व्यक्ति को शासकीय सदस्य के रूप में तब तक नियुक्त नहीं करेगी जब तक कि उसने राज्य शासन के अधीन द्वितीय वर्ग की पंक्ति से अनिम्न पंक्ति का पद 10 वर्ष से अन्यून कालावधि तक धारण न किया हो ।
स्पष्टीकरण- अभिव्यक्ति पिछड़े वर्ग से अभिप्रेत है वे समस्त वर्ग अनु_सूचित जाति तथा अनु- सूचित जनजाति को छोड्कर) जिन्हें राज्य सरकार के आदिम जाति, हरिजन तथा पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा जारी की गई अधिसूचना क्र० एफ० 12-34-82-2-पच्चीस, दिनांक 6 दिसम्बर, 1982 तथा क्रमांक एफ० 12-34-82-2-पच्चीस, दिनांक 4 फरवरी, 1983 के अनुसार उस रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है । 1
(4) अध्यक्ष ऐसा अशासकीय व्यक्ति होगा जो राज्य सरकार के अधीन लाभ का कोई पद धारण न करता हो.
परन्तु किसी प्रकार की पेन्शन पाने वाले विधान मंडल या संसद के किसी भूतपूर्व सदस्य को लाभ का पद धारण करने वाला नहीं समझा जायगा :
परन्तु और यह भी कि केन्द्र सरकार से या राज्य सरकार से सम्मान निधि या उसी प्रकार की अन्य कोई निधि चाहे वह किसी भी नाम से जानी जाती हो, प्राप्त करने वाले किसी भी व्यक्ति को लाभ का पद धारण करने वाला नहीं समझा जाएगा ।
4. किसी व्यक्ति के अध्यक्ष या सदस्य के रूप में नियुक्ति के लिए पात्रता- बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में या सदस्य के रूप में नियुक्ति के लिये पात्र होने हेतु किसी व्यक्ति की निम्नलिखित अर्हतायें होगी अर्थात्-
(1) वह तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन सम्यक् रूप से स्थापित किसी विश्वविद्यालय की उपाधि धारण करता हो या ऐसी अन्य शैक्षणिक अर्हताएँ रखता हो जिन्हें राज्य सरकार द्वारा ऐसी उपाधि के समतुल्य मान्यता दी गई हो;
(2) नियुक्ति के समय उसने 35 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली हो और वह 60 वर्ष से अधिक आयु का न हो :
परन्तु अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति के मामले में, अहंकारी न्यूनतम आयु राज्य सरकार द्वारा पाँच वर्ष से अनधिक कालावधि के लिये शिथिल की जा सकेगी ।
5. अध्यक्ष या सदस्य के रूप में नियुक्ति हेतु निरर्हतायें- कोई भी व्यक्ति बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में या सदस्य के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा या उस रूप में बना नहीं रहेगा, यदि ऐसा व्यक्ति-
(1) विकृतचित्त का हो और सक्षम न्यायालय द्वारा उस रूप में घोषित किया गया हो; या
(2) अनुन्मोचित दिवालिया हो; या
(3) किसी सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसे अपराध का, जिसमें नैतिक अध: पतन अंतर्वलित हो, सिद्ध दोष ठहराया गया हो और ऐसी दोषसिद्धि को अपास्त न किया गया हो ।
6. अध्यक्ष तथा सदस्यों की पदावधि- बोर्ड के अध्यक्ष तथा प्रत्येक सदस्य की पदावधि उनके अपने-अपने पद का कार्यभार ग्रहण करने की तारीख के प्रारम्भ से 3 वर्ष होगी ।
7. अध्यक्ष तथा सदस्य द्वारा पद त्याग- (1) बोर्ड का अध्यक्ष राज्य सरकार को लिखित में त्याग-पत्र निविदत्त करके अपना पद त्याग सकेगा और ऐसा त्याग-पत्र राज्य सरकार द्वारा उनकी स्वीकृति की तारीख से प्रभावी होगा ।
(2) बोर्ड का कोई भी सदस्य, सिवाय शासकीय सदस्यों के राज्य सरकार को अध्यक्ष के मार्फत लिखित में त्याग-पत्र निविदत्त करके अपना पद त्याग सकेगा और ऐसा त्याग-पत्र राज्य सरकार द्वारा उनकी स्वीकृति की तारीख से प्रभावी होगा ।
8. अध्यक्ष या सदस्य का हटाया जाना या निलम्बन- (1) बोर्ड का अध्यक्ष या कोई सदस्य अवचार या अपने कर्त्तव्यों के निर्वहन में उपेक्षा के लिए या कदाचार के किसी कार्य का दोषी होने के कारण सरकार के आदेश द्वारा पद से हटाया जा सकेगा :
परन्तु हटाये जाने के लिए कोई भी आदेश यथास्थिति अध्यक्ष या सदस्य को, प्रस्तावित कार्यवाही के विरुद्ध कारण दर्शाने के सूचना दिये बिना पारित नहीं किया जायेगा ।
(2) राज्य सरकार, लिखित आदेश द्वारा; अध्यक्ष या किसी सदस्य को, जिसके कि संबंध में उपनियम (1) के अधीन कार्यवाही अनुध्यात है या लम्बित है, पद से निलंबित कर सकेगी ।
परन्तु निलंबन का ऐसा कोई भी आदेश-
(एक) कार्यवाहियों में अन्तिम आदेश पारित कर दिये जाने के पश्चात् या,
(दो) पदावधि के परे, या
(तीन) यदि ऐसा अध्यक्ष या सदस्य साठ वर्ष की आयु प्राप्त कर ले,
प्रर्वत्तन में नहीं रहेगा ।
स्पष्टीकरण- इस नियम के प्रयोजन के लिए यदि अध्यक्ष या सदस्य यथास्थिति अध्यक्ष के रूप में सदस्य के रूप में अपनी पदावधि के दौरान, राज्य सरकार के साथ या ऐसी सरकार के किसी अधिकारी के साथ शासकीय सदस्य के मामले में सेवा की संविदा या सेवा की पदावधि से भिन्न किसी करार में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हित रखता है या अर्जित करता है तो यथास्थिति अध्यक्ष या सदस्य के सम्बन्ध में यह समझा जायेगा कि उसने कदाचार का कार्य किया हए ।
9. कतिपय आकस्मिकताओं में अध्यक्ष या सदस्य की नियुक्ति का पूर्व पर्यवसान- नियम 6 में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी राज्य सरकार लिखित आदेश द्वारा बोर्ड के अध्यक्ष या किसी सदस्य की नियुक्ति का पर्यवसान कर सकेगी यदि अध्यक्ष या ऐसा सदस्य-
(क) अपनी पदावधि के दौरान, स्वयं को किसी ऐसे कारबार, वृत्ति, आजीविका या संवेतनिक नियोजन में लगा लेता है जो उसके पदीय कर्त्तव्यों के बाहर है; या
(ख) राज्य सरकार की प्रातीतिक राय में किसी राजनैतिक दल के क्रिया कलापों या विचार विमर्शो से सक्रिय रूप में भाग लेता है :
परन्तु इस धारा के अधीन कोई भी आदेश, यथास्थिति अध्यक्ष या सदस्य को प्रस्तावित कार्यवाही के विरुद्ध कारण दर्शाने की सूचना दिए बिना पारित नहीं किया जाएगा |
स्पष्टीकरण- इन नियम के प्रयोजन के लिये-
(एक) ऐसे किसी सदस्य को जो राज्य सरकार या भारत सरकार से पेन्शन या सेवान्त सुविधायें प्राप्त करने वाला सेवा निवृत्त शासकीय सेवक हो केवल इस आधार पर कि वह ऐसी पेन्शन या सेवान्त प्रसुविधाएं प्राप्त कर रहा है, अपने पदीय कर्त्तव्यों के बाहर किसी आजीविका या संवैतनिक नियोजन में लगा हुआ नहीं समझा जायेगा ।
(दो) किसी सदस्य को जो भूतपूर्व सदस्य विधान सभा अथवा लोक सभा होने के नाते पेंशन, सम्मान; निधि या उसी प्रकार की कोई अन्य निधि प्राप्त करता है, केवल इस आधार पर कि वह ऐसी सम्मान निधि या उपरोक्त अन्य निधि या पेंशन प्राप्त करता है, अपने पदीय कर्त्तव्यों से बाहर आजीविका या संवैतनिक नियोजन में लगा हुआ नहीं समझा जाएगा ।
10. शासकीय सदस्यों की उपलब्धियाँ भत्ते आदि- (1) शासकीय सदस्य ऐसी उपलब्धियाँ तथा भत्ते प्राप्त करेंगे जो राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर अवधारित किये जायें ।
(2) राज्य सरकार द्वारा अन्यथा आदेशित के सिवाय कोई शासकीय सदस्य, बोर्ड में अपनी सदस्यता के दौरान, उन सेवा विषयों से सम्बन्धित तत्समय प्रवृत्त किसी विधि को सम्मिलित करते हुए उन्हीं सेवा शर्तों द्वारा शासित होगा, जिनके कि ऐसा पदधारी अन्यथा अध्यधीन होता, यदि वह राज्य सरकार के कार्य कलापों के सम्बन्ध में नियोजन में बना रहता :
परस्तु राज्य सरकार अवकाश वेतन उपलब्धियाँ यात्राभत्तों और राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर अनुज्ञात प्रभारों को सम्मिलित करते हुये भत्ते मंजूर करने के लिये बोर्ड के अध्यक्ष को या राज्य सरकार के किसी अन्य अधिकारी को सशक्त कर सकेगी ।
11. प्रक्रिया- राज्य सरकार के पूर्व अनुमोदन के अध्यधीन रहते हुए बोर्ड द्वारा अपने कर्त्तव्यों तथा कृत्यों के निबर्हन में अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया वह होगी जो कि बोर्ड के अध्यक्ष द्वारा अवधारित की जाएं ।
12. बोर्ड का मुख्यालय- बोर्ड का मुख्यालय भोपाल में स्थित होगा ।
13. बोर्ड के कृत्य- बोर्ड के कृत्य निम्नानुसार होंगे-
(एक) विभागों तथा रोजगार कार्यालयों से कनिष्ठ सेवा के अधीन पदों की वह संख्या अभिनिश्चित करना जिसके लिये समय-समय पर भरती की जाना है;
(दो) विज्ञापन के माध्यम से आवेदन पत्र आमंत्रित करना;
(तीन) विज्ञापन के प्रत्युत्तर में प्राप्त आवेदनों की संवीक्षा करना;
(चार) प्रतियोगी परीक्षाओं और/या छानबीन के पश्चात् साक्षात्कारों द्वारा यदि आवश्यक हो, उपयुक्त अभ्यर्थियों का चयन करना;
(पाँच) सामान्य तथा सुरक्षित प्रवर्गो के चयन किये गए अभ्यर्थियों के नाम नियुक्ति प्राधिकारी को पृथक्-पृथक् अग्रेषित करना;
(छ:) बोर्ड द्वारा किये गये चयन के अभिलेखों को बनाये रखना;
(सात) बोर्ड के कार्य तथा कृत्यों के बारे में राज्य सरकार को एक वार्षिक रिपोर्ट, सुधार हेतु सुझावों सहित यदि कोई हो, प्रस्तुत करना;
(आठ) ऐसे अन्य कर्त्तव्यों या कृत्यों का पालन करना जो सरकार द्वारा समय-समय पर सौपे जायें ।
14. स्थानापन्न अध्यक्ष की नियुक्ति और आकस्मिक रिक्ति का भरा जाना-( 1) यदि बोर्ड के अध्यक्ष का पद अवकाश या अनुपस्थिति के कारण अस्थायी रूप से रिक्त हो जाये या यदि किसी अन्य कारण से बोर्ड का अध्यक्ष अपने पद के कर्त्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हो जाये तो उसके कर्तव्यों और कृत्यों का निर्वहन तथा पालन बोर्ड के ऐसे सदस्य द्वारा किया जायेगा जिसे राज्य सरकार सामान्य या विशेष आदेश द्वारा, विनिर्दिष्ट करें ।
(2) यदि अध्यक्ष या किसी सदस्य के पद में, मृत्यु, पदत्याग, हटाये जाने, पर्यबसान या निरर्हता के कारण आकस्मिक रूप से रिक्ति होती हे तो ऐसी रिक्ति होने के पश्चात् यथाशीघ्र राज्य सरकार द्वारा नियुक्ति करके भरी जायेगी और इस प्रकार नियुक्त व्यक्ति उसके पूर्ववर्ती की अनवसित पदावधि के लिए पद धारण किये रहेगा ।
15. अध्यक्ष तथा अशासकीय सदस्यों की सेवा की शर्ते- बोर्ड के अध्यक्ष तथा अशासकीय सदस्यों की सेवा की शर्ते जिसमें वेतन तथा भत्ते और अन्य परिलब्धियों, यदि कोई हों, सम्मिलित है, ऐसी होंगी जैसी की राज्य सरकार द्वारा किसी सामान्य या विशेष आदेश द्वारा समय-समय पर अवधारित की जाय ।
16. सचिव की नियुक्ति - (1) राज्य सरकार बोर्ड के लिये एक सचिव नियुक्त करेगी ।
(2) बोर्ड का सचिव, बोर्ड का प्रमुख कार्यपालक अधिकारी होगा ।
(3) बोर्ड के सचिव की सेवा की शर्ते ऐसी होगी जो राज्य सरकार द्वारा अवधारित की जाए ।
17. बोर्ड के अन्य अधिकारी तथा सेवक- (1) राज्य सरकार के या ऐसे अधिकारी के, जिसे वह सामान्य या विशेष आदेश के अधीन सशक्त करें, पूर्व अनुमोदन के अध्यधीन रहते हुये, बोर्ड का अध्यक्ष ऐसे अन्य अधिकारियों तथा सेवकों को ऐसे वेतन और भत्तों पर नियुक्त कर सकेगा और उनके लिये सेबा की ऐसी शर्ते अधिकथित कर सकेगा । जैसी की बोर्ड का अध्यक्ष उचित समझे ।
(2) बोर्ड का अध्यक्ष ऐसी शर्तो और निबन्धों के अध्यधीन रहते हुये जैसी की वह विनिर्दिष्ट करे उपनियम (1) के अधीन उसमें विहित शक्तियों को बोर्ड के सचिव या किसी अन्य अधिकारी को प्रत्यायोजित कर सकेगा ।
18. बोर्ड की समितियां-( 1) बोर्ड का अध्यक्ष, कार्य के सुविधापूर्ण संव्यवहार के लिये दो या अधिक सदस्यों की समितियाँ बना सकेगा और जब तक कि वह ऐसी समिति की अध्यक्षता स्वयं करने का विनिश्चय न करे उनमें से एक सदस्य को ऐसी समिति की अध्यक्षता करने के लिए नामनिर्दिष्ट कर सकेगा ।
(2) उपनियम (1) के अधीन गठित समितियाँ बोर्ड के समस्त कृत्यों का या उसमें से किसी भी कृत्य का जो कि बोर्ड द्वारा इस सम्बन्ध में सौंपे जायें या समुनुदेशित किये जायें, निवर्हन कर सकेगी । ऐसी समितियों द्वारा किये गये समस्त कार्य, लिए गए समस्त साक्षात्कार, की गई संवीक्षायें तथा लिये गये समस्त विनिश्चय बोर्ड द्वारा किये गए कार्य, लिए गए साक्षात्कार, की गई संवीक्षायें तथा लिए गए विनिश्चय समझे जायेंगे ।
19. बोर्ड आदि के विनिश्चय तथा कार्य - (1) बोर्ड या उपरोक्तानुसार बोर्ड की किसी समिति के विनिश्चय तथा समस्त अन्य कार्य उपस्थित सदस्यों के बहुमत के विनिश्चय के अनुसार होंगे और मत समान होने की दशा में बोर्ड का अध्यक्ष या किसी समिति की अध्यक्षता करने वाले सदस्य का निर्णायक मत होगा ।
(2) सचिव या बोर्ड के अध्यक्ष द्वारा सशक्त कोई अन्य अधिकारी बोर्ड की कार्यवाहियों का सही तथा विश्वसनीय अभिलेख बनाये रखेगा या रखवाएगा और वह बोर्ड द्वारा लिए गए विनिश्चयों या की गई सिफारिशों या किए गए कोई अन्य कार्य या किए जाने के लिए आदेशित किसी कार्य को अपनी सील तथा हस्ताक्षर के अधीन बोर्ड के लिए या उसकी ओर से अधि- प्रमाणित कर सकेगा ।
20. नियुक्तियाँ चयन सूची के अनुसार की जायेगी- सम्बन्धित नियुक्ति प्राधिकारी, बोर्ड को अधिसूचित किए गए पदों के रिक्त स्थानों के लिये नियुक्तियाँ, सामान्यत: बोर्ड द्वारा तैयार की गई तथा अग्रेषित की गई चयन सूची में उपदर्शित क्रम के अनुसार करेगा और मतभेद के मामलों में, राज्य सरकार से भिन्न, किसी नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा, लिखित में कारण उसके अव्यवहित वरिष्ठ प्राधिकारी को संसूचित किए जावेगे और चयन सूची में दर्शाये गए नाम या क्रम में फेर-फार करके नियुक्ति करने के लिए, नियुक्ति के औपचारिक आदेश जारी करने के पूर्व उसका अनुमोदन प्राप्त किया जाएगा ।
21. बोर्ड को अन्य कृत्यों का सौपा जाना- बोर्ड कनिष्ठ सेवा से सम्बन्धित या संसक्त समस्त विषयों या उसमें से किसी भी विषय की बाबत् ऐसे, अन्य कृत्यों का जो कि राज्य सरकार द्वारा, उसे सौपे जायें, पालन करेगा ।
22. नीति विषयक प्रश्नों पर राज्य सरकार द्वारा निर्देश —(1) बोर्ड, अपने कृत्यों के निवर्हन में नीति विषयक प्रश्नों पर उन सामान्य या विशेष निर्देशों द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त करेगा जो कि राज्य सरकार द्वारा बोर्ड को दिए जायें ।
(2) उपनियम (1) के अधीन कोई निर्देश जारी करने के पूर्व. राज्य सरकार,-
(एक) नागरिकों के किसी ऐसे पिछड़े वर्ग के पक्ष में, जिसे राज्य सरकार की राय में राज्य के अधीन कनिष्ठ सेवा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला हो, नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिए पूर्व में बनाए गए उपबन्धों का या ऐसे उपबन्धों के पुनरीक्षण की आवश्यकता का,
(दो) जनता के कमजोर वर्गों के और विशेषत: अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के आर्थिक हितों के प्रति विशेष सावधानी रखते हुए, प्रोन्नयन की आवश्यकता का, और
(तीन) कनिष्ठ सेवा तथा उसके पदों पर नियुक्तियों के लिए सिफारिशें करते समय अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के उन दावों का जो प्रशासन में दक्षता बनाये रखने से सुसंगत हों;
सम्यक् ध्यान रखेगी ।
23. बोर्ड में किसी रिक्ति या उसके गठन में परिवर्तन से कार्यवाहियों में अवरोध नहीं होगा- (1) बोर्ड या उसकी कोई समिति, अध्यक्ष या किसी सदस्य की अनुपस्थिति या उसके सदस्यों में किसी रिक्ति के होते हुए भी कार्य करेगी :
परन्तु जहाँ अध्यक्ष या अध्यक्षता करने वाला सदस्य किसी भी कारण से अनुपस्थित हो, वहां यथास्थिति बोर्ड या समिति के अन्य उपस्थित सदस्य, सदस्यों में से किसी सदस्य को साक्षात्कारों या विचार विमर्शों की अध्यक्षता करने हेतु निर्वाचित करने के लिये तत्काल अग्रसर होंगे :
परन्तु यह और भी कि यदि अध्यक्ष या अध्यक्षता करने वाला सदस्य को सम्मिलित करते हुए कम से कम दो सदस्य उपस्थित न हों, तो यथास्थिति साक्षात्कार या विचार विमर्श मुलतवी कर दिये जायेंगे ।
24. लेखाओं को बनाये रखने तथा जानकारी और आकड़े आदि प्रस्तुत करने सम्बन्धी निर्देश देने की राज्य सरकार की शक्ति- राज्य सरकार, लिखित आदेश द्वारा बोर्ड को-
(क) लेखा पुस्तकों, रजिस्टरों, अभिलेखों तथा नस्तियों को सम्मिलित करते हुए ऐसी पुस्तकों को ऐसी कालावधि के लिये, जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाए, बनाए रखने के लिए,
(ख) बोर्ड के गठन तथा कार्यकरण के सम्बन्ध में राज्य सरकार को ऐसी जानकारी या आकड़े, ऐसे प्ररूप में तथा ऐसे समय के भीतर जो आदेश में विनिर्दिष्ट किया जाए, प्रस्तुत करने के लिए,
निर्देश दे सकेगी ।
25. शिथिल करने की शक्ति- इन नियमों में की किसी भी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह किसी व्यक्ति के मामले में बोर्ड द्वारा उसके चयन किए जाने या चयन के किए जाने के प्रश्न के सम्बन्ध में ऐसी रीति में, जो राज्यपाल को उचित तथा सम्यापूर्ण प्रतीत हो, उनके द्वारा कार्यवाही करने की शक्ति को सीमित या न्यून करती है :
परन्तु जहाँ किसी अभ्यर्थी या व्यक्ति के मामले में कोई नियम शिथिल किया जाता है; वहाँ उस मामले में ऐसी किसी रीति में कार्यवाही नहीं की जायेगी जो कि उस नियम द्वारा उपबन्धित रीति से उसके लिये कम अनुकूल हो ।
26. निरसन तथा व्यावृत्ति- इन नियमों के तत्स्थानी समस्त नियम तथा कार्य- पालक आदेश, जो इन नियमों के प्रारम्भ होने के ठीक पूर्व प्रवृत्त हों, उन नियमों के अन्तर्गत आने वाले विषयों के सम्बन्ध में एतदद्वारा निरस्त किए जाते हैं । सिवाय उन बातों के सम्बन्ध में जो कि ऐसे निरसन के पूर्व की गई या करने से छोड़ दी गई है ।
27. कठिनाईयाँ दूर करने की शक्ति - यदि इन नियमों के उपबन्धों को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उद्भूत हो, तो राज्यपाल जब भी अवसर उद्भूत हो आदेश द्वारा इन नियमों से असंगत न होने वाले ऐसे निर्देश दे सकेंगे जो कठिनाईयाँ दूर करने के प्रयोजन के लिए उन्हें आवश्यक प्रतीत हो ।
[मध्य प्रदेश राजपत्र (आसाधारण) दिनांक 26 जनवरी, 1983 के पृष्ठ 234 से 23