मध्य प्रदेश जनशक्ति नियोजन विभाग (राजपत्रित) सेवा भरती नियम , 1992
क्र.1502-6289-बयालीस-2-89- भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुये, मध्य प्रदेश के राज्यपाल एतद्द्वारा मध्य प्रदेश जनशक्ति नियोजन विभाग राजपत्रित सेवा भरती से सम्बन्धित निम्नलिखित नियम बनाते हैं अर्थात्-
नियम
1. संक्षिप्त नाम- इन नियमों का संक्षित नाम ''मध्य प्रदेश जनशक्ति नियोजन विभाग (राजपत्रित) सेवा भरती नियम, 1992 है ।
2. परिभाषाएँ- इन नियमों में, जब तक सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-
(क) सेवा के सम्बन्ध में ''नियुक्ति प्राधिकारी'' से अभिप्रेत है सरकार;
(ख) ''आयोग'' से अभिप्रेत है मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग:
(ग) ''अनुसूची से अभिप्रेत है इन नियमों से संलग्न अनुसूची;
(घ) ''अनुसूचित जाति'' से अभिप्रेत है कोई जाति, मूल वंश या जनजाति अथवा किसी जाति, मूलवंश या जनजाति का भाग या उसमें का यूथ, जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 341 के अधीन मध्य प्रदेश राज्य के सम्बन्ध में अनुसूचित जाति के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है;
(ङ) ''अनुसूचित जनजाति'' से अभिप्रेत है कोई जनजाति या जनजाति समुदाय का भाग या उसमें का युथ, जिसे भारत से संविधान के अनुच्छेद 342 के अधीन मध्य प्रदेश राज्य के सम्बन्ध में ऐसी अनुसूचित जनजाति के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है;
(च) ''सेवा'' से अभिप्रेत है मध्य प्रदेश जनशक्ति नियोजन विभाग (राजपत्रित) सेवा ।
3. विस्तार तथा लागू होना- मध्य प्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) 1961 में अन्तर्विष्ट उपबन्धों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ये नियम सेवा के प्रत्येक सदस्य को लागू होंगे ।
4. सेवा का गठन - सेवा में निम्नलिखित व्यक्ति होंगे, अर्थात्-
(1) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के प्रारम्भ होने के समय अनुसूची एक में विनिर्दिष्ट पदों को मूल रूप से धारण कर रहे हों;
(2) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के प्रारम्भ होने के पूर्व सेवा में भर्ती किए गए हों;
(3) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के उपबन्धों के अनुसार, सेवा में भर्ती किये गये हो ।
5. वर्गीकरण , वेतनमान आदि- सेवा का वर्गीकरण, उनसे सम्बन्ध वेतनमान तथा सेवा में सम्मिलित पदों की संख्या अनुसूची-एक में अन्तर्विस्ट उपबन्धों के अनुसार होगी :
परन्तु सरकार, समय-समय पर, सेवा में सम्मिलित किए गए पदों की संख्या में या तो स्थायी या अस्थायी आधार पर वृद्धि या कमी कर सकेगी ।
6. भर्ती का तरीका – (1) इन नियमों के प्रारम्भ होने के पश्चात् सेवा में भर्ती निम्नलिखित तरीकों से की जायेगी, अर्थात्-
(क) सीधी भरती चयन द्वारा;
(ख) सेवा में के सदस्यों की पदोन्नति द्वारा;
(ग) ऐसे व्यक्ति के स्थानान्तरण द्वारा, जो ऐसी सेवा में ऐसे पद जिन्हें इस निमित्त विनिर्दिष्ट किया जाये मूल हैसियत में, धारण करते हों ।
(2) उपनियम (1) के खण्ड (ख) या खंड (ग) के अधीन भरती किये गए व्यक्तियों की संख्या अनुसूची-एक में विनिर्दिष्ट कर्त्तव्य पदों की संख्या का उस प्रतिशतता से किसी भी समय अधिक नहीं होगी, जो अनुसूची-दो में दर्शायी गई है ।
(3) इन नियमों के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुये, सेवा में की किसी ऐसी विशिष्ट रिक्ति या रिक्तियों को, जिसे या जिन्हें भरती की किसी विशिष्ट कालावधि के दौरान भरा जाना अपेक्षित हो भरे जाने वाले तरीका या तरीके और प्रत्येक तरीके द्वारा भरती किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या प्रत्येक अवसर पर सरकार द्वारा आयोग के परामर्श से अवधारित की जायेगी ।
(4) उपनियम (1) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुये भी, यदि सरकार की राय में सेवा की आवश्यकताओं के कारण ऐसा करना अपेक्षित हो तो सरकार, सामान्य प्रशासन विभाग की पूर्व सहमति से एवं आयोग की सहमति से उक्त उपनियम में विनिर्दिष्ट सेवा में भरती के उन तरीकों से भिन्न ऐसे तरीकों को अपना सकेगी, जिन्हें वह इस निमित्त जारी किये गये आदेश दारा विहित करे ।
7. सेवा में नियुक्ति- इन नियमों के प्रारम्भ होने से पश्चात् सेवा में समस्त नियुक्तियां, सरकार द्वारा की जायेगी और ऐसी कोई भी नियुक्ति नियम 6 में विनिर्दिष्ट भरती के तरीकों में से किसी एक तरीके द्वारा चयन करने के पश्चात् ही की जायेगी, अन्यथा नहीं ।
8. सीधी भरती के लिये पात्रता की शर्ते- चयन किये जाने के लिये पात्र होने हेतु अभ्यर्थी को निम्नलिखित शर्ते पूरी करना होंगी, अर्थात्-
(1) आयु-
(क) उसमें चयन प्रारम्भ होने की तारीख के ठीक आगामी जनवरी के प्रथम दिन को अनुसूची-तीन के कालम (3) में विनिर्दिष्ट की गई आयु पूरी कर ली हो और उक्त अनुसूची के कालम (4) में विनिर्दिष्ट की गई आयु पूरी न की हो ।
(ख) यदि अभ्यर्थी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का हो तो उच्चतर आयु सीमा में अधिकतम 5 वर्ष तक की छूट दी जायेगी ।
(ग) उन अध्यर्थियों के सम्बन्ध में भी, जो मध्य प्रदेश सरकार के कर्मचारी हो या रह चुके हों, नीचे विनिर्दिष्ट की गई सीमा तक तथा शर्तो के अध्यधीन रहते हुये उच्चतर आयु सीमा में छूट दी जायेगी-
(एक) ऐसा अभ्यर्थी, जो स्थायी सरकारी सेवक है, 38 वर्ष से अधिक आयु का नहीं होना चाहिये ।
(दो) ऐसा अभ्यर्थी, जो अस्थायी रूप से कोई पद धारण किये हो और किसी अन्य पद के लिये आवेदन कर रहा है, 38 वर्ष से अधिक आयु का नहीं होना चाहिये । यह रियायत आकस्मिकता निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारियों, कार्य भारित कर्मचारियों और परियोजना कार्यान्वयन समितियों में कार्यरत कर्मचारियों को भी अनुज्ञेय होगी ।
(तीन) ऐसा अभ्यर्थी जो छटनी किया गया सरकारी सेवक हो, अपनी आयु में से उसके द्वारा पूर्व में की गई सम्पूर्ण अस्थायी सेवा की अधिकतम 7 वर्ष तक की कालावधि, भले ही वह कालावधि एक से अधिक बार की गई सेवाओं का योग हो, कम करने के लिये अनुज्ञात किया जायेगा, परन्तु इसके परिणामस्वरूप जो आयु निकले वह उच्चतर आयु सीमा से तीन वर्ष से अधिक न हो ।
स्पष्टीकरण- पद ''छटनी किया गया सरकारी सेवक'' से द्योतक है ऐसा व्यक्ति, जो इस राज्य की या संगठन इकाईयों में से किसी भी इकाई की अस्थायी सरकारी सेवा में कम से कम छह मास की कालावधि तक निरन्तर रहा हो और जिसे रोजगार कार्या- लय में अपना रजिस्ट्रीकरण कराने की या सरकारी सेवा में नियोजन हेतु अन्यथा आवेदन पत्र देने की तारीख से अधिक से अधिक तीन वर्ष पूर्व स्थापना में कमी किए जाने के कारण सेवोन्मुक्त किया गया हो ।
(चार) ऐसा अभ्यर्थी जो भूतपूर्व सैनिक हो, अपनी आयु में से उसके द्वारा पूर्व में की गई प्रतिरक्षा सेवा की सम्पूर्ण कालावधि कम करने के लिए अनुज्ञात किया जाएगा, किन्तु इसके परिणामस्वरूप जो आयु निकले वह उच्चतर आयु सीमा से तीन वर्ष से अधिक न हो ।
स्पष्टीकरण- पद ''भूतपूर्व सैनिक'' से द्योतक है ऐसा व्यक्ति जो निम्नलिखित प्रवर्गो में से किसी एक प्रवर्ग का हो और जो भारत सरकार के अधीन कम से कम छह मास की कालावधि तक निरन्तर नियोजित रहा हो और किसी भी रोजगार कार्यालय में अपना नाम रजिस्ट्रीकरण कराने की या सरकारी सेवा में नियोजन हेतु अन्यथा आवेदन पत्र देने की तारीख से अधिकतम तीन वर्ष पूर्ब मितव्ययिता इकाई की सिफारिशों के परिणामस्वरूप या स्थापना में सामान्य रूप से कमी किए जाने के कारण जिसकी छटनी की गई हो या जिसे अधिशिष्ट (सरप्लस) घोषित किया गया हो---
(1) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें सेवा निवृत्त रियायतों मस्टरिंग आउट कन्सेशन) के अधीन नियुक्त कर दिया गया हो;
(2) ऐसे भूतपूर्व सैनिक जो दूसरी बार भरती किए गए हो, और जिन्हें--
(क) अल्पकालीन वचनबंध पूर्ण हो जाने पर;
(ख) भरती की शर्तो को पूर्ण कर लेने पर;
सेवोन्मुक्त कर दिया गया हो-
(3) मद्रास सिविल यूनिट के भूतपूर्व कर्मचारी;
(4) ऐसे अधिकारी (सैनिक तथा असैनिक) जिनमें अल्पावधि सेवा के नियमित कमीशन प्राप्त अधिकारी आते हैं जो उनकी संविदा पूर्ण होने पर सेवोन्मुक्त किये गए हों;
(5) ऐसे अधिकारी, जिन्हें अवकाश रिक्तियों पर छह मास से अधिक समय तक निरन्तर कार्य करने के पश्चात् सेवोन्मुक्त किया गया हो;
(6) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें इस आधार पर सेवोन्मुक्त किया गया हो कि उनके दक्ष सैनिक बनने की संभावना नहीं है;
(7) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें अशक्त होने के कारण सेवा से अलग कर दिया गया हो;
(8) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिनको गोली लग जाने, घाव आदि हो जाने के कारण चिकित्सीय आधार पर सेवा से अलग कर दिया गया हो;
(ग) मध्य प्रदेश राज्य निगम/बोर्ड के कर्मचारियों के सम्बन्ध में उच्चतर आयु सीमा 38 वर्ष होगी;
(घ) विधवा, निराश्रित और तलाकशुदा महिला अभ्यर्थियों के सम्बन्ध में उच्चतर आयु सीमा में 2 वर्ष तक की छ्ट दी जाएगी;
(ङ) परिवार नियोजन कार्यक्रम के अधीन ग्रीन कार्ड धारक अभ्यर्थियों के सम्बन्ध में उच्चतर आयु सीमा में 2 वर्ष तक की छूट दी जाएगी;
(च) आदिम जाति, हरिजन तथा पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन कार्यक्रम के अधीन पुरस्कृत दम्पत्ति में से उच्चतर जाति के पति या पत्नि के सम्बन्ध में सामान्य उच्चतर आयु सीमा में 5 वर्ष तक की छूट दी जाएगी;
(छ) ''विक्रय पुरस्कार'' धारक अभ्यर्थी के सम्बन्ध में भी सामान्य उच्चतर आयु सीमा में 5 वर्ष तक की छूट दी जायेगी;
(ज) ऐसे अभ्यर्थी को जिसने नगर-सेना में सेवा की हो और जिसे अनुपयुक्त अधिकारी के रूप में घोषित किया गया हो, उसकी आयु में से उसके द्वारा पूर्व में की गई इसी नगर-सेना सेवा की सम्पूर्ण कालाबधि उसकी नगर सेना सेवा के सम्बन्ध में अधिकतम 8 वर्ष की छूट के अध्यधीन रहते हुए कम करने के लिये अनुज्ञात किया जाएगा, किन्तु इसके परिणामस्वरूप को आयु निकले 38 वर्ष की उच्चतर आयु सीमा से अधिक न हो ।
टिप्प्णी - ऐसे अभ्यर्थी, जिन्हे उपर्युक्त खंड 8(ग) के उपखण्ड (छ) (एक) तथा (तीन) में वर्णित आयु संबंधी रियायतों के अधीन चयन में प्रवेश दिया गया हो, यदि वे आवेदन पत्र प्रस्तुत करने के पश्चात् या तो चयन किये जाने के पूर्व या उसके पश्चात् सेवा से त्याग-पत्र दे देते हैं तो वे नियुक्ति के लिये पात्र नहीं होंगे तथापि यदि आवेदन पत्र प्रस्तुत करने के पश्चात् सेवा या पद से उनकी छटनी कर दी जाती है तो वे नियुक्तियों के पात्र बने रहेंगे।
(2) शैक्षणिक अर्हतायें -उसके पास सेवा के लिये विहित की गई ऐसी शैक्षाणिक अर्हतायें होनी चाहिये, जो अनुसूची-तीन में दर्शाई गई है :
परन्तु-
(क) आयोग अपवादिक मामलों में, सरकार की सिफारिश पर किसी ऐसे अभ्यर्थी को अहित मान सकेगा, जो यद्यपि इस खण्ड में विहित की गई अर्हताओं में से कोई अर्हता न रखता हो; किन्तु जो ऐसे स्तर से उत्तीर्ण हो, जिसके कारण आयोग की राय में अभ्यर्थी का चयन के लिये प्रवेश दिया जाना न्यायोचित हो;
(ख) ऐसे अभ्यर्थियों के सम्बन्ध में भी, जो अन्यथा अहित हो, किन्तु जिन्होंने ऐसे विदेशी विश्वविद्यालयों से उपविधियां प्राप्त की हैं, जो विश्वविद्यालय सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट रूप से मान्यता प्राप्त न हो चयन के लिये आयोग के विवेकानुसार विचार किया जा सकेगा ।
(3) फीस -उसे आयोग द्वारा विहित की गई फीस का संदाय करना होगा ।
9. निरर्हता- अभ्यर्थी द्वारा अपनी अम्यथिता के लिए किन्हीं भी साधनों से समर्थन अभिप्राप्त करने के किसी भी प्रयास पर आयोग द्वारा उसे चयन के लिये निरर्हित ठहराया जा सकेगा ।
10. अभ्यर्थियों की पात्रता के सम्बन्ध में आयोग का विनिश्चय अन्तिम होगा- चयन में प्रवेश के लिये किसी अभ्यर्थी की पात्रता या अपात्रता के सम्बन्ध में आयोग का विनिश्चय अन्तिम होगा और किसी ऐसे अभ्यर्थी को, जिसे आयोग द्वारा प्रवेश प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया गया हो, साक्षात्कार नहीं लिया जाएगा ।
11. चयन द्वारा सीधी भरती- (1) सेवा में भर्ती के लिये चयन ऐसे अन्तरालों से किया जायगा जिन्हें कि सरकार आयोग के परामर्श से समय-समय पर अवधारित करें ।
(2) सेवा के लिये अभ्यर्थियों का चयन आयोग द्वारा प्रतियोगिता परीक्षा/प्राक्चयन परीक्षा एवं साक्षात्कार अथवा केवल साक्षात्कार के पश्चात् किया जायगायन के लिये हर अवसर पर ऐसी प्रक्रिया अपनाई जायेगी । जैसा कि आयोग समय-समय पर निश्चित करें ।
(3) सीधी भरती के लिये उपलब्ध रिक्त पदों में से 15 प्रतिशत तथा 18 प्रतिशत पद उन अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रखे जाएँगे जो क्रमश: अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्य हैं ।
(4) इस प्रकार आरक्षित रिक्तियों को भरते समय, उन अभ्यर्थियों की जो अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जन जातियों के सदस्य हैं, नियुक्ति पर विचार उसी क्रम से किया जायगा जिस क्रम से उनके नाम नियम 12 में निर्दिष्ट सूची में आये हैं चाहे अन्य अभ्यर्थियों की तुलना में उनका सापेक्षिक स्थान कुछ भी क्यों न हो ।
(5) अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के उन अभ्यर्थियों को, जिनके उपयुक्त होने की सिफारिश प्रशासन में दक्षता बनाए रखने का सम्यक् ध्यान रखते हुये सेवा में नियुक्ति के लिये आयोग द्वारा की गई है, यथास्थिति अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिये उपनियम (3) के अधीन आरक्षित रिक्तियों पर नियुक्त किया जा सकेगा ।
(6) यदि अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थी उनके लिए इस प्रकार आरक्षित सभी रिक्तियों को भरने के लिए पर्याप्त संख्या में उपलब्ध न हों, शेष रिक्तियां अनन्य रूप से उन्हीं अभ्यर्थियों के लिए दो बार पुन: विज्ञापित की जायेंगी । यदि पुन: विज्ञापन के पश्चात् भी कोई रिक्ति भरी जाने से रह जाती है, तो वे रिक्तियाँ सामान्य अभ्यर्थियों में से भरी जायेंगी और उतनी ही संख्या के बराबर की अतिरिक्त रिक्तियां पश्चात्वर्ती चयन के दौरान यथास्थिति, अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिये आरक्षित रखी जायेंगी :
परन्तु अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रिक्तियों की कुल संख्या (अग्रनीत किये गये पदों को सम्मिलित करते हुये) विज्ञप्ति की गई कुल रिक्तियों के पैंतालीस प्रतिशत से किसी भी समय अधिक नहीं होगी ।
12. आयोग द्वारा सिफारिश किये गये अभ्यर्थियों की सूची – (1) आयोग, ऐसे अभ्यर्थियों की जो ऐसे स्तर से अहित हों, जैसा कि आयोग अवधारित करे और अनुसूचित जातियो तथा अनुसूचित जनजातियों के ऐसे अभ्यर्थियों की, यद्यपि उस स्तर से अहित नहीं हो, जिन्हें आयोग में प्रशासन में दक्षता बनाये रखने का सम्यक् ध्यान रखते हुए सेवा में नियुक्ति के लिए उपयुक्त घोषित किया हो, गुणागुण (मेरिट) के क्रम से बनाई गई एक सूची सरकार को अग्रेषित करेगा । सूची को सर्वसाधारण की जानकारी के लिये प्रकाशित भी किया जायेगा ।
(2) इन नियमों तथा मध्य प्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुये, उपलब्ध रिक्तियों पर अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिये उसी क्रम में विचार किया जायेगा जिससे कि उनके नाम सूची में आये हैं ।
(3) सूची में किसी अभ्यर्थी का नाम सम्मिलित किये जाने से ही उसे नियुक्ति का कोई अधिकार तब तक प्रदत्त नहीं होता हे, जब तक कि सरकार का, ऐसी जांच करने के पश्चात् जैसी की आवश्यकता समझी जाये, यह समाधान न हो जाए कि अभ्यर्थी सेवा में नियुक्ति के लिये सभी प्रकार से उपयुक्त है ।
(4) चयन सूची आयोग द्वारा उसके जारी किये जाने की तारीख से एक वर्ष की काला- वधि के लिए विधिमान्य होगी ।
13 पदोन्नति द्वारा नियुक्ति- (1) पात्र अभ्यर्थियों का पदोन्नति के लिए प्रारम्भिक चयन करने हेतु एक समिति का गठन किया जायेगा, जिनमें अनुसूची-चार में वर्णित सदस्य होंगे ।
हैं समिति सामान्यत : एक वर्ष से अनधिक के अन्तरालों में अपनी बैठक करेगी ।
(3) ऐसे पदों पर, जिनमें पदोन्नति की प्रतिशतता 33,1/2 प्रतिशत या उससे अधिक है, पदोन्नति के लिए उपलब्ध रिक्तियों का 15 प्रतिशत तथा 18 प्रतिशत क्रमश: अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के उन अधिकारियों के लिए आरक्षित रहेगा, जो नियम 14 के उपबन्धों के अनुसार पदोन्नति के लिए पात्र हों ।
(4) आरक्षित रिक्तियों में पदोन्नति करने के लिये प्रक्रिया सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा, समय-समय पर, जारी किए गए अनुदेशों के अनुसार होगी ।
14. पदोन्नति के लिये पात्रता की शर्ते -(1) उपनियम (2) के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुये; समिति उन समस्त व्यक्तियों के मामलों पर विचार करेगी जिन्होंने उस वर्ष पहली जनवरी को उन पदों पर जिनमें कि पदोन्नति की जानी है, उतने वर्ष की सेवा (चाहे स्थानापन्न रूप में या मूल रूप में हो) जितनी कि अनुसूची-चार के कालम (3) में विनिर्दिष्ट है; पूरी कर ली हो और जो उपनियम (2) के उपबन्धों के अनुसार विचार क्षेत्र में आते हों :
परन्तु आपातकालीन कमीशन तथा अल्पकालिक सेवा कमीशन से निर्मुक्त किये गये अधिकारियों की सेवा की संगणना सेवा में उनकी नियुक्ति के पश्चात् उस तारीख से की जायेगी जिस तारीख से उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग के ज्ञापन क्रमांक 2266-1987 एक (3)-67, तारीख 21 अक्टूबर, 1967 के अनुसार सेवा में नियुक्त किया समझा गया है :
परन्तु यह और भी किसी कनिष्ठ व्यक्ति को उससे ज्येष्ठ व्यक्ति पर अधिमान्यता देकर प्रवर-श्रेणी/पदोन्नति के लिये केवल इस आधार पर विचार नहीं किया जायेगा कि उसने सेवा विहित कालावधि पूर्ण कर ली है ।
(2) चयन का खेल, ''योग्यता सह ज्येष्ठता'' के आधार पर भरे जाने वाले पदों के सम्बन्ध में, चयन सूची में सम्मिलित किये जाने वाले अधिकारियों की संख्या के सामान्यत. सात गुना तक ''ज्येष्ठता सह योग्यता'' के आधार पर भरे जाने वाले पदों के सम्बन्ध में सम्मिलित किये जाने वाले अधिकारियों की संख्या के सामान्यत: पाँच गुना तक सीमित होगा :
परन्तु यदि इस प्रकार अवधारित क्षेत्र में उपयुक्त अधिकारी अपेक्षित संख्या में उपलब्ध न हो तो क्षेत्र को उस सीमा तक बढ़ाया जा सकेगा जिस तक समिति द्वारा लिखित में कारणों का उल्लेख करते हुये, आवश्यक समझा जाये ।
15. उपयुक्त अधिकारियों की सूची का तैयार किया जाना- ,(1) समिति ऐसे व्यक्तियों की एक सूची तैयार करेगी जो ऊपर नियम 14 में विहित की गई शर्तो को पूरा करते हों और जो समिति द्वारा सेवा में पदोन्नति हेतु उपयुक्त ठहराये गये हों । यह सूची, चयन सूची के तैयार करने की तारीख से एक वर्ष के दौरान सेवा निवृत्ति तथा पदोन्नति के कारण होने वाली प्रत्याशित रिक्तियों को भरने के लिये पर्याप्त होगी । उक्त सूची में सम्मिलित किये गये व्यक्तियों की एक संख्या के पच्चीस प्रतिशत व्यक्तियों की एक आरक्षित सूची भी उपर्युक्त कालावधि के दौरान होने वाली अनवेक्षित रिक्तियों को भरने के लिये तैयार की जायेगी ।
(2) ऐसी सूची में सम्मिलित करने के लिये किया जाने वाला चयन ज्येष्ठता का सम्यक् ध्यान रखते हुये सभी दृष्टि से योग्यता तथा उपयुक्तता पर आधारित होगा ।
(3) ऐसी प्रत्येक चयन सूची को तैयार करते समय सूची में सम्मिलित किये गये अधि- कारियों के नाम अनुसूची-चार के कालम दे में यथाविनिर्दिष्ट सेवा में या पदों में ज्येष्ठता के कम में रखे जायेंगे :
परन्तु ऐसे कनिष्ठ अधिकारी को, जो समिति की राय में असाधारण योग्य तथा उपयुक्त हो, उससे ज्येष्ठ अधिकारियों की तुलना में सूची में उच्चतर स्थान दिया जा सकेगा ।
स्पष्टीकरण- ऐसे किसी व्यक्ति का जिसका नाम चयन सूची में सम्मिलित किया गया हो, किन्तु जो सूची की विधिमान्यता के दौरान पदोन्नति नहीं किया गया हो, केवल उसके पूर्वतर चयन के तथ्य से ही उन व्यक्तियों के ऊपर, जिस पर पश्चात्वर्ती चयन में विचार किया गया हो, ज्येष्ठता का दावा नहीं होगा ।
(1) इस प्रकार तैयार की गई सूची का पुनर्विलोकन तथा पुनरीक्षण प्रतिवर्ष किया जायेगा ।
(5) यदि चयन, पुनर्विलोकन का पुनरीक्षत की प्रक्रिया के दौरान राज्य की अधीनस्थ सिविल सेवा के किसी सदस्य का अधिक्रमण करना प्रस्तावित हो तो समिति प्रस्तावित अधिक्रमण के सम्बन्ध में अपने कारणों को अभिलिखित करेगी ।
16. आयोग से परामर्श- विभागीय पदोन्नति समिति जिसकी अध्यक्षता आयोग के अध्यक्ष या किसी सदस्य द्वारा की गई हो, की सिफारिश के बारे में यह समझा जायेगा कि संविधान के अनुच्छेद 320 के खण्ड (3)
के उपखण्ड (ख) के अधीन आयोग से परामर्श करने की अपेक्षा का अनुपालन हो गया है और आयोग से पृथक रूप से परामर्श करना आवश्यक नहीं होगा ।
17. चयन सूची—( 1) सरकार द्वारा अन्तिम रूप से यथाअनुमोदित सूची अनुसूची-चार के कालम (2) में दर्शाये गये पदों से उक्त अनुसूची के कालम (2) में वर्णित पदों पर सेवा के सदस्यों की पदोन्नति करने के लिये चयन सूची होगी ।
(2) यदि आयोग सरकार से प्राप्त सूची में कोई परिवर्तन करना आवश्यक समझता है तो आयोग सरकार को प्रस्तावित परिवर्तन की सूचना देगा और सरकार की टिप्पणियों पर यदि कोई हो, विचार करने के पश्चात्, सूची को ऐसे उपान्तरणों के साथ, यदि कोई हों, जैसे कि उसकी राय में न्यायसंगत और उपयुक्त हों, अन्तिम रूप से अनुमोदित कर सकेगा ।
(3) आयोग द्वारा अन्तिम रूप से यथाअनुमोदित सूची सेवा के सदस्यों की पदोन्नति के लिए चयन सूची होगी ।
(4) चयन सूची सामान्यत: तब तक प्रवृत्त रहेगी जब तक कि नियम 15 के उपनियम (4) के अनुसार उसका पुनर्विलोकन या पुनरीक्षण नहीं कर लिया जाता किन्तु उसकी विधि- मान्यता उसके तैयार किए जाने की तारीख से 18 मास की कुल कालावधि से परे बढ़ाई नहीं जाएगी :
परन्तु चयन सूची में सम्मिलित किसी व्यक्ति की ओर से आचरण या कर्त्तव्यों के पालन में गम्भीर गलती होने की दशा में चयन सूची का विशेष रूप से पुनर्विलोकन सरकार के अनुरोध पर किया जा सकेगा और आयोग, यदि वह उचित समझे, ऐसे व्यक्ति का नाम चयन सूची में से हटा सकेगा ।
18 चयन सूची से सेवा में नियुक्ति— (1) चयन सूची में सम्मिलित अधिकारियों की नियुक्तियां सेवा संवर्ग के पदों पर उसी क्रम से की जायेगी, जिस क्रम में ऐसे अधिकारियों के नाम चयन सूची में आये हों :
परन्तु जहां प्रशासनिक आवश्यकताओं के कारण ऐसा करना अपेक्षित हो, वहां ऐसे व्यक्ति को, जिसका नाम चयन सूची में सम्मिलित नहीं हो, सेवा में नियुक्त किया जा सकेगा यदि सरकार का यह समाधान हो जाए कि रिक्ति के तीन मास से अधिक समय तक चालू रहने की सम्भावना नहीं है ।
(2) ऐसे व्यक्ति की, जिसका नाम चयन सूची में सम्मिलित हो सेवा में नियुक्ति के पूर्व आयोग से परामर्श करना सामान्यत: तब तक आवश्यक नहीं होगा, जब तक कि चयन सूची में उसका नाम सम्मिलित किये जाने तथा उस सेवा में उसकी प्रस्तावित नियुक्ति की तारीख के बीच की कालावधि के दौरान उसके कार्य में ऐसी कोई गिरावट न आ गई हो, जिससे सरकार की राय में वह सेवा में नियुक्ति के लिए अनुपयुक्त हो गया हो ।
19. परिवीक्षा- सेवा में सीधी भरती किये गये प्रत्येक व्यक्ति को दो वर्ष की काला- वधि के लिए परिवीक्षा पर नियुक्त किया जाएगा ।
20. निर्वचन- यदि इन नियमों के निर्वचन के सम्बन्ध में कोई प्रश्न उद्भूत होता है तो उसे सरकार को निर्दिष्ट किया जाएगा, जिसका उस पर विनिश्चय अन्तिम होगा ।
21. छूट- इन नियमों में की किसी भी बात का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह किसी ऐसे व्यक्ति के मामले में, जिसे यह नियम लागू होते हों, राज्यपाल की, ऐसी रीति में जो उसे न्यायसंगत और साम्यपूर्ण प्रतीत होती हो, कार्यवाही करने की शक्ति को सीमित या कम करती है :
परन्तु कोई मामला ऐसी रीति में नहीं निपटाया जाएगा जो कि इन नियमों में उपबंधित रीति की अपेक्षा उसके लिए कम अनुकूल हो ।
22. व्यावृत्ति- इन नियमों में की गई कोई भी बात अनुसूचित जातियों तथा अनु- सूचित जनजातियों के लिए राज्य सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में, समय-समय पर, जारी किये गये आदेशों के अनुसार उपबन्धित किये जाने के लिए अपेक्षित आरक्षण तथा अन्य शर्तो को प्रमाणित नहीं करेगी ।
23 निरसन -इन नियमों के तत्स्थानी तथा इनके प्रारम्भ होने के ठीक पूर्व प्रवृत्त समस्त नियम इन नियमों के अन्तर्गत आने वाले विषयों के सम्बन्ध में, एतदद्वारा निरस्त किये जाते हैं :
परन्तु इस प्रकार निरसित नियमों के अधीन किये गये किसी आदेश या की गई कार्यवाही के सम्बन्ध में यह समझा जायेगा कि वह इन नियमों के तत्स्थानी उपबन्धों के अधीन किया गया है या की गई है ।
अनुसूची-एक
[ नियम 5 देखिये ]
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अनुक्रमांक
(1)
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सेवा में सम्मिलित पदों का नाम
(2)
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कर्तव्य पदों की संख्या
(3)
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वर्गीकरण
(4)
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वेतनमान
(5)
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टिप्पणियां
(6)
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1.
|
वरिष्ठ शोध अधिकारी
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2
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प्रथम श्रेणी
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रु०3000-100-3500-125-4500
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2.
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परियोजना अधिकारी
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1
|
प्रथम श्रेणी
|
रु०3000-100-3500-125-4500
|
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|
3.
|
शोध अधिकारी
|
3
|
द्वितीय श्रेणी
|
रु० 2200-75-2800-100-4000
|
|
|
4.
|
सहायक संचालक
|
4
|
द्वितीय श्रेणी
|
रु० 2200-75-2800-100-4000
|
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अनुसूची-दो
[ नियम 6 देखिये ]
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विभाग का नाम
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सेवा का नाम
|
पद का नाम
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भरे जाने वाले कर्तव्य पदों की संख्या का प्रतिशत
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कर्तव्य पदों की कुल संख्या
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सीधी भर्ती द्वारा
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सेवा के मूल सदस्यों की पदोन्नति द्वारा
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अन्य विभाग से अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति द्वारा
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(1)
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(2)
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(3)
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(4)
|
(5)
|
(6)
|
(7)
|
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जनशक्ति नियोजन विभाग
|
मध्य प्रदेश जनशक्ति नियोजन (राजपत्रित) सेवा
|
वरिष्ठ शोध अधिकारी
|
2
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...
|
...
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100 प्रतिशत आर्थिक एवं सांख्यिकी सेवा के प्रथम वर्ग के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति द्वारा
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परियोजना अधिकारी
शोध अधिकारी
सहायक संचालक
|
1
3
4
|
100 प्रतिशत
50 प्रतिशत
50 प्रतिशत
|
....
50 प्रतिशत
50 प्रतिशत
|
...
...
...
|
| |
|
|
|
|
|
|
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अनुसूची – तीन
[ नियम 8 देखिये ]
|
विभाग का नाम
(1)
|
सेवा का नाम
(2)
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सेवा में पद का नाम
(3)
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न्यूनतम आयु सीमा
(4)
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उच्चतर आयु सीमा
(5)
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विहित शैक्षणिक अर्हता
(6)
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टिप्पणियां
(7)
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जनशक्ति नियोजन विभाग
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मध्य प्रदेश जनशक्ति नियोजन (राजपत्रित) सेवा
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1. परियोजना अधिकारी
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21 वर्ष
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30 वर्ष
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किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र/ सांख्यिकी/गणित/समाजशास्त्र विषय में से किसी एक विषय में प्रथम श्रेणी स्नातकोत्तर उपाधि
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2. शोध अधिकारी
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21 वर्ष
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30 वर्ष
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-तदैव-
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3. सहायक संचालक
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21 वर्ष
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30 वर्ष
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-तदैव-
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अनुसूची-चार
[ नियम 13 देखिये ]
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विभाग का नाम
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सेवा या पद का नाम जिससे पदोन्नति की जाना है
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पदोन्नति के लिए अपेक्षित अनुभव
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सेवा या पद का नाम जिस पर पदोन्नति की जाना है
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विभागीय पदोन्नति समिति के सदस्यों का नाम
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अभ्युक्ति
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जनशक्ति नियोजन विभाग
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1. शोध अधिकारी /सहायक संचालक
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5 वर्ष
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वरिष्ठ शोध अधिकारी/परियोजना अधिकारी
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अध्यक्ष, मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग या उसके द्वारा नामनिर्दिष्ट कोई सदस्य सचिव, मध्य प्रदेश जनशक्ति नियोजन विभाग या उसके द्वारा नामनिर्दिष्ट कोई सदस्य
अपर रोजगार आयुक्त एवं संचालक, जनशक्ति नियोजन
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अध्यक्ष
सदस्य
सदस्य
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2. वरिष्ठ शीघ्रलेखन/ कनिष्ठ शोध अधिकारी/सहायक सांख्यिकी अधिकारी
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5 वर्ष
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शोध अधिकारी/सहायक संचालक
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अध्यक्ष, मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग या उसके द्वारा नामनिर्दिष्ट कोई सदस्य
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अध्यक्ष
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सचिव, जनशक्ति नियोजन विभाग या उसके द्वारा नामनिर्दिष्ट कोई सदस्य
अपर रोजगार आयुक्त एवं संचालक जनशक्ति नियोजन |
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सदस्य
सदस्य
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[मध्य प्रदेश राजपत्र भाग 4 (ग) दिनांक 31 जुलाई, 1992 के पृष्ठ 335-343 पर हिंदी तथा 344 से 351 पर अंग्रेजी में प्रकाशित |