मध्य प्रदेश खेल और युवक कल्याण (राजपत्रित) सेवा भरती नियम , 19881
.क्र० 1-3-83 नौ-भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए, मध्य प्रदेश के राज्यपाल, मध्य प्रदेश खेल और युवक कल्याण (राजपत्रित) सेवा भरती नियम के सम्बन्ध में निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात्-
1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ- इन नियमों का संक्षिप्त नाम मध्य प्रदेश खेल और युवक कल्याण (राजपत्रित) सेवा भरती नियम, 1988 है ।
ये नियम मध्य प्रदेश राजपत्र में प्रकाशित किये जाने की तारीख से प्रवृत्त होंगे ।
2. परिभाषाएँ - इन नियमों में जब तक सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो-
(क) सेवा के सम्बन्ध में ''नियुक्ति प्राधिकारी'' से अभिप्रेत है राज्य सरकार;
(ख) ''आयोग'' से अभिप्रेत है मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग;
(ग) ''परीक्षा'' से अभिप्रेत है प्रतियोगी परीक्षा जो कि सेवा में भरती के लिए इन नियमों के नियम 11 के अधीन ली जाती हो;
(घ) ''अनुसूची'' से अभिप्रेत है इन नियमों से संलग्न अनुसूची;
(ङ) ''अनुसूचित जाति'' से अभिप्रेत है कोई जाति, मूलवंश या जनजाति या ऐसी जनजाति समुदाय के भाग या उसमें का यूथ जिसे सविधान के अनुच्छेद 341 के अधीन मध्य प्रदेश राज्य के सम्बन्ध में अनुसूचित जाति के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है;
(च) ''अनुसूचित जनजाति'' से अभिप्रेत है कोई जाति या जनजाति समुदाय अथवा ऐसी जनजाति या जनजाति समुदाय के भाग या उसमें का यूथ जिसे संविधान के अनुच्छेद 342 के अधीन मध्य प्रदेश राज्य के सम्बन्ध में अनुसूचित जनजाति के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है;
(छ) ''सेवा'' मे अभिप्रेत है मध्य प्रदेश खेल और युवक कल्याण (राजपत्रित) सेवा ।
3. विस्तार तथा लागू होना- मध्य प्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्त) नियम, 1961 में दिये गये उपबन्धों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ये नियम सेवा के प्रत्येक सदस्य पर लागू होंगे ।
4. सेवा का गठन-सेवा में निन्नलिखित व्यक्ति होंगे , अर्थात्-
(1) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के प्रारम्भ होने के समय, अनुसूची में विनिर्दिष्ट पदों को मूलत: धारण कर रहे हों;
(2) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के प्रारम्भ होने के पूर्व सेवा में भरती किये गये हों; और
(3) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के उपबन्धों के अनुसार, सेवा में भरती किये गये हों ।
5. वर्गीकरण , वेतनमान , आदि - सेवा का वर्गीकरण उसके पदों का वेतनमान तथा सेवा में सम्मिलित पदों की संख्या, अनुसूची-एक में अन्तर्विष्ट उपबन्धों के अनुसार होगी :
परन्तु सरकार, सेवा में सम्मिलित पदों की संख्या में, समय-समय पर या तो स्थायी रूप से या अस्थायी रूप से वृद्धि कर सकेगी या कमी कर सकेगी ।
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6. भरती का तरीका- (1) इन नियमों के प्रारम्भ होने के बाद सेवा में भरती निम्नलिखित तरीके से की जाएगी, अर्थात्-
(क) (1) सीधी भरती द्वारा, (2) चयन प्रतियोगी परीक्षा द्वारा,
(ख) सेवा के सदस्यों की पदोन्नति द्वारा [जैसा कि अनुसूची-चार के कालम (2) में विनिर्दिष्ट है ];
(ग) उन व्यक्तियों के स्थानान्तरण द्वारा जो ऐसी सेवा में ऐसे पद मूलत: धारण किये हों, जो कि इस निमित्त विनिर्दिष्ट किए जायें ।
(2) उपनियम (1) के खण्ड (ख) या खण्ड (ग) के अधीन भरती किये गये व्यक्तियों की संख्या किसी भी समय अनुसूची-एक में यथा विनिर्दिष्ट कर्त्तव्य पदों की संख्या के अनुसूची-दो में दर्शाये गए प्रतिशत से अधिक नहीं होगी ।
(3) इन नियमों के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए, भरती की किसी भी विशेष कालावधि के दौरान भरे जाने के लिए अपेक्षित सेवा में की किसी भी विशेष रिक्ति या रिक्तियों को भरने के प्रयोजन के लिए अपनाया जाने वाला भरती का तरीका या तरीके तथा प्रत्येक के प्रयोजन के तरीके द्वारा भरती किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या प्रत्येक अवसर पर सरकार द्वारा आयोग के परामर्श से अवधारित की जाएगी ।
(4) उपनियम (1) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुये भी सरकार की राय में सेवा की आवश्यकताओं को देखते हुये ऐसा करना आवश्यक हो तो सरकार सामान्य प्रशासन विभाग की पूर्व सहमति से उक्त उपनियम में विनिर्दिष्ट सेवा में भरती के तरीकों से भिन्न ऐसे अन्य तरीके अपना सकेगी, जो वह इस निमित्त जारी किये गये आदेश द्वारा विहित करे ।
7. सेवा में नियुक्ति-- इन नियमों के प्रारम्भ होने के बाद सेवा में समस्त नियुक्तियां सरकार द्वारा की जायेंगी और ऐसी कोई भी नियुक्ति नियम 6 में विनिर्दिष्ट भरती के तरीकों में से किसी एक तरीके द्वारा चयन किए जाने के बाद ही की जाएगी अन्यथा नहीं ।
8. सीधी भरती की पात्रता की शर्ते - परीक्षा में बैठने के लिए पात्र होने हेतु अभ्यर्थी को निम्नलिखित शर्ते पूरी करनी चाहिये, अर्थात्-
(एक) आयु—(क) अभ्यर्थी ने परीक्षा प्रारम्भ होने की तारीख के ठीक आगामी जनवरी के प्रथम दिन को आयु प्राप्त कर ली हो जैसी कि अनुसूची तीन के कालम (3) में दर्शाई गई है किन्तु ऐसी आयु प्राप्त न की हो जैसी कि उक्त अनुसूची के कालम (4) में दर्शाई गई है ।
(ख) यदि अभ्यर्थी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का हो तो उच्चतर आयु सीमा में अधिकतम 5 वर्ष की छूट दी जाएगी ;
(ग) उन अभ्यर्थियों के सम्बन्ध में जो मध्य प्रदेश सरकार के कर्मचारी हों अथवा कर्मचारी रह चुके हों, उच्चतर आयु सीमा मेँ भी नीचे दी गई सीमा तक तथा शर्तों के अध्यधीन रहते हुये छूट दी जायेगी-
(एक) ऐसा अम्यर्थी जो स्थायी सरकारी सेवक हो, उसकी आयु 38 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिये ।
(दो) ऐसा अभ्यर्थी जो अस्थायी सरकारी सेवक हो और किसी अन्य पद के लिए आवेदन करता हो, उसकी आयु 38 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिये । यह रियायत आकस्मिक निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारियों कार्यभारित कर्मचारियों तथा परियोजना कार्यान्वयन समिति के अन्तर्गत कार्यरत कर्मचारियों को भी स्वीकार्य होगी ।
(तीन) ऐसे अभ्यर्थी को जो छटनी किया गया सरकारी सेवक हो, अपनी आयु में से उसके द्वारा पहले की गई सम्पूर्ण अस्थायी सेवा की अधिक से अधिक 7 वर्ष तक की कालावधि भले ही वह कालावधि एक से अधिक बार की गई सेवा का योग हो, कम करने के लिए अनुज्ञात किया जायगा परन्तु उसके परिणामस्वरूप आयु उच्चतर आयु सीमा से तीन वर्ष से अधिक न हो ।
स्पष्टीकरण- पद ''छटनी किये गये सरकारी सेवक'' से द्योतक ऐसे व्यक्ति से है जो इस राज्य या किसी भी संघटक इकाई की अस्थायी सरकारी सेवा में लगातार कम से कम छह मास तक रहा हो तथा जिसे रोजगार कार्यालय में अपना नाम रजिस्ट्रीकरण कराने या सरकारी सेवा में नियोजन हेतु अन्यथा आवेदन देने की तारीख से अधिक तीन वर्ष पूर्व स्थापना में कमी किये जाने के कारण सेवा मुक्त किया गया हो ।
(चार) ऐसे अभ्यर्थी को, जो भूतपूर्व सैनिक हो, अपनी आयु में से उसके द्वारा पहले की गई सम्पूर्ण प्रतिरक्षा सेवा की अवधि कम करने के लिये अनुज्ञात किया जाएगा किन्तु उसके परिणामस्वरूप आयु उच्चतर आयु सीमा से तीन वर्ष से अधिक न हो ।
स्पष्टीकरण- पद ''भूतपूर्व सैनिक'' से द्योतक ऐसे व्यक्ति से है जो निम्नलिखित प्रवर्गो में से किसी एक प्रवर्ग में रहा हो तथा जो भारत सरकार के अधीन कम से कम छह मास की अवधि तक निरन्तर नियोजित रहा हो तथा किसी भी रोजगार कार्यालय में अपना नाम रजिस्ट्रीकृत कराने की अथवा सरकारी सेवा में नियोजन हेतु अन्यथा आवेदन पत्र देने की तारीख से अधिक से अधिक तीन वर्ष पूर्व मितव्ययिता इकाई की सिफारिशों के फलस्वरूप अथवा स्थापना में सामान्य रूप से कमी किये जाने के कारण जिसकी छटनी की गई हो अथवा जो अधिशिष्ट (सरप्लस) घोषित किया गया हो-
(1) ऐसे भूतपूर्व सैनिक जिन्हें समय पूर्व सेवा निवृत्ति रियायतों (मस्टरिंग आउट कन्सेशन) के अधीन सेवामुक्त कर दिया गया हो ।
(2) ऐसा भूतपूर्व सैनिक जो दूसरी बार भरती किया गया हो और (क) अल्पकालीन अवधि पूर्ण हो जाने पर, (ख) भरती सम्बन्धी शर्तो के पूर्ण हो जाने पर सेवामुक्त कर दिया गया हो ।
(3) मद्रास सिविल यूनिट के भूतपूर्व कर्मचारी ।
(4) ऐसे अधिकारी (सैनिक तथा असैनिक) जो उनकी संविदा के पूरी होने पर सेवामुक्त किये गये हों, जिसमें अल्पावधि सेवा में नियमित कमीशन प्राप्त अधिकारी सम्मिलित हैं ।
(5) ऐसे अधिकारी जिन्हें अवकाश रिक्तियों पर छ: मास से अधिक समय तक निरन्तर कार्य करने के बाद सेवामुक्त किया गया हो ।
(6) ऐसे भूतपूर्व सैनिक जिन्हें असमर्थ होने के कारण सेवा से अलग किया गया हो ।
(7) ऐसे भूतपूर्व सैनिक जिन्हें इस आधार पर सेवामुक्त किया गया हो कि अब वे सक्षम सैनिक बनने योग्य नहीं रहे ।
(8) ऐसा भूतपूर्व सैनिक जिसको गोली लगने से घाव हो जाने के कारण चिकित्सीय आधार पर सेवा से अलग कर दिया गया हो ।
(घ) मध्य प्रदेश राज्य निगम/मण्डल के कर्मचारियों को उच्चतर आयु सीमा में 38 वर्ष तक की छूट दी जाएगी;
(ड) विधवा अभ्यार्थियों के लिये सामान्य उच्चतर आयु सीमा 35 वर्ष होगी;
(च) परिवार नियोजन कार्यक्रम के अन्तर्गत ग्रीन कार्ड धारण करने वाले अभ्यर्थियों क उच्चतर आयु सीमा में 2 वर्ष तक की छूट दी जाएगी;
(छ) आदिम जाति, हरिजन और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अन्तर्जातीय विवाहो प्रोत्साहन कार्यक्रम के अधीन पुरस्कृत दम्पसियों के स्वर्ण पति/पत्नी को सामान्य उच्चतर आयु सीमा में 15 वर्ष तक की छुट् दी जाएगी;
(ज) ''विक्रम पुरस्कार'' से सम्मानित खिलाड़ी अभ्यर्थियों को सामान्य उच्चतर आयु सीमा में अधिकतम 5 वर्ष तक की छूट दी जाएगी;
(झ) उच्चतर आयु में स्वयंसेवी नगर सैनिकों तथा नगर सेना के नान-कमीशण्ड अधि- कारियों के मामले में उनके द्वारा की गई सेवा की कालावधि तक, जो कि 8 वर्ष की सीमा के अध्यधीन होगी, छूट दी जाएगी किन्तु किसी भी मामले में उनकी आयु 33 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए ।
(दो) शैक्षणिक अर्हताएँ-- उसके पास ऐसी 'शैक्षणिक अर्हताएँ होनी चाहिये जो कि सेवा के लिये अनुसूची-तीन में दर्शाई गई हैं :
परन्तु-
(क) आपवादिक मामलों में आयोग, सरकार की सिफारिश पर किसी ऐसे अभ्यर्थी को अर्ह मान सकेगा, जो यद्यपि इस खण्ड में विहित की गई अर्हताओं में से कोई अर्हता न रखता हो किन्तु जिसने अन्य संस्थाओं द्वारा संचालित परीक्षायें ऐसे स्तर से उत्तीर्ण की हों जो आयोग की राय में परीक्षा में अभ्यर्थी के प्रवेश को न्यायोचित ठहराता हो; और
(ख) ऐसे अभ्यर्थियों के, जो अन्यथा अर्ह हो, किन्तु जिन्होंने विदेशी विश्वविद्यालयों से, जो ऐसे विश्वविद्यालय हैं जिन्हें सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट रूप से मान्यता प्रदान नहीं की गई है, आयोग के विवेकानुसार परीक्षा में प्रवेश के लिये भी विचार किया जा सकेगा ।
(तीन) फीस-उसे आयोग द्वारा विहित की गई फीस का भुगतान करना होगा ।
9. निरर्हता- अभ्यर्थी की ओर से अपनी अभ्यर्थिता के लिए किसी भी साधन से समर्थन अभिप्राप्त करने के किसी भी प्रयास को आयोग द्वारा परीक्षा में प्रवेश के लिए निरर्हता के रूप में ठहराया जा सकता है ।
10. अभ्यर्थी की पात्रता के संबंध में आयोग का विनिश्चय अन्तिम होगा- परीक्षा में प्रवेश हेतु ग्राह्य किये जाने के लिये अम्यर्थी की पात्रता या अपात्रता के सबंध में आयोग का विनिश्चय अंतिम होगा और किसी ऐसे अभ्यर्थी को, जिसे आयोग द्वारा प्रवेश प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है, परीक्षा हेतु ग्राह्य नहीं किया जायेगा ।
11. चयन प्रतियोगिता परीक्षा द्वारा सीधी भरती- ,(1) सीधी भरती प्रतियोगिता परीक्षा तथा साक्षात्कार से अथवा केवल साक्षात्कार से होगी, जिसका निर्णय आयोग द्वारा प्रत्येक अवसर पर लिया जायेगा ।
(2) यदि आयोग प्रतियोगी परीक्षा लेने का निर्णय लेता है, तो आयोग द्वारा परीक्षा ऐसे आदेशों के अनुसार ली जाएगी जो कि सरकार आयोग के परामर्शु से, समय-समय पर, जारी करें |
(3) सीधी भरती के लिये उपलब्ध रिक्तियों में से 15 प्रतिशत और 18 प्रतिशत रिक्तियां उन अम्यर्थियों के लिये आरक्षित रखी जाएंगी जो क्रमश: अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्य हैं ।
(4) इस प्रकार आरक्षित रिक्त स्थानों को भरते समय उन अभ्यार्थियों को जो कि अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्य हों, नियुक्ति पर विचार उसी क्रम में किया जाएगा जिस क्रम में उनके नाम नियम 12 में विनिर्दिष्ट सूची में आये हों चाहे अन्य अभ्यर्थियों की तुलना में उनका सापेक्षित स्थान कुछ भी क्यों न हो ।
(5) अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के उन अम्यर्थियों को जो प्रशासन में दक्षता बनाए रखने का सम्यक् ध्यान रखते हुए सेवा में नियुक्ति के लिये आयोग द्वारा उपयुक्त घोषित किए जाएं तथा स्थिति अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जन जातियों के अभ्यर्थियों के लिये उक्त नियम (3) के अधीन आरक्षित रिक्तियों पर नियुक्त किया जा सकेगा ।
(6) (i) यदि अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों उनके लिये आरक्षित सभी रिक्तियों को भरने के लिये पर्याप्त संख्या में उपलव्ध न हों तो किसी ऐसी शेष रिक्तियां सामान्य अभ्यर्थियों से भरी जाएंगी तथा आगामी परीक्षा में यथास्थिति अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिये उतनी ही संख्या में अतिरिक्त रिक्तियां रखी जाएंगी :
परन्तु अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिये आरक्षित रिक्तियों की कुल संख्या अग्रनीत (केरीड फारवर्ड) रिक्तियों को सम्मिलित करते हुए विज्ञापित की गई कुल रिक्तियों के पैंतालीस प्रतिशत से किसी भी समय अधिक नहीं होगी ।
(7) चयन द्वारा सीधी भरती—( i) सेवा में भरती के लिये चयन ऐसे अन्तराल में होगा जिसका निर्णय शासन आयोग से परामर्श के समय-समय पर लेगा ।
(ii) उम्मीदवारों का चयन आयोग द्वारा साक्षात्कार से किया जायेगा ।
12. आयोग द्वारा सिफारिश किए गए अम्यर्थियों की सूची-( 1) आयोग, ऐसे अभ्यथियों को, जो ऐसे स्तर से, जैसा कि आयोग अवधारित करे, अर्ह हो तथा अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के ऐसे अम्यर्थियों की, जो यद्यपि उस स्तर से अर्हित न हों, फिर भी प्रशासन को दक्षता बनाए रखने का सम्यक् ध्यान रखते हुए, आयोग द्वारा सेवा में नियुक्ति के लिए योग्य घोषित सूची सरकार को अग्रेषित करेगा । सूची को सर्वसाधारण की जानकारी के लिये भी प्रकाशित किया जाएगा ।
(2) इन नियमों तथा मध्य प्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए, अभ्यर्थियों की उपलब्ध रिक्तियों पर नियुक्ति के लिये उस क्रम से विचार किया जाएगा जिसमें कि उनके नाम सूची में आये हें ।
(3) सूची में किसी अभ्यर्थी का नाम सम्मिलित किया जाना उसे नियुक्ति का कोई अधिकार प्रदान नहीं करता जब तक कि सरकार का, ऐसी जांच करने के पश्चात्, जैसी कि वह आवश्यक समझे, यह समाधान न हो जाए कि अम्यर्थी सेवा में नियुक्ति के लिये सभी प्रकार से उपयुक्त है ।
13. पदोन्नति द्वारा नियुक्ति –(1) पदोन्नति के लिये पात्र अभ्यर्थियों का चयन करने हेतु एक समिति का गठन किया जायेगा जिसमें अनुसूची चार में वर्णित सदस्य होंगे ।
(2) समिति सामान्यत: एक वर्ष से अनधिक के अन्तरालों में अपनी बैठक करेगी ।
(3) ऐसे पदों में पदोन्नति के लिये उपलब्ध रिक्तियों का, जिनमें पदोन्नति की प्रतिशतता या उससे अधिक हो, जैसा कि अनुसूची दो में विनिर्दिष्ट किया गया है, 15 प्रतिशत तथा 18 प्रतिशत क्रमश: अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जन जातियों के उन अधिकारियों के लिये आरक्षित रहेगा, जो नियम 14 के उपबन्धों के अनुसार पदोन्नति के लिये पात्र हों ।
(4) आरक्षित रिक्तियों में पदोन्नति करने के लिये प्रक्रिया, सरकार के सामान्य प्रकाशन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किये गये अनुदेशों के अनुसार होगी ।
14. पदोन्नति के लिये पात्रता संबंधी शर्ते - (1) उपनियम (2) के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए समिति उन सभी व्यक्तियों के मामलों पर विचार करेगी, जिन्होंने उस वर्ष की 1 जनवरी को उतने वर्षों की सेवा (चाहे स्थानापन्न रूप से या मूल रूप में) जो कि अनुसूची चार के कालम (2) में वर्णित है, उन पदों पर जो कि अनुसूची चार के कालम (4) में वणित है, राज्य सरकार द्वारा उनके समकक्ष घोषित पद या पदों पर पूर्ण कर ली हो तथा जो उपनियम (2) के अनुसार विचारण के क्षेत्र (जोन आफ कन्सीडरेशन) के भीतर आते हों :
परन्तु अपातकालीन कमीशन तथा अल्पकालीन सेवा कमीशन से नियुक्त किये गये अधिकारियों को सेवा की गणना, सेवा में उनकी नियुक्ति के पश्चात्, उस तारीख से की जायेगी जिस तारीख से उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग के ज्ञापन क्रमांक 2266-1987 (एफ) (3)-67 तारीख 21 अक्टूबर, 1967 के अनुमार सेवा में नियुक्त किया समझा गया हो :
परन्तु यह और भी कि किसी कनिष्ठ व्यक्ति को, उससे वरिष्ठ व्यक्ति पर अधिमानता देकर प्रवर श्रेणी पदोन्नति के लिए केवल इस आधार पर विचार किया जायेगा कि उसने विहित सेवा पूर्ण कर ली है ।
(2) चयन क्षेत्र योग्यता तथा वरिष्ठता के आधार पर भरे जाने वाले पदों के सम्बन्ध में चयन सूची में सम्मिलित किये जाने वाले अधिकारियों की संख्या में साधारणतया सात गुना तक और वरिष्ठता तथा योग्यता के आधार पर भरे जाने वाले पदों के सम्बन्ध में चयन सूची में सम्मिलित किये जाने वाले अधिकारियों की संख्या सामान्यतया पाँच गुना तक सीमित होगा:
परन्तु इस प्रकार अवधारित किये गये क्षेत्र में यदि अपेक्षित संख्या में उपयुक्त अधिकारी उपलब्ध न हो तो उस क्षेत्र को उस सीमा तक बढ़ाया जा सकेगा जो समिति द्वारा लिखित में कारणों का उल्लेख करते हुये आवश्यक समझी जाये ।
15. उपयुक्त अधिकारियों की सूची तैयार करना— (1) समिति ऐसे व्यक्तियों की एक सूची तैयार करेगी जो उपरोक्त नियम 14 में विहित शर्त को पूरा करते हों तथा जो समिति द्वारा सेवा में पदोन्नति के लिये उपयुक्त ठहराये गये हों । यह सूची चयन सूची तैयार करने की तारीख से एक वर्ष के दौरान सेवा निवृत्ति तथा पदोन्नति के कारण होने वाली प्रत्याशित रिक्तियों को भरने के लिये पर्याप्त होगी । उक्त सूची में सम्मिलित किये गये व्यक्तियों की संख्या के पच्चीस प्रतिशत व्यक्तियों की एक आरक्षित सूची उपरोक्त कालावधि के दौरान होने वाली अनवेक्षित रिक्तियों को भरने के लिये भी तैयार की जायेगी ।
(2) ऐसी सूची में नाम सम्मिलित करने के लिये किया जाने वाला चयन वरिष्ठता का सम्यक ध्यान रखते हुए योग्यता तथा सभी दृष्टि से उपयुक्तता पर अवधारित होगा ।
(3) ऐसी चयन सूची को तैयार करते समय सूची में सम्मिलित अधिकारियों के नाम अनुसूची चार के कालक (2) में यथाविनिर्दिष्ट सेवा या पदों में वरिष्ठता के क्रम में रखे जायेंगे :
परन्तु किसी ऐसे कनिष्ठ अधिकारी को, जो समिति की राय में असाधारण रूप से योग्य तथा उपयुक्त हो, उसे वरिष्ठ अधिकारियों की तुलना में सूची में उच्चतर स्थान दिया जा सकेगा ।
स्पष्टीकरण- ऐसे किसी व्यक्ति का, जिसका नाम चयन सूची में सम्मिलित किया गया हो, किन्तु जो सूची की विधिमान्यता के दौरान पदोन्नत न किया गया हो, केवल उसके पूर्वत्तर चयन के तथ्य से ही उन व्यक्तियों के ऊपर, जिन पर पश्चात्वर्ती चयन में विचार किया गया है, वरिष्ठता का दावा नहीं होगा ।
(4) इस प्रकार तैयार की गई सूची का प्रतिवर्ष पुनर्विलोकन तथा पुनरीक्षण किया जायेगा ।
(5) यदि इस प्रकार के चयन, पुनर्विलोकन या पुनरीक्षण की प्रतिक्रिया के दौरान सेवा के किसी सदस्य को अधिक्रमित किये जाने का प्रस्ताव किया जाता तो समिति प्रस्तावित अधिक्रमण के सम्बन्ध में अपने कारणों को लेखबद्ध करेगी ।
16. आयोग से परामर्श- विभागीय पदोन्नति समिति की, जिसकी अध्यक्षता आयोग के अध्यक्ष या किसी सदस्य द्वारा की गई हो सिफारिश के सम्बन्ध में यह समझा जायेगा कि संविधान के अनुच्छेद 320 के खण्ड (3) के उपखण्ड (ख) के अधीन आयोग के साथ परामर्श करने सम्बन्धी अपेक्षा का अनुपालन हो गया है ।
17. चयन सूची— (1) सरकार द्वारा अन्तिम रूप से अनुमोदित की गई सूची, सेवा के सदस्यों की (जो कि अनुसूची चार के कालम (2) में दर्शाये गये हैं) सेबा में जो कि अनुसूची चार के कालम (3) में दर्शाये गए हैं पदोन्नति के लिये चयन सूची होगी ।
(2) चयन सूची सामान्यत: तब तक प्रवृत्त रहेगी जब तक कि नियम 15 के उपनियम (4) के अनुसार उसका पुनर्विलोकन या पुनरीक्षण नहीं कर लिया जाता किन्तु उसकी विधि मान्यता ऐसी सूची तैयार किये जाने की तारीख से 18 मास की कुल कालावधि के ऊपर नहीं बढ़ाई जायेगी :
परन्तु चयन सूची में सम्मिलित किसी व्यक्ति की ओर से आचरण या कर्त्तव्यों के निर्वहन में गम्भीर चूक होने की दशा में, सरकार तथा आयोग द्वारा चयन सूची का विशेष रूप से पुनर्विलोकन किया जा सकेगा और यदि वह उचित समझे, ऐसे व्यक्ति का नाम चयन सूची से हटा सकेगा ।
18. चयन सूची से सेवा में नियुक्ति— (1) चयन सूची में सम्मिलित अधिकारियों की सेवा संवर्ग के अन्तर्गत आने वाले पद पर नियुक्ति उसी क्रम से की जायेगी जिस क्रम में ऐसे अधिकारियों के नाम चयन सूची मेँ हो ।
(2) ऐसे किसी व्यक्ति की, जिसका नाम सेवा की चयन सूची में सम्मिलित है, सेवा में नियुक्ति के पूर्व आयोग से परामर्श करना सामान्यत: तब तक आवश्यक नहीं होगा जब तक कि चयन सूची में उसका नाम सम्मिलित किये जाने तथा प्रस्तावित नियुक्ति की तारीख के बीच की कालावधि के दौरान उसके कार्य में ऐसी कोई गिरावट न आ गई हो, जो सरकार की राय में ऐसी हो जिससे वह सेवा में नियुक्ति के लिये अनुपयुक्त हो गया हो ।
19. परिवीक्षा- सेवा में सीधी भरती किये गये प्रत्येक व्यक्ति को दो वर्ष की कालावधि के लिये परिवीक्षा पर नियुक्त किया जायेगा ।
20. निर्वचन- यदि इन नियमों के निर्वचन के सम्बन्ध में कोई प्रश्न उद्भूत होता है तो वह सरकार को निर्दिष्ट किया जायेगा जिसका उस पर विनिश्चय अन्तिम होगा ।
21. शिथलीकरण- इन नियमों में की किसी भी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जायेगा कि वह किसी ऐसे व्यक्ति के मामले में, जिस पर ये नियम लागू होते हों, राज्यपाल की ऐसी रीति में कार्यवाही करने की जो उस न्यायसंगत और साम्यपूर्ण प्रतीत होती हो, शक्ति को सीमित या कम करती हो :
परन्तु कोई मामला ऐसी रीति में नहीं निबटाया जाएगा जो कि इन नियमों में उपबन्धित रीति की अपेक्षा उसके लिये कम अनुकूल हो ।
22. व्यावृत्ति- इन नियमों में की कोई भी बात अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिये राज्य सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में समय-समय पर जारी किये गये आदेशों के अनुसार उपबन्ध किये जाने के लिये आपेक्षित आरक्षण तथा अन्य शर्तो को प्रभावित नहीं करेगी ।
23. निरसन और व्यावृत्ति- इन नियमों में तत्स्थानी तथा इनके प्रारम्भ होने के पूर्व प्रवृत्त सभी नियम इन नियमों के अन्तर्गत आने वाले विषयों के सम्बन्ध में, एतदद्वारा निरस्त किये जाते हैं.
परन्तु इस प्रकार निरसित नियमों के अधीन किया गया कोई आदेश या की गई कार्यवाही इन नियमों के तत्स्थानी उपबन्धों के अधीन किया गया आदेश या की गई कार्यवाही समझी जाएगी ।
अनुसूची-एक
[ नियम 5 देखिये ]
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सेवा में सम्मिलित पदों के नाम
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पदों की संख्या
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वर्गीकरण
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वेतनमान
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(1)
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(2)
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(3)
|
(4)
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1. संचालक
2. उप संचालक
3. खेलकूद अधिकारी
4. युवक कल्याण अधिकारी
5. रीजनल स्पोर्टस आफीसर
6. प्रशासनिक अधिकारी
7. छात्रावास अधीक्षक सह प्रशिक्षक
8. मुख्य लेखा परीक्षा
|
1
1
1
1
5
1
1
1
|
प्रथम श्रेणी
प्रथम श्रेणी
द्वितीय श्रेणी
द्वितीय श्रेणी
द्वितीय श्रेणी
द्वितीय श्रेणी
द्वितीय श्रेणी
द्वितीय श्रेणी
|
3200-100-3500-125-4500
2600-75-2800-100-4200
1820-60-2300-75-3200-100-3300
1820-60-2300-75-3200-100-3300
1820-60-2300-75-3200-100-3300
1820-60-2300-75-3200-100-3300
1540-40-1620-50-2320-60-2740
1540-40-1620-50-2320-60-2740
|
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अनुसूची – दो
[ नियम 6 देखिये ]
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विभाग का नाम
|
सेवा का नाम
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कर्तव्य पदों की कुल संख्या
|
भरे जाने वाले कर्तव्य पदों की संख्या का प्रतिशत
|
|
सीधी भरती द्वारा नियम 6 (क) देखिये
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सेवा के मूल सदस्यों की पदोन्नति द्वारा नियम 6 (ख) देखिये
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अन्य सेवाओं से व्यक्तियों के स्थानांतरण द्वारा नियम 6 (ग) देखिये
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(1)
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(2)
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(3)
|
(4)
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(5)
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(6)
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खेल और युवक कल्याण विभाग
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मध्य प्रदेश युवक कल्याण (राजपत्रित सेवा)
1. संचालक
|
1
|
...
|
100 प्रतिशत
|
यदि उपयुक्त अधिकारी पदोन्नति के लिए उपलब्ध न हो तो राज्य शासन की अन्य सेवा से प्रतिनियुक्ति / स्थानांतरण एवं संविलियन द्वारा |
|
| |
2. उप संचालक
|
1
|
...
|
100 प्रतिशत
|
पदोन्नति द्वारा / उपयुक्त उम्मीदवार उपलब्ध न होने पर राज्य शासन की अन्य सेवा सम्प्रतिनियुक्ति / स्थानान्तरण / एवं संविलियन द्वारा |
|
| |
3. खेलकूद अधिकारी
4. युवक कल्याण अधिकारी
5. रीजनल स्पोर्ट्स आफिसर
6. प्रशासकीय अधिकारी
सह प्रशिक्षक
7. मुख्य लेखा परीक्षक
|
1
1
5
1
1
|
....
....
50 प्रतिशत
....
....
|
100 प्रतिशत
100 प्रतिशत
50 प्रतिशत
100 प्रतिशत
100 प्रतिशत
....
|
100 प्रतिशत कोष एवं लेखा संचालनालय में समकक्ष पदों पर कार्यरत व्यक्तियों के स्थानांतरण एवं संविलियन द्वारा या प्रतिनियुक्ति द्वारा |
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अनुसूची – तीन
[ नियम 8 देखिये ]
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विभाग का नाम
|
सेवा का नाम
|
न्यूनतम आयु सीमा
|
उच्चतर आयु सीमा
|
विहित की गई शैक्षणिक अर्हता
|
टिप्पणियां
|
|
(1)
|
(2)
|
(3)
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(4)
|
(5)
|
(6)
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|
खेल और युवक कल्याण विभाग
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1. छात्रावास अधीक्षक सह प्रशिक्षक
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21 वर्ष
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30 वर्ष
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1. प्रथम श्रेणी में स्तानक या बी.पी.एड.
2. विश्वविद्यालय स्तर तक किसी एक ओलंपिक खेल में प्रवीणता तदैव
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2. रीजनल
स्पोर्ट्स आफिसर
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21 वर्ष
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30 वर्ष
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अनुसूची – चार
[ नियम 13 देखिये ]
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विभाग का नाम
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उस सेवा या पद का नाम जिससे पदोन्नति की जाना है
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उस सेवा या पद का नाम जिस पर पदोन्नति की जाना है
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पदोन्नति के लिए अनुभव
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विभागीय पदोन्नति
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समिति के सदस्यों के नाम (नियम 13 देखिये)
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(1)
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(2)
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(3)
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(4)
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(5)
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(6)
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खेल का नाम
कल्याण विभाग
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प्रथम श्रेणी
1. उप संचालक
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प्रथम श्रेणी
संचालक
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5 वर्ष
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1. मुख्य सचिव
2. वरिष्ठतम अपर मुख्य सचिव
3. विभाग के अपर मुख्य सचिव,
प्रमुख सचिव या सचिव.
4. विभाग के संयुक्त सचिव या उप सचिव
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अध्यक्ष
सदस्य
सदस्य
संयोजक
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द्वितीय श्रेणी
1. युवक कल्याण अधिकारी
2.खेलकूद अधिकारी
3.प्रशासकीय अधिकारी
4.रीजनल स्पोर्ट्स आफिसर
द्वितीय श्रेणी
1. छात्रावास अधीक्षक सह प्रशिक्षक
तृतीय श्रेणी
1. संभागीय संगठक
2. कनिष्ठ लेखा अधिकारी कार्यालय अधीक्ष
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प्रथम श्रेणी
उप संचालक
द्वितीय श्रेणी
खेलकूद अधिकारी
द्वितीय श्रेणी
रीजनल स्पोर्ट्स
आफिसर
प्रशासनिक
अधिकारी
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5 वर्ष
5 वर्ष
5 वर्ष
5 वर्ष
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1. लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या उनके द्वारा मनोनीत आयोग का सदस्य,
2. विभाग के अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव या सचिव
3. संचालक, खेल और युवक कल्याण
तदैव
तदैव
तदैव
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अध्यक्ष
सदस्य
सदस्य
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