मध्य प्रदेश श्रम सेवा (विज्ञप्त) सेवा भरती नियम
,
1985
क्रमांक 1 (ए) 117-81-सोलह; दिनांक 21 नवम्बर, 1985 भारत के संविधान के
अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए,
मध्य प्रदेश के राज्य- पाल, मध्य प्रदेश श्रम सेवा (विज्ञप्त) में भरती के
सम्बन्ध में निम्नलिखित नियम बनाते हैं-
नियम
,
1.
संक्षिप्त नाम तथा प्रारम्भ-
ये नियम मध्य प्रदेश श्रम सेवा (विज्ञप्त) सेवा भरती 1985 कहलायेंगे ।
यह नियम ''मध्य प्रदेश राजपत्र'' में अधिसूचित किए जाने की .तारीख से लागू
होंगे ।
2. परिभाषायें-
इन नियमों में; जब तक प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो-
(क) सेवा के सम्बन्ध में ''नियुक्ति प्राधिकारी'' से तात्पर्य शासन से है;
(ख) ''आयोग'' से तात्पर्य मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग से है ।
(ग) ''परीक्षा'' से तात्पर्य नियम 11 के अन्तर्गत भरती के लिए ली गई
प्रतियोगिता परीक्षा से है;
(घ) ''शासन” से तात्पर्य मध्य प्रदेश शासन से है;
(ङ) ''राज्यपाल'' से तात्पर्य मध्य प्रदेश के राज्यपाल से है;
(च) ''अनुसूची'' से तात्पर्य इन नियमों से संलग्न अनुसूची से है;
(छ) ''अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों'' का वही अर्थ होगा, जो
उनके लिए संविधान के अनुच्छेद 366 के खण्ड (24) और (25) में क्रमश: दिया
गया है तथा जिसे शासन के द्वारा समय-समय पर इस रूप में अधिसूचित किया जाए;
(ज) ''सेवा'' से तात्पर्य मध्य प्रदेश श्रम सेवा (विज्ञप्त) से है;
(झ) ''राज्य'' से तात्पर्य मध्य प्रदेश राज्य से है ।
3. विस्तार तथा प्रयुक्ति-
मध्य प्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्तें) नियम, 1961 में दिए गए
उपबन्धों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ये नियम इस सेवा के
प्रत्येक सदस्य पर लागू होंगे ।
4.
सेवा का गठन-
सेवा में निम्नलिखित व्यक्ति होंगे, अर्थात्-
(1) इन नियमों के लागू करते समय अनुसूची में उल्लिखित पदों पर मौलिक रूप
से नियुक्त व्यक्ति;
(2) इन नियमों के लागू होने से पूर्व सेवा में भरती किए गए व्यक्ति; तथा
(3) इन नियमों के उपबन्धों के अनुसार सेवा में भरती किए गए व्यक्ति ।
5
वर्गीकरण वेतनमान आदि-
सेवा का वर्गीकरण उसके लिए वेतनमान तथा सेवा में सम्मिलित पदों की संख्या
इससे संलग्न अनुसूची एक में दिए गए उपबन्धों के अनुसार होगी :
परन्तु शासन सेवा में होने वाले पदों की संख्या में समय-समय पर स्थायी या
अस्थायी तौर पर वृद्धि या कमी कर सकेगा ।
6.
भरती का तरीका-
(1) इन नियमों के लागू होने के बाद सेवा में भरती निम्न- लिखित तरीकों से
की जाएगी, अर्थात् -
(क) प्रतियोगिता परीक्षा द्वारा सीधी भर्ती/चयन द्वारा सीधी भरती;
(ख) अनुसूची चार के कालम (2) में उल्लिखित सेवा में नियुक्त सदस्यों की
पदोन्नति द्वारा;
(ग) ऐसी सेवाओं में जो इस सम्बन्ध में निर्दिष्ट की गई हों, के पदधारी
व्यक्तियों के स्थानान्तरण द्वारा ।
(2) उपनियम (1) के खण्ड (ख) अथवा (ग) के अधीन भरती किए गए व्यक्तियों की
संख्या किसी भी समय (अनुसूची) एक में उल्लेखित पदों की संख्या के साथ
अनुसूची-दो में बताए गए प्रतिशत से अधिक नहीं होगी ।
(3) इन नियमों के उपबन्धों के अधीन भरती की किसी भी विशेष अवधि के दौरान
भरे जाने के लिए अपेक्षित सेवा के किसी भी विशेष पद या पदों को भरने के
प्रयोजन के लिए अपनाया जाने वाला भरती का तरीका या तरीके तथा प्रत्येक
तरीके द्वारा, भरती किए जाने वाले व्यक्तियों की संख्या प्रत्येक अवसर पर
शासन द्वारा आयोग के परामर्श से निश्चित की जायेगी ।
(4) उपनियम (1) में दी गई किसी बात के होते हुए भी शासन की राय में सेवा
की आवश्यकताओं को देखते हुए आवश्यक होने पर शासन सामान्य प्रशासन विभाग की
सहमति से सेवा में भरती सम्बन्धी उन तरीकों को छोड़ जिनका उक्त उपनियम में
उल्लेख किया गया है, ऐसे अन्य तरीके अपना सकेगा, जो शासन द्वारा इस
सम्बन्ध में जारी किए गए आदेश द्वारा निर्धारित किए जायें ।
7. सेवा में नियुक्ति-
इन नियमों के लागू होने के बाद सेवा में समस्त नियुक्तियां शासन द्वारा की
जायेगी और ऐसी कोई भी नियुक्ति नियम 6 में उल्लिखित भरती के तरीकों में से
किसी एक तरीके द्वारा चयन करने के बाद ही की जावेगी अन्यथा नहीं ।
8.
सीधी भरती किए जाने वाले उम्मीदवारों की पात्रता सम्बन्धी शर्ते-
परीक्षा में सम्मिलित होने/चयन हेतु पात्र होने के लिए उम्मीदवार को
निम्नलिखित शर्ते पूरी करना होगी, अर्थात्-
(एक) आयु-(क) परीक्षा/चयन प्रारम्भ होने के दिनांक के पश्चात् आने वाली
पहली जनवरी को उसने अपनी आयु के, अनुसूची-तीन के स्तम्भ (3) में उल्लिखित
निर्धारित वर्ष पूरे कर लिए हों, किन्तु अनुसूची 3 के स्तम्भ (चार) में
उल्लिखित निर्धारित वर्ष पूरे न किए हों;
(ख) यदि उम्मीदवार अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का हो तो आयु की
अधिकतम सीमा में अधिक से अधिक 5 वर्ष की छूट दी जाएगी;
(ग) उन उम्मीदवारों की अधिकतम आयु सीमा में जो मध्य प्रदेश शासन के
कर्मचारी रह चुके हों निम्नलिखित सीमा तक तथा निम्नलिखित शर्तों के अधीन
छूट दी जाएगी-
(1) जो उम्मीदवार शासन का स्थायी कर्मचारी हो उसकी आयु 38 वर्ष से अधिक
नहीं होनी चाहिए ।
(2) अस्थायी पद धारण करने वाले तथा किसी अन्य पद के लिए आवेदन करने वाले
उम्मीदवार की आयु 38 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए, यही रियायत आकस्मिक
निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारी, कार्यभारित कर्मचारी तथा परियोजना
कार्यान्वयन समिति के अन्तर्गत कार्यरत कर्मचारियों को भी स्वीकार्य होगी
।
(क) छटनीग्रस्त शासकीय कर्मचारी को अपनी आयु में से उसके द्वारा पहले की
गई सम्पूर्ण अस्थायी सेवा की अधिक से अधिक सात वर्ष की अवधि; भले ही वह
अवधि एक से अधिक बार की गई सेवाओं के कारण हो कम करने की अनुमति दी जाएगी
बशर्ते कि इसके परिणामस्वरूप जो आयु निकले वह अधिकतम आयु सीमा से तीन वर्ष
से अधिक न हो ।
स्पष्टीकरण -
शब्द “छटनीग्रस्त शासकीय कर्मचारी'' से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है, जो इस
राज्य अथवा किसी भी संघटक इकाई की अस्थायी शासकीय सेवा में कम से कम छ:
मास तक निरन्तर रहा हो तथा जो रोजगार कार्यालय अथवा पंजीयन कराने अथवा
शासकीय सेवा में नियुक्ति हेतु अन्यथा आवेदन पत्र देने की दिनांक से अधिक
से अधिक तीन वर्ष कर्मचारियों की संख्या में कमी किए जाने के कारण सेवा
मुक्त किया गया हो ।
जो उम्मीदवार भूतपूर्व सैनिक हो उसे अपनी आयु में से उसके द्वारा पहले की
गई समस्त प्रतिरक्षा सेवा की अवधि कम करने की अनुमति दी जायेगी बशर्ते की
इसके परिणामस्वरूप जो आयु निकले वह अधिकतम आयु से तीन वर्ष से अधिक न हो ।
व्याख्या-
शब्द ''भूतपूर्व सैनिक'' से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जो निम्नलिखित
प्रवर्गो में से किसी एक प्रवर्ग में रहा हो तथा जो भारत सरकार के अधीन कम
से कम 6 माह की अवधि तक निरन्तर सेवा करता रहा हो तथा जिसका किसी भी
रोजगार कार्यालय में अपना पंजीयन कराने अथवा शासकीय सेवा में नियुक्ति
हेतु अन्यथा आवेदन पत्र देने की तारीख से अधिक से अधिक तीन, वर्ष पूर्व
मितव्ययिता इकाई की सिफारिसों के फलस्वरूप अथवा कर्मचारियों की संख्या में
सामान्य रूप से कमी किए जाने के कारण छटनी की गई हो, अथवा जो आवश्यक
कर्मचारियों की संख्या से अधिक धोषित किया गया हो-
(एक) ऐसे भूतपूर्व सैनिक जिन्हें मस्टरिंग आउट कन्सेशन के अधीन मुक्त कर
दिया गया हो,
(दो) ऐसे भूतपूर्व सैनिक जिन्हें दुबारा भरती किया गया हो और-
(क) नियुक्ति की अल्पकालीन अवधि पूर्ण हो जाने पर;
(ख) भरती सम्बन्धी शर्ते पूर्ण हो जाने पर सेवा मुक्त कर दिया गया हो;
(तीन) मद्रास सिविल इकाई (यूनिट) के भूतपूर्व कर्मचारी;
(चार) संविदा पूरी होने पर सेवा मुक्त किए गए अधिकारी (सैनिक तथा असैनिक)
जिसमें अल्पावधि सेवा में नियमित कमीशन प्राप्त अधिकारी भी शामिल है,
(पांच) अवकाश रिक्तियों पर छ: मास से अधिक समय तक निरन्तर कार्य करने के
बाद सेवा मुक्त किए गए अधिकारी;
(छ:) असमर्थ होने के कारण सेवा से अलग किए गए भूतपूर्व सैनिक;
(सात) ऐसे भूतपूर्व सैनिक जिन्हें इस आधार पर सेवा से मुक्त किया गया हो
कि अब वे सक्षम सैनिक नहीं बन सकेंगे,
(आठ) ऐसे भूतपूर्व सैनिक जिनको गोली लग जाने तथा घाव आदि हो जाने के कारण
सेवा से अलग कर दिया गया हो ।
टीप--
उपयुक्त नियम (एक) ग) (एक) तथा (दो) में उल्लिखित आयु सम्बन्धी रियायतों
के अन्तर्गत जिन उम्मीदवारों को चयन के योग्य माना गया हो, वे यदि आवेदन
पत्र भेजने के पश्चात् परीक्षा/चयन के पहले अथवा बाद में सेवा से
त्यागपत्र दे दें तो नियुक्ति के पात नहीं होंगे तथापि, यदि आवेदन पत्र
भेजने के पश्चात् उनकी सेवा अथवा पद से छटनी की जाए तो वे नियुक्ति के
पात्र बने रहेंगे । किसी भी अन्य मामले में ये आयु सीमायें शिथिल नहीं कि
जायेंगी विभागीय उम्मीदवारों को चयन हेतु उपस्थित होने के लिए नियुक्ति
प्राधिकारी से पूर्वानुमति प्राप्त कर लेनी चाहिए ।
(दो) शैक्षणिक अर्हता-उम्मीदवार के पास सेवा के लिए निर्धारित शैक्षणिक
अर्हताएं होनी चाहिए जो कि इससे संलग्न अनुसूची-तीन में दर्शाई गई है,
परन्तु-
(क) आपवादिक मामले में आयोग शासन की सिफारिस पर किन्ही ऐसे उम्मीदवारों को
अर्ह समझ सकेगा, जिसके पास इस खण्ड में निर्धारित अर्हताओं में से कोई
अर्हता न हो किन्तु जिसने अन्य संस्थाओं द्वारा संचालित परीक्षा ऐसे स्तर
से उत्तीर्ण की हो जिसके कारण आयोग उम्मीदवार को परीक्षा में बैठने/चयन के
योग्य समझता हो, और
(ख) आयोग अपने विवेकानुसार परीक्षा में बैठने/चयन के लिए ऐसे उम्मीदवारों
के मामलों पर भी विचार कर सकेगा जो अन्यथा अर्ह हो किन्तु जिन्होंने ऐसे
विदेशी विश्वविद्यालयों से उपाधियाँ प्राप्त की हों जो शासन द्वारा
विशिष्ट रूप से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय न हो ।
(तीन) फीस उम्मीदवार को आयोग द्वारा निर्धारित फीस का भुगतान करना होगा ।
9.
अनर्हता-
उम्मीदवार की ओर से अपनी उम्मीदवारी के लिए सहायता प्राप्त करने हेतु किसी
भी जरिये से किया गया कोई भी प्रयास आयोग द्वारा उनके परीक्षा में
बैठने/चयन के सम्बन्ध में अनर्हता के रूप में माना जाएगा ।
10. उम्मीदवारों की पात्रता के सम्बन्ध में आयोग का निर्णय
'
अन्तिम होगा--
परीक्षा में बैठने/चयन के सम्बन्ध में किसी भी उम्मीदवार की पात्रता अथवा
अन्य बातों के सम्बन्ध में आयोग का निर्णय अन्तिम होगा तथा आयोग द्वारा
ऐसे किसी भी उम्मीदवार को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी/से समक्ष
भेंट (इन्टरव्यू) नहीं की जायेगी जिसे आयोग में प्रवेश-पत्र न दिया हो ।
11
. प्रतियोगिता परीक्षा द्वारा सीधी भरती-
(1) सेवा में भरती के लिए प्रतियोगिता परीक्षा ऐसे अन्दर से ली जावेगी
जिन्हें शासन समय-समय पर आयोग से परामर्श कर निश्चित करें ।
(2) आयोग द्वारा परीक्षा ऐसे आदेशों के अनुसार ली जावेगी जिन्हें शासन
समय-समय पर आयोग से परामर्श कर प्रसारित करें ।
(3) सीधी भरती के लिये उपलब्ध रिक्त स्थानों में से 15 प्रतिशत तथा 18
प्रतिशत स्थान क्रमश: अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के
उम्मीदवारों के लिये सुरक्षित रखे जायेंगे ।
(4) इस प्रकार रक्षित स्थानों को भरते समय अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित
जनजाति के उम्मीदवारों की नियुक्ति पर विचार नियम 12 में निर्दिष्ट सूची
में आये उनके नामों के क्रम के अनुसार किया जावेगा चाहे अन्य उम्मीदवारों
की तुलना में उनका सापेक्षित पद कुछ भी क्यों न था ।
(5) प्रशासन की दक्षता बनाए रखने का समुचित ध्यान रखते हुए सेवा में
नियुक्ति के लिये आयोग द्वारा चुने हुए अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति
के उम्मीदवार उपनियम (3) के अधीन यथास्थिति अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित
जनजातियों के उम्मीदवारों के लिये रक्षित रिक्त स्थानों पर नियुक्त किये
जा सकेंगे ।
(6) (1) बिना प्रतियोगिता परीक्षा के साक्षात्कार के माध्यम से चयन के
लिये यदि अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के उम्मीदवार उनके लिये
रक्षित सभी स्थानों को भरने के लिये पर्याप्त संख्या में उपलब्ध न हो, तो
शेष रिक्त स्थान केवल उन्हीं उम्मीदवारों के लिये दो बार पुन: विज्ञापित
किये जायेंगे । पुन: विज्ञापन के पश्चात् भी यदि रिक्तियाँ बिना भरी हुई
रह जाएँ तो वे सामान्य उम्मीदवारों से भरी जाएंगी और पश्चात्वर्ती चयन के
दौरान यथास्थिति अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के उम्मीदवारों
के लिये उतनी ही संख्या में अतिरिक्त रिक्त स्थान रक्षित रखे जाएंगे :
परन्तु अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के उम्मीदवारों के लिये
रक्षित रिक्त स्थानों की कुल संख्या (अग्रनीत) केरीड फारवर्ड (रिक्तियों
को सम्मिलित करते हुए) विज्ञापित की गई कुल रिक्तियों के पैंतालीस प्रतिशत
से किसी भी समय अधिक नहीं होगी ।
(2) प्रतियोगिता परीक्षा के लिये-यदि अनुसूचित जाति या जनजाति के
उम्मीदवार उनके लिये आरक्षित सभी रिक्त स्थानों को भरने के लिये समुचित
मात्रा में उपलब्ध न हो तो शेष रिक्त स्थान अन्य उम्मीदवारों से भरे
जाएंगे तथा पश्चात्वर्ती परीक्षाओं के समय अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति
के उम्मीदवारों के लिये उतनी ही संख्या के अतिरिक्त रिक्त स्थान आरक्षित
रखे जाएंगे :
परन्तु अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के उम्मीदवारों के लिये
रक्षित रिक्त स्थानों की कुल संख्या अग्रनीत केरीड फारवर्ड (रिक्तियों को
सम्मिलित करते हुए) विज्ञापित की गई कुल रिक्तियों के पैतालीस प्रतिशत से
किसी भी समय अधिक नहीं होगी ।
(7) चयन द्वारा सीधी भरती- (1) सेवा में भरती के लिये चयन ऐसे अन्तर से
किया जायेगा जिन्हें शासन समय-समय पर आयोग से परामर्श कर निश्चित करें ।
(2) सेवा के लिये उम्मीदवारों का चयन आयोग द्वारा उनसे समक्ष भेंट करने के
पश्चात् किया जावेगा ।
12.
अर्ह उम्मीदवारों की योग्यता क्रम से बनी सूची -
(1) आयोग अपने द्वारा निश्चित किये गये मानकों के अनुसार अर्ह उम्मीदवारों
की योग्यता क्रम से बनाई गई सूची तथा अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति
के उन उम्मीदवारों की सूची जो यद्यपि उक्त मानक के अनुसार अर्ह नहीं है,
किन्तु जिन्हें आयोग ने प्रशासन में दक्षता बनाये रखने का समुचित रखते
ध्यान रख हुए, सेवा में नियुक्ति के लिए उपयुक्त घोषित किया है, शासन को
भेजेगा । यह सूची सर्वसाधारण की सूचना के लिये भी प्रकाशित की जायेगी ।
(2) इन नियमों तथा मध्य प्रदेश (सिविल) सेवा की सामान्य शतें नियम, 1961
के उपबन्धों के अधीन उपलब्ध रिक्त स्थानों पर सूची में दिये गये नामों के
क्रम में उम्मीदवारों की नियुक्ति के सम्बन्ध में विचार किया जाएगा ।
(3) सूची में किसी उम्मीदवार का नाम सम्मिलित किये जाने सम्बन्धी तथ्य ही
उसे तब तक नियुक्ति का कोई अधिकार प्रदान नहीं करता जब तक कि शासन, ऐसी
जांच करने के बाद जिसे वह आवश्यक समझे, इस बात से सन्तुष्ट नहीं हो जाए कि
उम्मीदवार सेवा में नियुक्ति के लिये सभी प्रकार से उपयुक्त है ।
13.
पदोन्नति द्वारा नियुक्ति-
(1) पात्र उम्मीदवारों की पदोन्नति हेतु प्रारम्भिक चयन करने के लिये एक
समिति गठित की जायेगी, जिसमें इससे संलग्न अनुसूची चार में उल्लिखित सदस्य
होंगे ।
(2) समिति की बैठक सामान्यत: वर्ष में कम से कम एक बार होगी ।
(3) ऐसे पदों में जिनमें अनुसूची-दो में यथा-विनिर्दिष्ट पदोन्नति की
प्रतिशतता 33,1/3 प्रतिशत या इससे अधिक हो, पदोन्नति के लिये उपलब्ध रिक्त
स्थानों के 15 प्रतिशत तथा 18 प्रतिशत रिक्त स्थान अनुसूचित जातियों तथा
अनुसूचित जनजातियों के उन अधिकारियों के लिये रक्षित रखे जावेंगे, जो नियम
14 के उपबन्धों के अनुसार पदोन्नति के लिये पात्र होंगे । उपर्युक्तनुसार
आरक्षण प्रथम श्रेणी के निम्नतर स्तर के पदों एवं द्वितीय श्रेणी के सभी
पदों के लिये होगा ।
(4) रक्षित रिक्त स्थानों में पदोन्नति के लिये प्रक्रिया शासन के सामान्य
प्रशासन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किये गये अनुदेशों के अनुसार होगी ।
14.
पदोन्नति/स्थानान्तर के लिए पात्रता सम्बन्धी शर्ते-
(1) उपनियम (2) के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए, समिति उन सभी व्यक्तियों
के मामलों पर विचार करेगी, जिन्होंने उस वर्ष की 1 जनवरी को उन पदों पर,
जिनसे कि पदोन्नति की जानी है या किसी अन्य पद या पदों पर जिन्हें शासन ने
उनके समतुल्य घोषित किया हो, स्थानापन्न या मौलिक रूप में उतने वर्ष की
सेवा पूर्ण कर ली हो जितनी अनुसूची चार के कालम (3) में विनिर्दिष्ट है और
जो उपनियम (2) के उपबन्धों के अनुसार विचारार्थ क्षेत्र में आते हों :
परन्तु आपत्ति कमीशन तथा अन्य सेवा कमीशन के सेवा मुक्त अधिकारियों को
सेवा में नियुक्ति के बाद सामान्य प्रशासन विभाग के दिनांक 21 अक्टूबर,
1967 के ज्ञापन क्रमांक 2266-1987-(3), 67 के अनुसार जिस तारीख से सेवा
में नियुक्त माना गया है उसी तारीख से उनकी सेवा की गणना की जावेगी :
परन्तु यह और कि इस नियम के अन्तर्गत किसी कनिष्ठ व्यक्ति को प्रवर
श्रेणी/पदोन्नति के लिये केवल उनकी निर्धारित सेवा की अवधि पूरी करने के
आधार पर अपने से वरिष्ठ व्यक्ति से पहले विचार नहीं किया जायेगा ।
(2) चयन के लिये विचारार्थ क्षेत्र ''गुण व ज्येष्ठता'' के आधार पर भरे
जाने वाले पदों के सम्बन्ध में चयन सूची में सम्मिलित किये जाने वाले
अधिकारियों की संख्या में सामान्यतया सात गुना अधिक व्यक्तियों तक और
''ज्येष्ठता व गुण'' के आधार पर भरे जाने वाले पदों के सम्बन्ध में चयन
सूची में सम्मिलित किये जाने वाले अधिकारियों की संख्या सामान्यता पाँच
गुना अधिक अधिकारियों तक सीमित होगी :
परन्तु यदि इस प्रकार अवधारित किये गये क्षेत्र में अपेक्षित संख्या में
उपयुक्त अधिकारी उपलब्ध न हों तो उसे समिति उस विस्तार तक जहाँ तक कि वह
आवश्यक समझे, लिखित में कारणों का उल्लेख करते हुए बढ़ा सकेगी ।
15. उपयुक्त व्यक्तियों की सूची तैयार करना -
(1) समिति से व्यक्तियों की एक सूची तैयार करेगी जो उपर्युक्त नियम 14 में
निर्धारित शर्तों को पूरा करते हों, तथा जिन्हें समिति सेवा में
पदोन्नति/स्थानान्तर के उपयुक्त समझे । यह सूची चयन/सूची तैयार करने की
तारीख से एक वर्ष के दौरान सेवा निवृत्ति तथा पदोन्नति के कारण होने पर
प्रत्याशित रिक्तियों को भरने के लिये पर्याप्त होगी । उक्त सूची में
सम्मिलित व्यक्तियों की संख्या के 25 प्रतिशत व्यक्तियों की एक रक्षित
सूची भी उपरोक्त कालावधि के दौरान होने वाली अपेक्षित रिक्तियों को भरने
के लिये तैयार की जायेगी ।
(2) ऐसी सूची में नाम सम्मिलित करने के लिये किया जाने वाला चयन वरिष्ठता
पर समुचित रूप से ध्यान देते हुए, योग्यता तथा सभी दृष्टि से उपयुक्तता पर
आधारित होगा ।
(3) प्रत्येक चयन सूची की तैयारी के समय सूची में सम्मिलित अधिकारियों के
नाम अनुसूची-चार के कालम (2) में यथाविनिर्दिष्ट सेवा या पदों में
वरिष्ठता के क्रम में रखे जायेंगे : परन्तु किसी ऐसे कनिष्ठ अधिकारी की,
जो समिति की राय: में विशेष रूप से योग्य तथा उपयुक्त हो, सूची में उससे
वरिष्ठ अधिकारी की तुलना में उच्चतर स्थान दिया जा सकेगा ।
स्पष्टीकरण-
ऐसे किसी व्यक्ति को, जिसका नाम चयन सूची में सम्मिलित किया गया हो,
किन्तु जो सूची की विधिमान्यता के दौरान पदोन्नति न किया गया हो, केवल
उसके पूर्वत्तर चयन के लक्ष्य में ही उन लोगों के ऊपर जिन पर पश्चातवर्ती
चयन में विचार किया गया है, वरिष्ठता का दावा नहीं रहेगा ।
(4) इस प्रकार तैयार की गई सूची का प्रतिवर्ष पुनर्विलोकन तथा पुनरीक्षण
किया जाएगा ।
(5) यदि इस प्रकार के चयन, पुनर्विलोकन अथवा पुनरीक्षण के दौरान यह
प्रस्तावित किया जाये कि यथास्थिति निचली सिविल सेवा के किसी सदस्य का
अधिक्रमण किया जावे, तो समिति प्रस्तावित अधिक्रमण के सम्बन्ध में अपने
कारण को लेखबद्ध करेगी ।
16
प्रवर सूची
—(1) विभागीय पदोन्नति समिति द्वारा उपयुक्त उम्मीदवारों की तैयार की गई
सूची, सेवा के सदस्यों की अनुसूची-चार के कालम (3) में उल्लिखित पद पर
अनुसूची चार के कालम (2) में उल्लिखित पद से पदोन्नति करने के लिए प्रवर
सूची होगी ।
(2) प्रवर सूची सामान्यत: तब तक लागू रहेगी जब तक कि नियम 15 के उपनियम
(4) के अनुसार उसका पुनर्विलोकन अथवा पुनरीक्षण न किया जाये किन्तु उसकी
विधिमान्यता उसके तैयार करने की तारीख से 18 मास की कुल कालावधि से परे
नहीं बढ़ाई जायेगी:
परन्तु प्रवर सूची में सम्मिलित किसी व्यक्ति की ओर से कर्त्तव्य के
निर्वाह अथवा पालन में गम्भीर चूक होने की स्थिति में शासन के कहने पर
प्रवर सूची का विशेष रूप से पुनर्विलोकन किया जा सकेगा और यदि विभागीय
पदोन्नति समिति उचित समझे तो प्रवर सूची से ऐसे व्यक्ति का नाम हटा सकेगी
।
17. प्रवर सूची से सेवा में नियुक्ति—
(1) प्रवर सूची में सम्मिलित अधिकारियों की सेवा के संवर्ग के पदों पर
नियुक्तियाँ उसी क्रम से की जायेंगी जिस क्रम से ऐसे अधिकारियों के नाम
प्रवर सूची में हों :
परन्तु जहां प्रशासनिक आवश्यकता होने के कारण ऐसा करना आवश्यक हो, वहां
किसी व्यक्ति का, जिसका नाम प्रवर सूची में न हो या प्रवर सूची में जिसका
अगला नाम न हो सेवा में नियुक्त किया जा सकेगा, यदि शासन को यह समाधान हो
जाये कि रिक्त स्थान सम्भवत: तीन माह से अधिक अवधि के लिये नहीं है ।
(2) साधारणत: उस व्यक्ति की जिसका नाम सेवा की प्रवर सूची में सम्मिलित
हो, सेवा में नियुक्ति के पूर्व विभागीय पदोन्नति समिति से परामर्श करना
तब तक आवश्यक नहीं होगा जब तक कि प्रवर सूची में उसका नाम शामिल किए जाने
तथा प्रस्तावित नियुक्ति की तारीख के बीच की अवधि में उसके कार्य में ऐसी
कोई खराबी उत्पन्न हो जाये जो शासन की राय में सेवा में नियुक्ति के लिए
उसे अनुपयुक्त सिद्ध करता हो ।
18.
परिवीक्षा-
सेवा में सीधी भरती किया गया प्रत्येक व्यक्ति दो वर्ष की अवधि के लिए
परिवीक्षा पर नियुक्त किया जायेगा ।
19.
निर्वचन-
यदि इन नियमों के निर्वचन के सम्बन्ध में कोई प्रश्न उठे तो उसे शासन को
निर्दिष्ट किया जाएगा और उस पर उसका निर्णय अन्तिम होगा ।
20. छूट-
इन नियमों में दी गई किसी भी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा, कि वह ऐसे
व्यक्ति के सम्बन्ध में, जिस पर ये नियम लागू होते हों, ऐसी रीति से
कार्यवाही करने की राज्यपाल की शक्ति को सीमित या कम करती है, जो उसको
उचित और न्याय संगत प्रतीत होती हो :
परन्तु मामला ऐसी रीति से नहीं निपटाया जायेगा जो कि इन नियमों में
उपबन्धित रीति की अपेक्षा उसके लिए कम अनुकूल हो ।
(अ) व्यावृत्ति-इन नियमों में की कोई भी बात अनुसूचित
जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए राज्य शासन द्वारा समय-समय पर इस
सम्बन्ध में जारी किये गये आदेशों के अनुसार उपबन्ध किये जाने हेतु
अपेक्षित आरक्षण तथा अन्य शर्तो को प्रभावित नहीं करेगी ।
21.
निरसन और व्यावृत्ति
-इन नियमों के तत्स्थानी और इनके प्रारम्भ होने के ठीक पहले लामू सभी
नियम इसके द्वारा, इन नियमों के अन्तर्गत आने वाले विषयों के सम्बन्ध में
निरसित किये जाते हैं.
परन्तु इस प्रकार निरसित नियमों के अधीन दिया गया कोई भी आदेश या की गई
कार्यवाही इन नियमों के तत्स्थानी उपबन्धों के अधीन दिया गया आदेश या की
गई कार्यवाही समझी जायेगी ।